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मुठभेड़ में मारे गए आमिर के पिता ने दायर की याचिका, मांगा शव

हैदरपोरा मुठभेड़ में मारे गए कथित स्थानीय आतंकी आमिर मागरे के पिता ने वीरवार को जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर अपने पुत्र का शव दिलाने का आग्रह किया है। उन्होंने दावा किया है कि आमिर निर्दाेष है और उनका पूरा परिवार राष्ट्रभक्त है जिसने हमेशा आतंकियों से लड़ा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 Dec 2021 05:55 AM (IST)Updated: Fri, 31 Dec 2021 05:55 AM (IST)
मुठभेड़ में मारे गए आमिर के पिता ने दायर की याचिका, मांगा शव
मुठभेड़ में मारे गए आमिर के पिता ने दायर की याचिका, मांगा शव

राज्य ब्यूरो, जम्मू : हैदरपोरा मुठभेड़ में मारे गए कथित स्थानीय आतंकी आमिर मागरे के पिता ने वीरवार को जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर अपने पुत्र का शव दिलाने का आग्रह किया है। उन्होंने दावा किया है कि आमिर निर्दाेष है और उनका पूरा परिवार राष्ट्रभक्त है जिसने हमेशा आतंकियों से लड़ा है।

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गौरतलब है कि 15 नवंबर को श्रीनगर के हैदरपोरा में मुठभेड़ हुई थी। इसमें एक पाकिस्तानी आतंकी बिलाल उर्फ छोटू उर्फ हैदर के अलावा आमिर मागरे, डा. मुदस्सर गुल और अल्ताफ अहमद बट मारे गए थे। मुठभेड़ के बाद हुए हंगामे के मद्देनजर प्रशासन ने डा. मुदस्सर गुल और अल्ताफ अहमद का शव उनके वारिसों के हवाले कर दिया था। आमिर के स्वजन को उसका शव नहीं सौंपा था। इस मामले की जांच कर रही एसआइटी ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट बताया कि आमिर एक आतंकी था। डा. मुदस्सर ओवरग्राउंड वर्कर था। दोनों पाकिस्तानी आतंकी की मदद करते थे।

आमिर के पिता मोहम्मद लतीफ ने एडवोकेट दीपिका सिंह रजावत और मोहम्मद अरशद चौधरी के माध्यम से अदालत में याचिका दायर की है। 18 पन्नों की याचिका में अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता आमिर का बहुत करीबी था और वह उसे अच्छी तरह जानता था। वह शपथ लेकर कहता है कि आमिर किसी राष्टविरोधी गतिविधि में शामिल नहीं हो सकता और न वह देश के खिलाफ काम करने वाले किसी संगठन से जुड़ सकता है। संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि आमिर को मजहबी रस्मों के साथ सम्मानजनक तरीके से दफनाने का पूरा अधिकार है। लतीफ ने अदालत को याचिका में बताया है कि उन्होंने गूल व संगलदान में आतंकवाद की समाप्ति में सेना के साथ मिलकर हर संभव प्रयास किया है। उन्होंने छह अगस्त 2005 की उस घटना का जिक्र किया है जब उन्होंने अपनी पत्नी व परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर लश्कर के एक आतंकी को मार गिराया था। उन्हें वर्ष 2012 में बहादुरी का पुरस्कार भी जम्मू कश्मीर सरकार ने दिया था। आतंकी के हमले में उनका एक भाई भी मारा गया था।

लतीफ मागरे ने डा. मुदस्सर गुल और अल्ताफ अहमद बट के शव उनके परिजनों को सौंपने का हवाला भी अपनी याचिका में दिया। उन्होंने कहा कि इस मामले में जारी न्यायिक जांच 15दिन में पूरी होनी थी,लेकिन आज तक रिपोर्ट नहीं आई। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी सात दिसंबर को आमिर का शव लौटाने का यकीन दिलाया था,लेकिन वादा पूरा नहीं किया है। उन्होंने अदालत को बताया है कि वह और उनकी पत्नी को अपने पुत्र आमिर मागरे का चेहरा भी देखने का अवसर नहीं दिया। उन्होंने अपने दिवंगत पुत्र केा अपने घर के पास दफनाने की इच्छा जताते हुए कहा कि वह इस दौरान पूरे इलाके में शांतिव्यवस्था बनाए रखने का यकीन दिलाते है। उन्होंने अदालत से अपनी याचिका की जल्द सुनवाई का आग्रह करते हुए कहा कि उनके बेटे का शव कब्र से जल्द निकलवाया जाए ताकि वह उसे पूरी तरह नष्ट होने से पहले उसे घर के पास पूरे मजहबी तरीके के साथ सुपुर्दे खाक कर सकें।


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