विवादास्पद स्वास्थ्य बीमा योजना रद
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार को राज्य में सरकारी कर्मियों के लिए श
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार को राज्य में सरकारी कर्मियों के लिए शुरू की गई विवादास्पद स्वास्थ्य बीमा योजना को रद कर दिया है। राज्यपाल प्रशासन द्वारा अपने ही किसी फैसले को वापस लेने का यह दूसरा मामला है। इससे पहले गत मंगलवार को सरकारी स्कूल-कॉलेजों के लिए उर्दू में श्री मद् भगवत्गीता और कौशुर रामायण की खरीद संबंधी फैसले को वापस लिया गया था।
जम्मू कश्मीर का राज्यपाल बनने के बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने 31 अगस्त को राज्य प्रशासनिक परिषद की बैठक में राज्य सरकार के अधीनस्थ लगभग चार लाख कर्मियों और पाच लाख के करीब पेंशनरों के लिए सामूहिक स्वास्थ्य बीमा योजना को लागू किया था। इस योजना को लागू करने का जिम्मा अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कपंनी (आरजीआइसी) को दिया गया था, लेकिन यह योजना पहले ही दिन विवादों के घेरे में आ गई और इसके आबंटन को लेकर घोटाले व नियमों की अनदेखी के आरोप लगने लगे थे।
आरोप लगा कि जिस तरीके से इस योजना को आरजीआइसी को सौंपा गया, वह विवादास्पद थी, क्योंकि आरजीआइसी को यह ठेका देने संबधी फाइल को पूर्व राज्यपाल एनएन वोहरा ने कई आपत्तियों के साथ रोक रखा था। इसके अलावा जिस दिन यह नीविदाएं खोली गई थी, उस दिन अवकाश था। इस योजना के तहत कर्मचारियों और पेंशनरों को कुल 900 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष बतौर प्रीमियम चुकाने थे, जबकि सरकार को मात्र तीन सौ करोड़ देने थे।
इसके अलावा जब सामूहिक बीमा योजना के लिए राज्य सरकार ने बीमा क्षेत्र की कंपनियों से निविदाएं मागी थी तो यह राज्यपाल या राष्ट्रपति की तरफ से नहीं मागी गई थी और सामूहिक बीमा योजना के बारे में एक निजी ब्रोकर ने मैसर्स ट्रिनटी रिइंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड ने ही कुछ एक समाचार पत्रों में जारी की थी। इस कंपनी की सेवाएं जम्मू कश्मीर सरकार ने मुख्यमंत्री सामूहिक मेडिक्लेम इंश्योरेंस पालिसी का खाका तैयार करने व उसे लागू करने के लिए ली थी। लेकिन इस कंपनी और राज्य सरकार के बीच तय हुए एमओयू के दस्तावेज भी अपर्याप्त और सवालों के घेरे में बताए जाते हैं। नीविदाएं कहीं भी ऑनलाइन नहीं मागी गई। इसके अलावा जो भी विडडर थे, सभी ने अपनी कोटेशन दस्ती, कूरियर, स्पीड पोस्ट और रजिस्टर्ड डाक के जरिए भेजी थी। इसके अलावा शुरू में कहा गया था कि इसमें वही कंपनिया भाग लें, जिनका सालाना लाभाश पाच हजार करोड़ हो, लेकिन बाद में यह तीन हजार करोड़ कर दिया गया था।
इस बीमा योजना को लेकर उठ रहे सवालों के बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम को जाच के लिए कहा था। मुख्य सचिव की जाच में पाया कि योजना में कई अनियमितताएं हैं और कई शर्तो को बदला गया है। इसके बाद ही योजना को रद किया गया है।
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने खुद बुधवार को एक साक्षात्कार में बताया कि जम्मू कश्मीर में सरकारी कर्मियों और पेंशनरों के लिए शुरू की गई स्वास्थ्य बीमा योजना को तत्काल प्रभाव से रद कर दिया गया है।