Kashmir Situation: नशे की लत में पड़े बच्चों की पहचान करेंगे शिक्षक, स्कूलों के ढांचे पर 74 करोड़ खर्च
नए जम्मू कश्मीर में अब नशे की लत में पड़े बच्चों और युवाओं की पहचान शिक्षक करेंगे। राज्य के युवाओं में नशे की बढ़ रही आदतों को देखते हुए अब प्रशासन गंभीर हो गया है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। नए जम्मू कश्मीर में अब नशे की लत में पड़े बच्चों और युवाओं की पहचान शिक्षक करेंगे। राज्य के युवाओं में नशे की बढ़ रही आदतों को देखते हुए अब प्रशासन गंभीर हो गया है। अब छोटी उम्र में ही नशे में पड़ रहे बच्चों की पहचान का जिम्मा शिक्षकों को सौंपा जा रहा है। इसके लिए शिक्षकों को विशेष ट्रेनिंग दी गई है ताकि वे नशीले पदाथों का सेवन करने वाले बच्चों की पहचान कर सकें।
इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज कश्मीर में कुल 30 शिक्षकों को ट्रेनिंग दी गई है। ट्रेनिंग का आयोजन मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के चाइल्ड गाइडेंस और वेलबींग सेंटर ने किया। इस ट्रेनिंग के समापन समारोह में पहुंचे स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के वित्तीय आयुक्त अटल ढुल्लू का कहना है कि ट्रेनर्स को ट्रेनिंग देना जम्मू कश्मीर ड्रग डी-एडिक्शन पॉलिसी का हिस्सा है। इस पॉलिसी के सभी पहलुओं को कवर किया जा रहा है। प्रशिक्षित शिक्षक न सिर्फ नशा करने वाले बच्चों, बल्कि मानसिक रूप से अस्वस्थ बच्चों की भी पहचान करेंगे।
उन्होंने कहा कि राज्य में कुछ वर्ष में नशे के बढ़ते मामलों को देखते हुए ही पॉलिसी बनाई गई थी। इसमें नशे की रोकथाम, जागरूकता और पीड़ितों के इलाज पर जोर दिया गया है। इसमें नशा मुक्ति केंद्रों को मुख्य अस्पतालों के साथ जोड़ा जाएगा। नशा छुड़ाने के बाद नशा करने वालों का पुनर्वास भी किया जाएगा।
उन्होंने नए मेडिकल कॉलेजों में भी जनवरी 2020 तक नशा मुक्ति केंद्र स्थापित करने और डॉक्टरों व अन्य सभी हितधारकों से नशे की समस्या को खत्म करने को कहा। जीएमसी श्रीनगर के डॉ. परवेज अहमद शाह ने कहा कि इससे बच्चों में नशे की समस्या दूर करने में मदद मिलेगी। जीएमसी श्रीनगर में मनोरोग विभाग के एचओडी डॉ. मोहम्मद मकबूल ने उम्मीद जताई कि शिक्षकों को भी काफी लाभ होगा।
राज्य में शिक्षा का ढांचा मजबूत करने के लिए समग्र शिक्षा अभियान के तहत 74 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। स्कूल शिक्षा विभाग की आयुक्त सचिव सरिता चौहान ने यह जानकारी दी है। समग्र शिक्षा विभाग के प्रोजेक्ट डायरेक्टर अरुण मन्हास ने बताया कि मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान 10 लड़कियों के हॉस्टल, 245 अतिरिक्त क्लास रूम, 11 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, 174 चारदीवारी और 217 शौचालय बनाए गए है।