LAC: पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर मुस्तैद जवानों तक पानी पहुंचाना चुनौती
LAC एलएसी पर तैनात जवानों तक सर्दियों में पेयजल आपूर्ति करना बड़ी चुनौती बना है। हड्डियां जमाने वाली ठंड में सेना के जवानों के लिए पर्याप्त पेयजल की निरंतर आपूर्ति के लिए रक्षा मंत्रालय में मंथन चल रहा है।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। LAC: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात जवानों तक सर्दियों में पेयजल आपूर्ति करना बड़ी चुनौती बना है। हड्डियां जमाने वाली ठंड में सेना के जवानों के लिए पर्याप्त पेयजल की निरंतर आपूर्ति के लिए लेह में फायर एंड फ्यरी कोर से ऊधमपुर में उत्तरी कमान मुख्यालय तक और नई दिल्ली में रक्षा मंत्रालय में मंथन चल रहा है। गौरतलब है कि मई, 2020 से ही पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सैन्य तनाव बना हुआ है। दोनों मुल्कों की सेनाएं ऑपरेशन मोड़ में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर डटी हैं। कई जगहों पर भारत-चीन के सैनिक एक-दूसरे से महज 400-500 मीटर की दूरी पर हैं। चीन से निपटने के लिए भारतीय सेना ने अग्रिम इलाकों में सभी आवश्यक युद्धक साजो सामान तैनात कर रखा है।
सूत्रों ने बताया कि सामान्य हालात में लेह में 10 हजार जवान व अधिकारी वास्तविक नियंत्रण रेखा की हिफाजत के लिए मौजूद रहते हैं। सर्दियों में अग्रिम इलाकों में गश्त का समय भी निर्धारित रहता है। इसमें शामिल जवानों की संख्या गर्मियों की तुलना में कम रहती है, लेकिन अब यह संख्या 50 हजार पहुंच चुकी है। उनके साथ उनका पूरा साजो सामान भी है। जवानों के लिए ठहरने व खाने-पीने की व्यवस्था की जा रही है। जवानों को ठंड से बचाव के लिए अत्याधुनिक गर्म कपड़े और वर्दियों के अलावा ध्रुवीय क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाले टेंट उपलब्ध कराए जा रहे हैं। राशन की भी दिक्कत नहीं है, सिर्फ पेयजल का मसला बना हुआ है। ऐसे में एलएसी से सटे कई गांवों के लोग जिनमें युवा शामिल हैं, मदद के लिए आगे रहे हैं। कई चोटियों पर जवानों तक पानी पांच से 10 किलोमीटर की दूरी से पहुंचाया जा रहा है। पानी के अलावा खाने की चीजें भेजी जा रही हैं।
वार्षिक बारिश 10 सेंटीमीटर ही
समद्रतल से करीब 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित लद्दाख प्रदेश में औसत वार्षिक वर्षा 10 सेंटीमीटर ही होती है। कुछ वर्षों में यह स्थानीय आबादी की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रही है। पूर्वी लद्दाख के जिन हिस्सों में भारतीय सेना का ज्यादा जमावाड़ा है, वहां सदिर्याे के दौरान रोजाना 50 हजार लोगों के लिए पेयजल आपूर्ति को सुनिश्चित बनाना मुश्किल हो रहा है। गर्मियों के दौरान सिंध, श्योक, गलवन,चांग चीमो और चिप चाप समेत लद्दाख के सभी दरिया पानी से लबालब रहते हैं। सर्दियों में सिंध को छोड़ अन्य सभी दरिया जम जाते हैं। उन्होंने बताया कि सियाचिन में तैनात जवान बर्फ का पिघला जरूरत का पेयजल जमा करते हैं। पूर्वी लद्दाख के पहाड़ों पर बर्फ भी ज्यादा नहीं होती है और कई पहाड़ सर्दियों में बिना बर्फ ही रहते हैं।
पानी के सदुपयोग के बारे में सचेत
सूत्रों ने बताया कि सैन्य प्रशासन सर्दियों के दौरान पेयजल संकट की आशंका को देखते हुए अग्रिम इलाकों में तैनात जवानों व अधिकारियों को पानी के सदुपयोग के बारे में सचेत करना शुरू कर दिया है। अग्रिम इलाकों में नियमित अंतराल पर पानी के टैंकरों से पेयजल आपूर्ति के अलावा भू-जल के दोहन के विकल्प पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।