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सेना की 'खैरियत' से आंगन में गूंजी बेटे की किलकारी

सेना के जवानों ने कमर की ऊंचाई तक जमी बर्फ को काटकर रास्ता बनाया और गर्भवती महिला को अस्पताल तक पहुंचाया। सेना के ये खैरियत दस्ते महिला को स्ट्रेचर के जरिए अपने कंधों पर उठाकर छह किलोमीटर तक बर्फ पर पैदल भी चले।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 09:40 AM (IST)Updated: Thu, 16 Jan 2020 09:40 AM (IST)
सेना की 'खैरियत' से आंगन में गूंजी बेटे की किलकारी
सेना की 'खैरियत' से आंगन में गूंजी बेटे की किलकारी

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : कश्मीर में चिल्ले कलां की सर्दी नाम सुनते ही जहां लोगों की रूह कांप जाती है, ऐसे में सेना के जवानों ने कमर की ऊंचाई तक जमी बर्फ को काटकर रास्ता बनाया और गर्भवती महिला को अस्पताल तक पहुंचाया। सेना के ये 'खैरियत' दस्ते महिला को स्ट्रेचर के जरिए अपने कंधों पर उठाकर छह किलोमीटर तक बर्फ पर पैदल भी चले। इसके बाद एंबुलेंस में बैठाया और फिर एंबुलेंस के लिए भी बर्फ काटकर रास्ता बनाया। छह घंटे तक 'खैरियत' दस्ते महिला और उसके पेट में पल रहे बच्चे को बचाने के लिए कड़ाके की ठंड में जुटे रहे। सेना के इस अथक प्रयास से महिला के आंगन में किलकारियां गूंज रही हैं। महिला ने बच्चे को जन्म दिया है। उत्तरी कश्मीर में सेना ने दूरदराज के पर्वतीय इलाकों में स्थानीय लोगों की मदद के लिए जवानों के दस्ते बनाए हैं। इन्हें 'खैरियत' नाम दिया गया है।

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यह घटना उत्तरी कश्मीर में जिला बारामुला के टंगमर्ग इलाके की है। सैन्य प्रवक्ता ने बताया कि टंगमर्ग के ऊपरी हिस्से में स्थित दारदपोरा गांव के रहने वाले रियाज मीर ने पिछले मंगलवार को निकटवर्ती सैन्य शिविर में फोन पर संपर्क किया। उसने बताया था कि उसकी पत्नी शमीमा को प्रसव पीड़ा हो रही है। उसे अस्पताल पहुंचाना है, लेकिन बर्फ के चलते रास्ता बंद है। अस्पताल में पहुंचाने में असमर्थ है। अगर समय पर मदद नहीं मिली तो जच्चा-बच्चा दोनों की जिदगी खतरे में पड़ जाएगी। इसके बाद उपलोना गांव में स्थित सैन्य यूनिट बेस कमांडर ने अपने दल को साथ लिया और पांच किलोमीटर बर्फ में पैदल चलकर उसके पास पहुंचे। वह साथ में डॉक्टर व दवाइयां भी ले गए। सौ जवानों के तीन दल बनाए

बेस कमांडर ने तीन दल बनाए। एक दल को रास्ता साफ करने का जिम्मा दिया गया। दूसरे दल ने हैलीपैड तक बर्फ को हटाया और तीसरे ने हैलीपैड से कांसीपोर तक रास्ता बनाया। इस पूरे अभियान में सेना के 100 जवान और अधिकारियों के अलावा 25 नागरिकों ने योगदान किया। करीब छह घंटे अभियान चला। सैन्यकर्मियों का एक दल स्ट्रेचर पर महिला को उठाकर चल रहा था। आगे-आगे जवानों का एक दल बर्फ हटा रास्ता बना रहा था। रास्ते में कमर की ऊंचाई तक बर्फ थी। महिला ने बेटे को जन्म दिया

महिला को पहले उपलोना लाया गया, जहां उसे प्राथमिक उपचार दिया गया। यहां सैन्य एंबुलेंस से बारामुला अस्पताल ले जाया गया। एंबुलेंस के साथ सेना का एक डॉक्टर भी था। रास्ते में भी कई जगह सेना के जवानों ने सड़क से बर्फ हटाई। अस्पताल में महिला ने बच्चे को जन्म दिया। अवाम मेरी जान: लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लों

अवाम मेरी जान के उददेश्य और भावना का जिक्र करते हुए सेना की 15वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने कहा कि आम नागरिक व सेना हमेशा ही एक दूसरे के हमसाया और एक दूसरे की परछाया है। दोनों ही एक दूसरे के सुख-दुख और चुनौतियों का मिलकर सामना करते हैं। इसी भावना को ध्यान में रखते हुए सैन्य शिविरों के मोबाइल नंबर भी आम लोगों के साथ साझा किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह तो मौके पर मौजूद सैन्य अधिकारियों व जवानों की सूझबूझ थी, जिन्होंने महिला को बचाने के लिए एक बहुआयामी रणनीति अपनाई। उन्होंने कहा कि खैरियत दस्तों के गठन के बाद संबंधित सैन्य यूनिट अपने कार्याधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी गांवों और बस्तियों में उनके नंबर को प्रचारित करें ताकि किसी भी आपात स्थिति में ग्रामीण मदद के लिए संपर्क कर सकें। पीएम मोदी ने भी प्रशंसा

सैन्यकर्मियों द्वारा समय पर की गई इस मदद को सभी सराह रहे हैं। आम कश्मीरी ही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बर्फ में स्ट्रेचर पर गर्भवती महिला को उठाकर चल रहे जवानों के वीडियो के साथ ट्वीट किया है। उन्होंने जवानों की कर्तव्यनिष्ठा और आम जन के प्रति सेवाभावना की प्रशंसा की है।


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