दोनों मुल्कों के बीच परंपरागत रास्ते खोले जाएं : फारूक
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : नेशनल काफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने रविवा
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : नेशनल काफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि करतारपुर गलियारे को जिस भावना से खोला गया है, उसी भावना के तहत भारत व पाकिस्तान सरकार को राज्य में अंतरराष्ट्रीय सीमा (आइबी) व नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर स्थित सभी रास्तों को खोल देना चाहिए। दोनों मुल्कों के लोगों में जितना संवाद होगा और दोस्ती होगी, उतना ही आसान दो मुल्कों के बीच लटके पड़े सभी मसलों का हल होगा।
उन्होंने जम्मू कश्मीर के लिए स्वायत्तता का समर्थन करते हुए कहा कि हम पर राज्य के हितों से खिलवाड़ का आरोप लगाने वाले सज्जाद गनी लोन के पिता ही कश्मीर में बंदूक लेकर आए थे। रविवार को उत्तरी कश्मीर में जिला बारामुला के दीवान बाग में पहले एक सभा और उसके बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए डॉ. फारूक ने अपने चिर परिचित अंदाज में कहा कि मैं भारत व पाकिस्तान की हुकूमत से अपील करता हूं कि दोनों मुल्कों के बीच सभी परंपरागत रास्ते खोले जाएं। इससे सरहद के दोनों तरफ आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने के अलावा भारत और पाकिस्तान के बीच दोस्ती बढ़ेगी। दोनों तरफ के लोगों के बीच संवाद-संपर्क और विश्वास बहाली के अन्य कदमों से दोनों मुल्कों के बीच जो अविश्वास की भावना है, वह समाप्त हो जाएगी।
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सत्ता नहीं रियासत प्यारी
डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने पीडीपी के साथ गठबंधन को सही ठहराते हुए कहा कि हमने यह गठजोड़ कुर्सी के लिए नहीं किया था। हमारे लिए रियासत जरूरी है। इसकी विशिष्ट पहचान, इसके लोगों का हक और इज्जत जरूरी है। धारा 35-ए और धारा 370 पर खतरा मंडरा रहा था, इसलिए हमने पीडीपी को सरकार बनाने के लिए सहयोग देने का फैसला किया। हम सरकार नहीं बनाना चाहते थे। हम 35-ए को बचाना चाहते थे। अगर यह सरकार बन भी जाती तो ज्यादा देर नहीं चलती और एक दिन गिरनी ही थी। चुनाव होना ही था। आखिरमें लोगों को ही निर्णय लेना है कि क्या होना है। पीडीपी, नेशनल काफ्रेंस व काग्रेस के रास्ते व नीतिया अलग हैं, लेकिन हम साथ आए क्यों? आज जम्मू कश्मीर बैंक की हालत देख लें, अगर हमारी सरकार होती तो ऐसा नहीं होता। नेशनल काफ्रेंस कभी सत्ता की भूखी नहीं रही है। अगर होती तो मेरे पिता दो दशकों तक जेल में नहीं रहते। जगमोहन को जब राज्यपाल बनाया गया तो मैंने मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया था। हमारे लिए रियासत और इसके लोगों को मान सम्मान जरूरी है।
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सज्जाद के पिता ने लाई थी बंदूक
पीपुल्स काफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन की ओर से नेशनल काफ्रेंस पर धारा 370 को नुकसान पहुंचाने के आरोपों को नकारते हुए डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मुझे पता है कि सज्जाद लोन ने मुझ पर और हमारी पार्टी पर कई आरोप लगाए हैं, लेकिन मैं कुछ नहीं कहूंगा। मुझे सब पता है कि किसने क्या किया है। उनके पिता मेरे पास आए थे। उन्होंने मुझे कहा कि सज्जाद के पिता अब्दुल गनी लोन पाकिस्तान जाएंगे और बंदूक लेकर आएंगे। मैंने उनसे ऐसा न करने का आग्रह किया, क्योंकि मैं जानता था कि यह बंदूक सिर्फ हम कश्मीरियों को ही बर्बाद करेगी। मैंने उनसे कहा था कि वह यहा बंदूक न लाएं। मैंने कहा था कि इससे कश्मीर में बहुत खून खराबा होगा। हमारे ही जवान मारे जाएंगे। हमारी मा-बहनों की इज्जत नहीं रहेगी, लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं मानी। बाद में एक दिन उन्होंने अपनी गलती को माना।
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स्वायत्तता ही एकमात्र हल
डॉ. फारूक ने कहा कि राज्य के लिए 1953 की पूर्व संवैधानिक स्थिति और स्वायत्तता की बहाली ही कश्मीर समस्या का एकमात्र व्यावहारिक हल है। इससे ही केंद्र व राज्य के रिश्ते मजबूत होंगे। केंद्र ने हमारे स्वायत्तता संबंधी प्रस्ताव को टाला है, रद नहीं किया है। वह इसे खारिज नहीं कर सकता क्योंकि जम्मू कश्मीर के लोगों ने यह माग संविधान के दायरे में रहते हुए ही की है। यह प्रस्ताव पूरी तरह संवैधानिक प्रक्रिया के तहत ही विधानसभा में पारित हुआ था।
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बैंकको पीएसयू न बनाएं राज्यपाल
राज्य में विभिन्न संस्थानों के ढाचे व गतिविधियों में राज्यपाल प्रशासन की ओर से लाए जा रहे बदलाव पर एतराज जताते हुए फारूक ने कहा कि इस समय राज्य में निर्वाचित सरकार नहीं है। राज्यपाल प्रशासन हमारे संस्थानों से छेड़छाड़ कर रहा है। उसे ऐसा नहीं करना चाहिए। मैं राज्यपाल प्रशासन से आग्रह करता हूं कि वह जम्मू कश्मीर बैंक को पीएसयू में बदलने के प्रशासनिक परिषद के फैसले को रद करे क्योंकि यह फैसला जम्मू कश्मीर बैंक को तबाह करने वाला है।
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