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Floating Theatre in Dal : डल में फिर से जीवंत हो गया 'कश्मीर की कली' का रोमांस, शिकारों पर बैठ पर्यटकों ने देखी फिल्म

Floating Theatre in Dal दिल्ली से श्रीनगर पहुंचे पर्यटक शुभम ने कहा कि डल झील में तैरते शिकारे में बैठकर फिल्म देखना.. वाह एक अलग अनुभव। मैंने इसका भरपूर आंनद लिया। हमारे लिए यह एक परी कथा जैसा रहा।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Sat, 30 Oct 2021 04:00 AM (IST)Updated: Sat, 30 Oct 2021 03:17 PM (IST)
Floating Theatre in Dal : डल में फिर से जीवंत हो गया 'कश्मीर की कली' का रोमांस, शिकारों पर बैठ पर्यटकों ने देखी फिल्म
कश्मीर की ठिठुरती शाम में डल झील की तैरती लहरें और उन पर कहवे की चुस्कियों संग फिल्म का रोमांच।

रजिया नूर, श्रीनगर : कश्मीर की ठिठुरती शाम में डल झील की तैरती लहरें और उन पर कहवे की चुस्कियों संग फिल्म का रोमांच। एक बार लगा कि कश्मीर छह दशक पीछे के युग में लौट आया है। डल के बीचों-बीच खुले आसमां के तले एशिया के पहले इस अनूठे तैरते थियेटर ने 'कश्मीर की कली' के रोमांस को फिर से जीवंत कर दिया।

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शुक्रवार से आरंभ हुआ यह अनोखा फिल्म उत्सव कश्मीर की खूबसूरती का दीदार करवाता ही है, यहां संभावनाओं के नए द्वार भी खोलता है। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए पर्यटन विभाग ने एक निजी थियेटर समूह के साथ डल में यह फ्लोटिंग थियेटर तैयार करवाया है। इसके लिए चार बड़ी स्क्रीन लगाई गईं हैं। पहले दिन शमी कपूर और शर्मिला टैगोर अभिनीत फिल्म 'कश्मीर की कली' दिखाई गई। दर्शकों ने शिकारों में बैठकर फिल्म का लुत्फ लिया।

यह उत्सव एक सप्ताह तक चलेगा और इसमें कश्मीर से जुड़ी पुरानी और यादगार फिल्में दिखाई जाएंगी। खासतौर पर जिनकी शूटिंग कश्मीर में ही हुई है। पर्यटकों के लिए कश्मीर ही नहीं, बल्कि एशिया में अपनी तरह यह पहला अनुभव रहा है।

'चांद सा रोशन चेहरा...' गाने और नटखट शमी कपूर व चुलबुली शर्मिला टैगोर की नोकझोंक पर दर्शक खूब तालियां बजाते दिखे।

पर्यटकों का अनुभव परी कथा सा

-फिल्म देखने के बाद 72 वर्षीय मोहिद्दीन राजा बोले, मैंने यह फिल्म प्लेडियम सिनेमा में देखी थी। तब मैं छोटा था। मुझे याद है कि टिकट के लिए हमें लंबी कतार में घंटों इंतजार करना पड़ा था। आज मुझे यह फिल्म फिर से देखने का मौका मिला, वह भी शिकारे में बैठकर। मजा आ गया।

-दिल्ली से श्रीनगर पहुंचे पर्यटक शुभम ने कहा कि डल झील में तैरते शिकारे में बैठकर फिल्म देखना.. वाह एक अलग अनुभव। मैंने इसका भरपूर आंनद लिया। हमारे लिए यह एक परी कथा जैसा रहा।

-अंशिका ने कहा, मुझे डल झील देखने की बड़ी ख्वाहिश थी। रात में जगमगाती रोशनी के बीच यह झील कितनी खूबसूरत लगती है और फिर इन खूबसूरत नजारों के बीच मूवी देखना कितना सुंदर अनुभव है। यह मनोहारी दृश्य देखने के लिए मैं यहां बार-बार आना चाहूंगी।

सप्ताह भर दिखाई जाएंगी फिल्में

एटलस रंगमंच कला संगठन के अधिकारी रोहित भट ने बताया कि डल में समारोह सप्ताह भर चलेगा। इस दौरान कश्मीर में फिल्माई गई पुरानी सुपर हिट फिल्में दिखाई जाएंगी। डल में चार बड़े स्क्रीन लगाई गई हैं। शो प्रतिदिन शाम छह बजे शुरू होगा। शो के दौरान दर्शकों के लिए खाने-पीने की सुविधा भी है। फिल्म देखने के लिए शुल्क भी निर्धारित कर रखा है। ओपन एयर फ्लोटिंग थियेटर नया विचार है। पहले ही दिन उमड़ी भीड़ ने खुशी बढ़ा दी है। ठंड के बावजूद दर्शकों ने फिल्म का आनंद उठाया।

झील बुला रही है... नाटक का मंचन

आइकोनिक वीक के अंतिम दिन श्रीनगर के एसकेआइसीसी में झील बुला रही है नाटक का मंचन किया गया। क्रिएटिव थियेटर ग्रुप से जुड़े कलाकारों की भूमिका को दर्शकों ने खूब सराहा। इसके बाद डल झील में लेजर शो और शिकारा कार्निवल भी हुआ। इसमें रंगमंच से जुड़े जम्मू और कश्मीर के कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया।

1964 में रिलीज हुई थी फिल्म

शमी कपूर और शर्मिला टैगोर की फिल्म 'कश्मीर की कली' 1964 में रिलीज हुई थी। फिल्म का मशहूर गीत 'चांद सा रोशन चेहरा, जुल्फों का रंग सुनहरा...' भी डल झील में शिकारों पर फिल्माया गया था। फिल्म और इस गाने के प्रति लोगों की दीवानगी कश्मीर में भी ऐसी थी कि वह टिकट खरीदने के लिए सिनेमाघरों के बाहर घंटों कतार में खड़े रहते थे। इसके अलावा दर्जनों बड़ी फिल्मों की शूटिंग कश्मीर में हुई है।


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