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कश्मीर में सम्‍मान के साथ हिंदू बस्तियों को बसाने की योजना फिर से पेश करेगी भाजपा

हिंसा और खौफ के बीच कश्मीर घाटी से पलायन कर चुके हिंदुओं को वापस वहां बसाने के लिए भाजपा अपनी योजना फिर से पेश करेगी।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 12 Jul 2019 10:54 PM (IST)Updated: Fri, 12 Jul 2019 10:54 PM (IST)
कश्मीर में सम्‍मान के साथ हिंदू बस्तियों को बसाने की योजना फिर से पेश करेगी भाजपा
कश्मीर में सम्‍मान के साथ हिंदू बस्तियों को बसाने की योजना फिर से पेश करेगी भाजपा

 नई दिल्ली, रायटर। हिंसा और खौफ के बीच कश्मीर घाटी से पलायन कर चुके हिंदुओं को वापस वहां बसाने के लिए भाजपा अपनी योजना फिर से पेश करेगी। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और कश्मीर के प्रभारी राम माधव ने कहा है कि उनकी पार्टी कश्मीर घाटी से पलायन करने पर मजबूर हुए दो से तीन लाख हिंदुओं की वापसी में मदद के लिए प्रतिबद्ध है। 1989 में आतंकवाद के सिर उठाने के बाद हिंदू समुदाय वहां से पलायन कर गया।

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पहाड़ी राज्य जम्मू एवं कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का भी मुद्दा है। पूर्व का क्षेत्र भारत में है और पश्चिमी हिस्से पर पाकिस्तान आजादी के समय से ही कब्जा जमाए बैठा है। कश्मीर की करीब 70 लाख आबादी में 97 फीसद मुस्लिम हैं। पिछले तीन दशक के दौरान उपद्रव और हिंसा के कारण करीब 50,000 लोग मारे जा चुके हैं।

एक साक्षात्कार में राम माधव ने कश्मीरी हिंदुओं की ओर इशारा करते हुए कहा, 'घाटी में वापसी के उनके बुनियादी अधिकार का सम्मान होना चाहिए। साथ ही हमें उन्हें उचित सुरक्षा मुहैया करानी होगी।'

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ने कहा कि राज्य में पूर्व की भाजपा समर्थित सरकार ने पृथक या मिश्रित टाउनशिप बसाने पर विचार किया था। लेकिन सरकार इस दिशा में कदम बढ़ाने में असमर्थ रही क्योंकि कोई सहमति नहीं बन पाई। स्थानीय राजनीतिक पार्टियों, मुस्लिम नेतृत्व और पलायन करने वाले हिंदुओं ने इसका समर्थन नहीं किया।

राज्य के अलगाववादी समूहों ने इस परियोजना का विरोध किया है। उनकी दलील है कि यह फलस्तीन के भीतर इजरायली बस्तियां बसाने जैसा कदम होगा। कश्मीरी पंडित भी इससे सहमत नहीं हैं। पंडितों का कहना है कि सुरक्षा घेरे वाली बस्तियों में रहना पिंजड़े में बंद होने के समान होगा।

भाजपा और पीडीपी गठबंधन सरकार के 2018 में गिर जाने के बाद योजना पर विराम लग गया। राज्य में अभी राष्ट्रपति शासन है और इस साल के आखिर तक विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद है।


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