फारूक अब्दुल्ला बोले- परिसीमन आयोग का प्रस्ताव लागू हुआ तो और बिगड़ जाएंगे जम्मू-कश्मीर के हालात
डा फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि हम जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के खिलाफ हैं क्योंकि यह अंसवैधानिक है। हमने इसके खिलाफ सर्वाेच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर रखी है। हमने अदालत में इस अधिनियम के कार्यान्वयन पर रोक लगाने के लिए कहा है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया पर रोक लगाने के लिए नेशनल कांफ्रेंस जल्द ही सर्वाेच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी। फिलहाल, इस पर कानून विशेषज्ञों से चर्चा की जा रही है। यह जानकारी खुद नेकांध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डा फारुक अब्दुल्ला ने दी है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 असंवैधानिक है और उसके तहत गठित कोई भी आयोग अंसवैधानिक ही है।
दैनिक जागरण के साथ फोन पर बातचीत में डा फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि सामान्य परिस्थितियों में आप परिसीमन आयोग की सिफारिशों को कहीं चुनौती नहीं दे सकते, लेकिन यहां परिसीन आयोग की वैधता पर ही पहले दिन से सवाल लगा हुआ है। हम परिसीमन आयोग की बैठक में शामिल हुए, क्योंकि हम देखना चाहते थे कि आखिर वह कर क्या रहा है। हमारा जो डर था, वह सही साबित हुआ है।
डा फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि हम जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के खिलाफ हैं, क्योंकि यह अंसवैधानिक है। हमने इसके खिलाफ सर्वाेच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर रखी है। हमने अदालत में इस अधिनियम के कार्यान्वयन पर रोक लगाने के लिए कहा है। इस पर कोई फैसला नहीं आया है। नियमो के मुताबिक, जो कानून या मामला अदालत में विचाराधीन होता है, उस पर रोक रहती है, लेकिन यहां जम्मू कश्मीर में ऐसा नहीं हाे रहा है।
केंद्र सरकार अपनी मर्जी से जम्मू कश्मीर में स्वैच्छिक फैसले व कानून लागू कर रही है। अगर नियमों और संविधान को ध्यान में रखा जाए तो पुनर्गठन अधिनियम और उसके तहत गठित परिसीमन आयोग दोनों ही अवैध हैं। परिसीमन आयोग ने जो प्रस्तावित प्रारुप बनाया है, वह भी नियमों की अनदेखी कर, सिर्फ भाजपा के राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए बनाया है। आबादी के लिहाज से तो कश्मीर में सीटें बढ़नी चाहिए थी।
उन्होंने कहा कि संविधान, कानून और नियमों के मुताबिक हमारा पक्ष पूरी तरह मजबूत है। फिलहाल, हम परिसीमन आयोग और इसकी सिफारिशों पर रोक लगाने के लिए कानूनविद्धों के साथ चर्चा करते हुए अपनी याचिका तैयार कर रहे हैं। हम अपनी आपत्तियों का पूरा मसौदा तैयार कर जहां सर्वाेच्च न्यायालय में याचिका दायर करेंगे, वहीं परिसीमन आयोग को भी लिखित में अपनी आपत्तियां सौंपेंगे।
डा फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि परिसीमन आयोग की प्रस्तावित सिफारिशों के बाद कुछ लोगों ने यह भ्रम फैलाने का प्रयास किया है कि अनुसूचित जनजातियों को नौ सीटें मिलने जा रही हैं और नेकां को यह पसंद नहीं है। जम्मू कश्मूीर में 2019 से पहले की विधानसभा में गुज्जर-बक्करवाल समेत विभिन्न जनजातीय समूहों के आठ-दस विधायक मौजूद रहते रहे हैं। अनुसूचित जातियों को पहले आरक्षण है।
नेकांध्यक्ष ने कहा कि परिसीमन आयोग की प्रस्तावित सिफारिशों और प्रारुप को लेकर कश्मीर में लोगों में लगातार गुस्सा बढ़ रहा है। यह गुस्सा जम्मू कश्मीर के पहले से बिगड़े हालात को और ज्यादा बिगाड़ेगा। इसका फायदा कश्मीर दुश्मन ताकतें, अलगाववादी और आतंकी उठा सकते हैं। केंद्रीय मंत्री डा जितेंद्र सिंह द्वारा यह कहे जाने पर कि परिसीमन आयोग की बैठक में नेकां सांसद संतुष्ट थे, तो उन्होंने कहा कि उनके बारे में जम्मू कश्मीर का बच्चा-बच्चा जानता है।
परिसीमन आयोग की बैठक में हमने शालीनता के साथ तर्काेें के आधार पर अपना पक्ष रखा है। क्या हमें वहां लड़ना चाहिए था, लात घूंसे चलाने थे। हमारे पक्ष और तर्कों से प्रभावित होकर ही आयोग ने 31 दिसंबर 2021 तक सभी को अपनी आपत्तियां व सुझाव दज्र कराने के लिए कहा है।