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एलएसी पर रेचना ला व रेजांगला चोटी पर पहुंचने वाले पहले थल सेना अध्यक्ष बने जनरल नरवाने

भारतीय थल सेना के लिए वीरवार को गौरव का क्षण रहा जब जनरल एमएम नरवाने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर रेचन ला और रेजांगला चोटियों पर पहुंचे। इन दोनों दुर्गम चोटियों पर पहुंचने वाले जरनल नरवाने पहले थल सेना अध्यक्ष हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 Dec 2020 06:01 AM (IST)Updated: Fri, 25 Dec 2020 06:01 AM (IST)
एलएसी पर रेचना ला व रेजांगला चोटी पर पहुंचने  वाले पहले थल सेना अध्यक्ष बने जनरल नरवाने
एलएसी पर रेचना ला व रेजांगला चोटी पर पहुंचने वाले पहले थल सेना अध्यक्ष बने जनरल नरवाने

राज्य ब्यूरो, जम्मू : भारतीय थल सेना के लिए वीरवार को गौरव का क्षण रहा, जब जनरल एमएम नरवाने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर रेचन ला और रेजांगला चोटियों पर पहुंचे। इन दोनों दुर्गम चोटियों पर पहुंचने वाले जरनल नरवाने पहले थल सेना अध्यक्ष हैं। इस मौके पर उन्होंने 12 सैनिकों को थलसेना अध्यक्ष प्रशस्तिपत्र से सम्मानित किया। इन जवानों ने रणनीतिक रूप से अहम इन चोटियों को अपने कब्जे में लेने में अहम भूमिका निभाई है। रेचन ला और रेजांगला चोटी पर तैनात जवानों से उन्होंने काफी देर तक बात की।

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भारतीय सेना की स्पेशल फोर्स ने इसी वर्ष 29-30 अगस्त की रात को इन सीधी चढ़ाई वाली चोटियों पर तिरंगा लगाकर चीन को रणनीतिक रूप से मात दी थी। इन चोटियों पर जवानों के पहुंचने से चीन के मुकाबले भारतीय सेना की स्थिति और मजबूत हो गई है। शून्य से 35 डिग्री से कम तापमान में जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए आर्मी चीफ बुधवार को ही इन चोटियों पर जाने के लिए लद्दाख पहुंच गए थे। रेजांगला की चोटी पर वर्ष 1962 में मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में जवानों ने चीन के सैनिकों से लड़ते हुए वीरता के नए कीर्तिमान स्थापित किए थे। तब से ही ये दोनों चोटियां खाली थीं। अब गलवन में उपजे हालात को देखते हुए भारतीय सेना ने इन चोटियों पर डेरा डाल लिया है। जनरल नरवाने ने रेजांगला चोटी पर उन शहीदों को भी श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने करीब 58 साल पहले वहां युद्ध में बलिदान दिया था। थल सेना अध्यक्ष ने जवानों की वीरता को सलाम किया।

थलसेना अध्यक्ष ने बुधवार को वास्तविक नियंत्रण रेखा के रेचिन ला और पैंगोंग झील से सटे कुछ इलाकों का दौरा कर सुरक्षा हालात का जायजा लिया था। उन्होंने सेना के वरिष्ठ अधिकारियों से जमीनी हालात के बारे में जानकारी ली थी। साथ ही केक काटकर क्रिसमस की खुशियां साझा की थीं।


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