कश्मीर को हिंसा व आतंक से मुक्त करने की जरूरतः डीजीपी
जम्मू-कश्मीर के डीजीपी एसपी वैद्य ने कहा है कि कश्मीर को हिंसा, आतंक, ड्रग्स और बंदूकों से मुक्त करने की जरूरत है।
श्रीनगर, एएनआइ। जम्मू-कश्मीर के डीजीपी एसपी वैद्य ने आज कहा है कि कश्मीर को हिंसा, आतंक, ड्रग्स और बंदूकों से मुक्त करने की जरूरत है। इसके लिए हम सभी मिलकर प्रयास कर रहे हैं।
इस बीच, लेफ्टिनेंट जनरल जेएस संधु ने बांदीपोर मुठभेड़ के संबंध में बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर सीआरपीएफ, आर्मी, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने ऑपरेशन चलाया जिसमें 6 आतंकी मारे गए।
हमने 2017 में अब तक 190 आतंकियों को मार गिराया है। 190 में से 80 आतंकी स्थानीय थे और 110 विदेशी। 110 में से 66 ऐसे हैं, जो घुसपैठ के दौरान मारे गए। हमने सितंबर से कई ऑपरेशन चलाए हैं। हम हर दिन सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं। विशेष फोर्स को इलाके में तैनात किया गया हैः जी एस संधू
बांडीपोर में लश्कर का सफाया
उत्तरी कश्मीर के चंदरगीर, बांडीपोर में शनिवार को महमूद और जरगाम समेत लश्कर के छह नामी कमांडरों की मौत वादी में जारी ऑपरेशन ऑल आउट की अब तक की बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। इन आतंकियों के मारे जाने से न सिर्फ बांडीपोर में लश्कर का लगभग सफाया हो गया है बल्कि कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में भी कमी आने की पूरी संभावना है।संबंधित अधिकारियों ने बताया कि आठ माह से यही छह नामी आतंकी सिर्फ उत्तरी कश्मीर में ही नहीं बल्कि दक्षिण कश्मीर में लश्कर की गतिविधियों और लश्कर के लिए नए लड़कों की भर्ती में भी लिप्त थे।
एलओसी पार से आने वाले लश्कर के विदेशी आतंकियों के लिए स्थानीय स्तर पर सुरक्षित ठिकानों का बंदोबस्त करने, आतंकी बनने वाले स्थानीय लड़कों को बांडीपोर, त्राल व शोपियां के विभिन्न हिस्सों में ट्रेनिंग भी देते थे। जरगाम ने अबु दूजाना और अबु इस्माइल के मारे जाने के बाद दक्षिण कश्मीर में सक्रिय लश्कर के स्थानीय आतंकियों को संगठन के साथ जोड़े रखने में अहम भूमिका निभाई है। उसने जुलाई व अगस्त माह के दौरान खुद हथियारों की बड़ी खेप उत्तरी कश्मीर से पुलवामा में पहुंचाई थी। राज्य पुलिस के अधिकारी के अनुसार, महमूद बीते तीन साल से कश्मीर में सक्रिय था और वह बीते चार माह के दौरान आठ से दस मौकों पर सुरक्षाबलों की घेराबंदी से पहले ही अपने ठिकाने से भागने में कामयाब रहा है। वह चार से पांच बार मुठभेड़ के दौरान बचा था।
लखवी का भतीजा भी मारा गया है। एक साथ सभी प्रमुख कमांडरों के मारे जाने से कश्मीर में सक्रिय लश्कर के स्थानीय आतंकियों का मनोबल टूटना तय है। वह अब सुरक्षाबलों के समक्ष हथियार डालेंगे या फिर अन्य आतंकी संगठनों में शामिल होंगे। सरहद पार से भी अगले कुछ दिनों तक लश्कर के आतंकियों की आमद थमेगी। अगर लश्कर के नए आतंकी पार से आते भी हैं तो उन्हें स्थानीय स्तर पर सुरक्षित ठिकानें, ओवरग्राउंड नेटवर्क उपलब्ध कराने वाले पुराने कमांडर नहीं मिलेंगे। ऐसे हालात में वह आते ही मारे जाएंगे।
Kashmir valley needs to be free from violence, terror, guns and drugs. Commendable joint effort by our agencies, jawans. Wish very soon we can see Kashmir free of violence: J&K DGP SP Vaid #HajinEncounter pic.twitter.com/Mtd8YviXJx— ANI (@ANI) November 19, 2017