Move to Jagran APP

पुलिस महानिदेशक के लिए आसान नहीं राह

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : जम्मू कश्मीर पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) का अतिरिक्त कार्यभार संभालने

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Sep 2018 01:58 AM (IST)Updated: Sat, 08 Sep 2018 01:58 AM (IST)
पुलिस महानिदेशक के लिए  आसान नहीं राह
पुलिस महानिदेशक के लिए आसान नहीं राह

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर :

loksabha election banner

जम्मू कश्मीर पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) का अतिरिक्त कार्यभार संभालने वाले (55) दिलबाग ¨सह के लिए जम्मू कश्मीर पुलिस की कमान संभालना आसान नहीं है। करीब सवा लाख अधिकारियों और जवानों पर आधारित राज्य पुलिस संगठन दुनिया के उन गिने चुने संगठनों में एक है, जो पुलिस की सामान्य गतिविधियों के अलावा एक पड़ोसी मुल्क द्वारा प्रायोजित छद्म युद्ध का भी सफलतापूर्वक मुकाबला कर रहा है।

दिलबाग सिंह के लिए पहली चुनौती तो निकट भविष्य में होने वाले निकाय व पंचायत चुनावों के लिए साजगार माहौल बनाना है। सुरक्षा परिदृश्य का हवाला देते हुए नेकां और पीडीपी जैसे मुख्य दल पहले ही इन चुनावों से अपने कदम पीछे खींच चुके हैं। ऐसे हालात में वह आम लोगों को कैसे सुरक्षा और विश्वास का माहौल देंगे, यह उनके पूरे करियर के अनुभव और काबिलियत को साबित करेगा।

मौजूदा परिस्थितियों में कश्मीर में आतंकी संगठनों में भर्ती पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा हो चुकी है। आतंकियों के हमलों और भर्ती के तौर-तरीके भी बदल चुके हैं। आतंकियों को आम लोगों का समर्थन भी पहले से ज्यादा मिल रहा है। लोग खुलेआम आतंकियों के समर्थन में सुरक्षाबलों पर पथराव करते हैं। आतंकी बेधड़क पुलिसकर्मियों व अधिकारियों के परिजनों को निशाना बना रहे हैं। इससे पुलिस संगठन का मनोबल प्रभावित है। ऐसे हालात में आतंकियों को अलग-थलग करना, जनता में उनके प्रभाव को कम करना और नए लड़कों की भर्ती पर रोक लगाते हुए एक बार फिर आतंकी संगठनों में पलिस का खौफ पैदा करना उनकी जिम्मेदारी है। कश्मीर घाटी में बीते एक दशक के दौरान आतंकियों के बाद दूसरी बड़ी चुनौती बनकर उभरे पत्थरबाजों की नकेल कसते हुए आतंकियों के ओवरग्राउंड नेटवर्क को नेस्तनाबूद करने के लिए वह क्या करते हैं। इस पर भी सभी की निगाहें रहेंगी। राज्य पुलिस में आतंकी संगठनों के साथ सहानुभूति रखने वाले तत्वों की निशानदेही कर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करना, पुलिस कर्मियों व अधिकारियों का मनोबल बढ़ाते हुए एक बार फिर कानून व्यवस्था में सुधार लाना और रियासत में नशे के जाल को काटना और पुलिस संगठन में सियासी व नौकरशाही की दखलंदाजी को समाप्त करना उनकी कार्यकुशलता का परिचय देगी। उनके समर्थक दावा करते हैं कि दिलबाग ¨सह ने जिस तरह से इस साल मार्च में महानिदेशक कारावास का पद संभालने के बाद रियासत की जेलें जो आतंकियों के लिए स्वर्ग और नए आतंकियों की भर्ती का केंद्र बनी थी, में फिर से व्यवस्था बहाल की है। उसी तरह वह पुलिस संगठन की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाते हुए विभिन्न चुनौतियों से भी निपटने में समर्थ रहेंगे।

----------------------

कई अहम पदों पर दे चुके हैं सेवा :

दिलबाग ¨सह 1987 बैच के आइपीएस अफसर हैं। महज 24 वर्ष की उम्र में वह भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए थे। वर्ष 1990 में जब राज्य में आतंकवाद चरम पर था तो उत्तरी कश्मीर में नियंत्रण रेखा से सटे कुपवाड़ा में बतौर एएसपी अपनी सेवाएं दे रहे थे। उन्होंने जम्मू कश्मीर का अफगानिस्तान कहलाने वाले जिला डोडा जो उस समय जवाहर सुरंग से लेकर किश्तवाड़ तक फैला था, में करीब एक साल तक एएसपी की जिम्मेदारी संभाली। वह बारामुला और डोडा में जिला एसएसपी भी रहे। पुलिस विभाग में विभिन्न ¨वगों में अपनी योग्यता का परिचय देते हुए पिछले साल ही वह महानिदेशक पद पर पदोन्नत हुए थे।

---------------------

भ्रष्टाचार का भी लग चुका है आरोप :

महानिदेशक दिलबाग ¨सह पर भ्रष्टाचार का भी आरोप लग चुका है। वह भर्ती घोटाले में फंसे थे और 11 अगस्त 1998 से 17 जून 1999 तक निलंबित रहे। उस समय वह दक्षिण कश्मीर रेंज के डीआइजी थे और अनंतनाग में पुलिस संगठन के लिए कांस्टेबल पद की भर्तियां हुई थी। तत्कालीन पुलिस महानिदेशक गुरुबचन जगत ने इन भर्तियों में घोटाले और भ्रष्टाचार की शिकायतों का संज्ञान लेते हुए तत्कालीन आइजीपी आ‌र्म्ड डॉ. अशोक भान जो बाद में डीजीपी पद से रिटायर हुए थे, को जांच का जिम्मा सौंपा था। डॉ. अशोक भान ने 24 जुलाई 1998 को एक पत्र एपीएचक्यू/सीबी/ईनक्यू/98-636 के तहत अपनी रिपोर्ट तत्कालीन डीजीपी गुरुबचन जगत को सौंपते हुए भर्ती बोर्ड में शामिल अधिकारियों को दोषी ठहराया था।

-----------------

24 साल की उम्र में बने थे आइपीएस :

वर्ष 1987 बैच के आइपीएस दिलबाग ¨सह पंजाब में अमृतसर के रहने वाले हैं। आर्टस में पीजी करने वाले दिलबाग ¨सह महज 24 साल की उम्र में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए थे। वह कुपवाड़ा में एएसपी, एएसपी डोडा, एसपी ट्रैफिक नेशनल हाईवे, एसपी डोडा, एसपी विजिलेंस, एसपी बारामुला, कमांडेंट जेकेएपी सातवीं वाहिनी, एडीआइजी अनंतनाग, एडीआइजी बारामुला, डीआइजी सिक्योरिटी जम्मू कश्मीर, डीआइजी जम्मू, डायरेक्टर एसएसी जेएंडके, आइजीपी क्राइम एंड रेलवे, आइजीपी सीआइडी, आइजीपी ट्रैफिक, आइजीपी होमगार्डस -सिविल डिफेंस, डायरेक्टर एसके पुलिस अकादमी ऊधमपुर, आइजीपी जम्मू जोन, एमडी पुलिस हाउ¨सग कार्पाेरेशन, एडीजीपी सिक्योरिटी, कमांडेंट जनरल होमगार्डस व सिविल डिफेंस और महानिदेशक कारावास के पद पर रह चुके हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.