कश्मीर में चुनावी माहौल पर आतंकवाद का साया
नवीन नवाज, श्रीनगर : निकाय और पंचायत चुनावों की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जम्मू में गहमागहमी
नवीन नवाज, श्रीनगर : निकाय और पंचायत चुनावों की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जम्मू में गहमागहमी है तो कश्मीर में चुनावी माहौल नजर नहीं आ रहा है। न किसी राजनीतिक दल के कार्यालय में टिकटों की उम्मीद में आए उम्मीदवारों की भीड़ है और न गली-मुहल्लों में जलसा-जुलूस। पहले चरण के तहत कश्मीर की 12 नगर समितियों और परिषदों के अलावा श्रीनगर नगर निगम के तीन वार्डों के लिए अधिसूचना जारी होने के तीन दिन के बाद किसी उम्मीदवार ने नामांकन जमा नहीं कराया है। कश्मीर में अलगाववादियों ने जहां चुनावों के बहिष्कार का एलान किया है तो वहीं आतंकी संगठनों ने भाग लेने वालों को मौत के घाट उतारने की धमकी दे रखी है। आतंकियों ने चार दिनों में कश्मीर में सात पंचायत घरों को भी जला दिया है।
कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ मुख्तार अहमद ने कहा कि रोजाना किसी न किसी इलाके में हो रही मुठभेड़ में स्थानीय लड़कों की मौत हो रही है। उसका असर चुनावों पर साफ नजर आ रहा है। अलगाववादियों और आतंकियों ने चुनावों को लेकर बहिष्कार का फरमान सुना रखा है। अगर फरमान जारी भी नहीं हुआ होता तो दो वर्षो के हालात और पिछली सरकार के रवैये से निराश लोग शायद चुनावों को लेकर ज्यादा रुचि दिखाते। वरिष्ठ पत्रकार रशीद राही ने कहा कि 35ए को लेकर पैदा हुए विवाद ने भी लोगों को इन चुनावों से दूर रहने के लिए किसी हद तक उकसाया है। रही सही कसर नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के चुनाव बहिष्कार ने पूरी कर दी है। अन्य क्षेत्रीय दलों ने भी चुनावों का बहिष्कार किया है। नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी अगर चुनावों में भाग ले रही होती तो यहां जरूर कुछ चुनावी माहौल नजर आता। कांग्रेस और भाजपा चुनावों में शिरकत कर रही है, लेकिन इन दोनों दलों का आधार कश्मीर में कितना है सभी को पता है। आतंकी रोज नए वीडियो संदेश जारी कर लोगों को धमका रहे हैं। रोज किसी न किसी इलाके से खबर आती है कि आतंकी फलां इलाके में एक राजनीतिक नेता अथवा कार्यकर्ता के घर धमकाने गए थे। वर्ष 2005 के निकाय चुनावों में श्रीनगर नगर निगम में कॉरपोरेटर चुनी गई नीलोफर ने कहा कि पिछली बार इलाके के लोगों के दबाव में ही मैंने चुनाव लड़ा था। इस बार कोई उत्साहित नहीं है। सभी डरे हुए हैं। मैं भी इस बार चुनावों में भाग नहीं ले रही हूं। यहां रोज सुरक्षा का हवाला दिया जा रहा है। जब यहां पुलिस वालों केा अपने परिजनों को छुड़ाने के लिए आतंकियों के रिश्तेदारों को छोड़ना पड़ रहा है तो फिर कौन सी सुरक्षा होगी। वैसे भी चार दिनों में आतंकियों ने सात पंचायत घरों को फूंक दिया है। गौरतलब है कि राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव चार चरणों में आठ अक्टूबर और गैर राजनीतिक आधार पर पंचायत चुनाव 17 नवंबर से शुरू हो रहे हैं। 23 अक्टूबर को अधिसूचना जारी होगी।