जम्मू कश्मीर में आज से गिने जाएंगे लाल प्रजाति के हिरन
लुप्त होने के कगार पर जा पहुंचे लाल प्रजाति के हिरन हंगुल की संख्या का पता लगाने के लिए गणना शनिवार से शुरू होगी। इससे पूर्व 2019 में हुई गणना के आधार कश्मीर में हंगुल की संख्या 237 थी।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर: लुप्त होने के कगार पर जा पहुंचे लाल प्रजाति के हिरन हंगुल की संख्या का पता लगाने के लिए गणना शनिवार से शुरू होगी। इससे पूर्व 2019 में हुई गणना के आधार कश्मीर में हंगुल की संख्या 237 थी। जम्मू कश्मीर के राज्य पशु हंगुल की गणना-2021 में विभिन्न पर्यावरणविद, सिविल सोसाइटी और वन्य जीव प्रेमी संगठनों व एनजीओ से संबंधित करीब 350 स्वयंसेवक हिस्सा लेंगे।
वन्य जीव विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, हंगुल की गणना दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान और उसके साथ सटीं वन्य जीव सेंचुरी में तीन से 10 अप्रैल तक होगी। क्षेत्रीय वन्य जीव वार्डन रशीद याहिया नक्काश ने बताया कि हर दो साल बाद हंगुल की आबादी का पता लगाने के लिए यह गणना होती है। उन्होंने बताया कि लाल प्रजाति का यह हिरन अब कश्मीर में ही मिलता है। जम्मू संभाग के किश्तवाड़ और हिमाचल प्रदेश के चंबा में भी यह पाया जाता था। उन्होंने बताया कि हंगुल की गणना में शामिल हो रहे स्वयंसेवकों की सेवाएं वन्य जीव विभाग इस प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाने के लिए ले रहा है। हम इन लोगों को सभी आवश्यक सुविधाएं व उपकरण प्रदान करेंगे।
उन्होंने बताया कि गणना के लिए दाचीगाम, शिकारगाह और वागत तक का 850 वर्ग किलोमीटर में फैला क्षेत्र चिह्नित किया गया है। गणना के दौरान जुटाए गए आकड़ों के आधार पर एक रिपोर्ट के शोध अधिकारी अंतिम रूप देंगे। गणना समाप्त होने के लगभग एक-डेढ़ माह बाद ही हंगुल की आबादी पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार होगी। गणना के समय यह भी देखा जाएगा कि कितने झुंड हैं, झुंड में कितने हंगुल हैं और उनमें नर-मादा की संख्या क्या है? इसके अलावा उनके बच्चे कितने हैं, व्यस्क और अव्यस्क हंगुल भी देखे जाएंगे। पांच हजार से अधिक थे हंगुल
रशीद याहिया नक्काश ने बताया कि कभी हंगुल की संख्या पाच हजार से ज्यादा होती थी। शिकार और घटते वनों के कारण आबादी भी घटती गई। एक समय यह संख्या करीब 130 के आसपास पहुंच गई थी। फिर इसके संरक्षण के प्रयास शुरू हुए। वर्ष 2015 में 186 हंगुल गिने गए थे, जबकि 2017 में इनकी तादाद 197 और 2019 की गणना में इनकी संख्या 237 पाई गई।