जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग के प्रस्तावित प्रारूप के खिलाफ अपनी पार्टी कश्मीर में 29 को निकालेगी रोष रैली
परिसीमन आयोग ने जो प्रस्तावित प्रारुप पेश किया है उससे लोगों में डर व रोष पैदा हो गया है। इससे कश्मीर में हालात सुधरेंगे नहीं बिगड़ेंगे। उन्होंने कहा कि हमने इसके खिलाफ अपना एतराज जताने के लिए 29 दिसंबर को एक रोष मार्च निकालने का फैसला किया है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी ने जम्मू कश्मीर परिसीमन के प्रस्तावित प्रारुप के खिलाफ 29 दिसंबर को एक रोष रैली निकालने का एलान किया है। अपनी पार्टी के चेयरमैन सैयद अल्ताफ बुखारी ने कहा कि रैली में शामिल सभी नेताओं व कार्यकर्ताओं के मुहं पर पट्टियां बंधी होंगी, कंधो पर काला कपड़ा बंधा होगा।
पार्टी कार्यकारिणी की एक बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए सैयद अल्ताफ बुखारी ने कहा कि परिसीमन आयोग ने जम्मू कश्मीर के परिसीमन का जो प्रस्तावित प्रारूप तैयार किया है, वह अस्वीकार्य है। आयोग ने नियमों और संविधान की उपेक्षा की है और राजनीतिक प्राथमिकताओं को ध्यान में रखा है। नियमों के मुताबिक, यह 2011 की जनगणना के मुताबिक होना चाहिए,जिसमें कश्मीर प्रांत में विधानसभा की सीटें बढ़तीं। आयोग ने जम्मू प्रांत में छह सीटें बढ़ाई और कश्मीर में एक।
सैयद अल्ताफ बुखारी ने कहा परिसीमन आयोग ने जो प्रस्तावित प्रारुप पेश किया है, उससे लोगों में डर व रोष पैदा हो गया है। इससे कश्मीर में हालात सुधरेंगे नहीं बिगड़ेंगे। उन्होंने कहा कि हमने इसके खिलाफ अपना एतराज जताने के लिए 29 दिसंबर को एक रोष मार्च निकालने का फैसला किया है। यहां जिस तरह से लोगों की उम्मीदों की उपेक्षा हो रही है, नियमों को ताक पर रखा जा रहा है, उसे देखते हुए हमने रोष मार्च के समय कंधों पर काला कपड़ा बंधा होगा। मुंह पर पट्टियां बंधी होंगी।
उन्होंने कहा कि हमारी प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री से अपील है कि वह इस मामले में हस्ताक्षेप कर, कश्मीर के साथ हो रहे अन्याय को रोकें। उन्होंने कहा कि हम चाहते है कि परिसीमन जल्द हो, लेकिन नियमों के आधार पर हो।
आपको बता दें कि जिस दिन से जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग ने नई दिल्ली में आयोजित बैठक के दौरान जम्मू संभाग के लिए छह सीटें व कश्मीर के लिए एक सीट बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है, तब से ही कश्मीर केंद्रित दल इसके खिलाफ हो गए हैं। जम्मू को मजबूत होता देख उन्हें बर्दाश्त नहीं हो रहा और तब से ही ये दल इस फैसले के खिलाफ आंदोलन शुरू करने का एलान कर रहे हैं। हालांकि कश्मीर संभाग में जनता ने इस फैसले के खिलाफ एक बार भी सड़कों पर आकर अपना विरोध जाहिर नहीं किया है।