जनवरी में कोरोना संक्रमण के मामले दस गुना से अधिक बढ़ गए
वर्तमान में प्रदेश में 15883 मामले सक्रिय हैं। इनमें से मात्र 337 मरीज अस्पतालों में हैं। प्रदेश में प्रथम और द्वितीय स्तर के अस्पतालों में कोविड मरीजों के लिए 4794 बेड आरक्षित हैं। यानी सात प्रतिशत मरीज ही अस्पतालों में भर्ती हैं।
रोहित जंडियाल, जम्मू
जनवरी में ही प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले दस गुना से अधिक बढ़ गए हैं। बड़ी चिंता यह है कि जम्मू जिले में इस महीने के 15 दिनों में सक्रिय मरीजों की संख्या 15 गुना बढ़ी है। संक्रमण दर भी नौ से दस प्रतिशत हो गई। हालांकि, प्रदेश के अस्पतालों में बेड और सुविधाओं की फिलहाल कोई कमी नहीं है। 93 प्रतिशत बेड खाली हैं।
नेशनल हेल्थ मिशन के अनुसार वर्तमान में प्रदेश में 15,883 मामले सक्रिय हैं। इनमें से मात्र 337 मरीज अस्पतालों में हैं। प्रदेश में प्रथम और द्वितीय स्तर के अस्पतालों में कोविड मरीजों के लिए 4794 बेड आरक्षित हैं। यानी सात प्रतिशत मरीज ही अस्पतालों में भर्ती हैं। जम्मू में सिर्फ जीएमसी जम्मू, डीआरडीओ अस्पताल भगवती नगर और गांधीनगर के जच्चा-बच्चा अस्पताल में ही मरीज भर्ती हैं। जम्मू के अस्पतालों में मात्र 111 ही मरीज भर्ती हैं। जीएमसी अस्पताल में 34, डीआरडीओ अस्पताल में सबसे अधिक 55, गांधीनगर के जच्चा-बच्चा अस्पताल में 22 मरीज भर्ती हैं। गांधीनगर अस्पताल में छह बच्चे और 12 गर्भवती महिलाएं हैं। अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डा. अरुण शर्मा का कहना है कि सभी मरीजों की हालत स्थिर हैं। गर्भवती महिलाओं और बच्चों को इस अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है। इस महीने अभी तक 18 संक्रमित गर्भवती महिलाओं के प्रसव भी हो चुके हैं। कश्मीर में भी इसी तरह की स्थिति है। श्रीनगर जिले में सक्रिय मरीजों की संख्या जम्मू के बाद सबसे अधिक है। श्रीनगर में कुल 3332 सक्रिय मामले हैं, लेकिन 130 मरीज ही अस्पतालों में हैं यानी करीब चार प्रतिशत। अन्य मरीज घरों में ही इलाज करा रहे हैं। दूसरी लहर में नहीं मिल रहे थे बेड: गत वर्ष मई में जब कोरोना की दूसरी लहर आई थी तब हर दिन तीन से साढ़े तीन हजार मरीज मिल रहे थे। उस समय अस्पतालों में बेड तक नहीं मिल पा रहे थे। जम्मू में इस समय तीन अस्पतालों में ही कोविड के मरीज हैं। दूसरी लहर में इसी स्थिति में जीएमसी जम्मू के अलावा सीडी अस्पताल, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, गांधीनगर का पुराना अस्पताल, जच्चा-बच्चा अस्पताल, राजीव गांधी अस्पताल गंग्याल में भी मरीज भर्ती थे। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार जो भी मामले आ रहे हैं, उनमें लक्षण कम हैं।
दूसरी लहर में जिस तरह से मरीज अस्पतालों में आए थे, इस बार ऐसा नहीं है। इस बार लक्षण कम हैं। बहुत कम मरीजों की छाती संक्रमण से प्रभावित है। अस्पतालों में जो भर्ती हैं, वे भी अधिक गंभीर नहीं हैं। दूसरी लहर में 100 से एक हजार मामले तक पहुंचने में 25 दिनों का समय लगा था। इस बार दो सप्ताह से भी कम समय लगा। इसे हल्के से नहीं लिया जा सकता।
-डा. मुहम्मद सलीम खान, एचओडी, कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग जीएमसी श्रीनगर तीसरी लहर का हम मुकाबला कर रहे हैं। हमने पहली और दूसरी लहर भी देखी है। बार-बार वायरस म्यूटेट कर रहा है। इस बार का संक्रमण तेजी के साथ फैल रहा है। इसमें इनफ्लूंजा के लक्षण हैं। खांसी और जुकाम अधिक है। लोग इसे आम खांसी और जुकाम न समझें। यह कोविड हो सकता है। इसमें हमें हल्के से लेने की जरूरत नहीं है। यह लहर बच्चों को भी प्रभावित कर रही है। यही नहीं, पहले से बीमार लोग इससे जान भी गंवा रहे हैं। सभी को मास्क पहनने के अलावा कोविड उपयुक्त व्यवहार करने की जरूरत है।
-डा. शशि सूदन, प्रिसिपल, जीएमसी
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तीसरी लहर के लिए हम परी तरह से तैयार है। हमारे पास डीआरडीओ का 500 बिस्तरों की क्षमता वाला अस्पताल है। यह जरूरी है कि लोग खुद सतर्क रहें। मास्क पहनें, भीड़ इकट्ठी न करें। इस वायरस को भी हल्के से न लें।
-डा. यशपाल शर्मा, नए मेडिकल कालेजों के निदेशक
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