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Jammu Kashmir ceasefire: पाकिस्तान ने किया सीजफायर का उल्लंघन, बीएसएफ जवान घायल

Jammu Kashmir ceasefireजम्मू-कश्मीर में कठुआ के मायापुरी पोस्ट पर पाकिस्तान की ओर से सीजफायर का उल्लंघन किया गया है। पाकिस्तानी गोलीबारी में बीएसएफ का एक जवान घायल हो गया है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 09:44 AM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 03:58 PM (IST)
Jammu Kashmir ceasefire: पाकिस्तान ने किया सीजफायर का उल्लंघन, बीएसएफ जवान घायल
Jammu Kashmir ceasefire: पाकिस्तान ने किया सीजफायर का उल्लंघन, बीएसएफ जवान घायल

श्रीनगर, जेएनएन। जम्मू-कश्मीर में कठुआ जिले के हरिनगर के मनयारी पोस्ट पर पाकिस्तान ने रात भर गोलाबारी की। इस गोलाबारी में बीएसएफ का एक जवान भी घायल हो गया है। घायल जवान की पहचान सीमा सुरक्षा बल की बटालियन के अभिषेक राय के रूप में हुइ है। मोटार्र के छर्रे लगने से घायल सीमा प्रहरी को जम्मू के राजकीय मेडिकल कालेज अस्पताल में भतीर् कराया गया है।

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वहीं जम्मू-कश्मीर के पूंछ जिले में शाहपुर और किरनी सेक्टर में भी पाकिस्तान की आेर से आज मंगलवार सुबह करीब 7 बजकर 45 मिनट से फायरिंग हो रही है। भारतीय सेना ने इस नापाक हरकत का करारा जवाब दिया। वहीं कठुआ के मनयारी पोस्ट में रात में हुई पाकिस्तानी फायरिंग में बीएसएफ का एक जवान जख्मी हो गया है।

जानकारी हो कि इससे पहले सोमवार को सेना ने जम्मू क्षेत्र के पुखरानी पट्टी में पाकिस्तान की ओर से दागे गए मॉर्टार के गोले को निष्क्रिय कर दिया। अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान ने 120 एमएम का मॉर्टार दागा था, जो पुखरानी इलाके में स्थित भेड़ों के एक फार्म में गिर गया था लेकिन इसमें विस्फोट नहीं हुआ था। सेना के जवानों ने इसे बाद में निष्क्रिय कर दिया। 

गोलाबारी के बावजूद बच्चों के हौंसले बुलंद

जानकारी हो कि सीमा पर गोलीबारी होने के बावजूद सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के हौंसले बुलंद हैं। हालाकि, सुरक्षा कारणों से प्रशासन ने तीन दिनों के लिए पानसर पंचायत के पाच स्कूल और सीमा से सटे पांच किलोमीटर की पट्टी में पड़ने वाले 52 सरकारी व निजी स्कूलों को एक दिन के लिए बंद रखा था, लेकिन उसके बाद से स्कूल खुले हुए हैं।

हीरानगर सेक्टर में जीरो लाइन से सटे गावों में पंजगराई, लोंडी, लडवाल, गुज्जर चक, कड़ियाला, मनयारी, पानसर, रठुआ, छन्न लालदीन समेत कुल आठ स्कूल पड़ते हैं, जो गोलीबारी की रेंज में आते हैं। जब भी गोलीबारी होती है तो बच्चों को छुट्टी करनी पड़ती है।

ग्रामीणों का कहना है कि गोलीबारी प्रति दिन नहीं होती, लेकिन आशंका बनी रहती है। इससे अभिभावक बच्चों की सुरक्षा के लिए चिंतित रहते हैं, ऐसे में सरकार जिस तरह से घरों में पक्के बंकर बनाए हैं वैसे ही स्कूलों में भी एक-एक सामुदायिक बंकर बनाए, ताकि अचानक गोलीबारी शुरू होने पर भी उन्हें छुट्टी करने के बजाए बंकरों में सुरक्षित रखा जाए। 

गोलाबारी से प्रभावित ग्रामीणों का  प्रदर्शन

जानकारी के अनुसार गोलाबारी से प्रभावित सीमावर्ती गांवों के ग्रामीणों ने अपनी मांगों को लेकर सोमवार को एसडीएम कार्यालय के बाहर रोष प्रदर्शन किया। साथ ही चेतावनी दी कि अगर एक सप्ताह तक राज्यपाल के किसी सलाहकार ने मांगों को लेकर ग्रामीणों से बात नहीं की तो आंदोलन शुरू करेंगे। सोमवार को करीब विभिन्न गांवों के सैकड़ों लोग तहसील कार्यालय के बाहर इकट्ठे हो गए और मागों को लेकर नारेबाजी शुरू कर दी।

प्रदर्शनकारी सरकारी जमीन की खारिज की गई गिरदावरी बहाल करने, गोलीबारी से प्रभावित गावों के युवाओं को बार्डर पुलिस की भर्ती में प्राथमिकता देने के नारे लगा रहे थे। इस अवसर पर बार्डर वेलफेयर कमेटी के प्रधान नानक चंद व उप प्रधान भारत भूषण ने कहा कि गोलाबारी से प्रभावित सीमावर्ती लोग कठिन परिस्थितियों में जिंदगी बसर कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी सुध नहीं ले रही। हजारों कनाल मालकीयत की जमीन तारबंदी के आगे खाली पड़ी है, जिसमें खेती नहीं हो रही और जिस सरकारी जमीन पर किसान 1965 से खेती करते आ रहे हैं उसे भी सरकार छीन रही है।

राजस्व विभाग ने उसकी गिरदावरी खारिज कर दी है जिस पर सोशल फारेस्ट्री विभाग पौधे लगाने की योजना बना रहा है, अगर उसे भी किसानों से छीन लिया गया तो फिर वहां पर रह कर क्या करेंगे। भारत भूषण ने कहा कि किसानों के पास जो जमीन है वह सरकार की नहीं, बल्कि किसानों की है जो अलग अलग कानून के तहत निकाली गई थी। अगर रोशनी एक्ट के तहत कहीं शहरों में धांधली हुई है तो सरकार को उसकी जांच करवानी चाहिए और किसानों को उसका मालिकाना हक देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब भी गोलीबारी होती है तो सरकार पांच किलोमीटर में पड़ते स्कूलों को बंद करवा देती है जिस से बॉर्डर के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। पहले भी सरकार ने विशेष भर्ती करवाई थी, लेकिन इस बार सरकार ने बार्डर पुलिस की भर्ती दस किलोमीटर के अंदर पड़ते गावों की करवाने की नोटीफिकेशन निकाली है और तीन प्रतिशत आरक्षण भी दस किलोमीटर तक देने का आर्डर जारी किया है। जब गोलीबारी अभी तक तीन किलोमीटर में होती है और पलायन भी उसी के अंदर पड़ते गावों के लोग करते हैं तो फिर विशेष भर्ती दस किलोमीटर की क्यों। अगर सरकार भर्ती का दायरा सरकार बढ़ाना चाहती है तो सीमा से लगते गांवों के युवाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिन की खेती प्रभावित है। उन्होंने कहा कि अगर एक सप्ताह तक सरकार ने उन की मागों पर गौर नहीं किया तो आंदोलन शुरू कर देंगे और बार्डर से पलायन कर लेंगे। 


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