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Militancy in Kashmir : हमलों और आतंकी संगठनों में युवाओं की भर्ती के मामलों में 40 फीसद आई कमी

मौजूदा वर्ष के पहले नौ माह की तुलना अगर वर्ष 2020 के पहले नौ माह से करें तो आतंकियों की भर्ती और हमलों में 40 फीसद की कमी आयी है। इस वर्ष अब तक करीब 120 आतंकी मारे गए हैं।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Fri, 01 Oct 2021 08:45 PM (IST)Updated: Fri, 01 Oct 2021 08:45 PM (IST)
Militancy in Kashmir : हमलों और आतंकी संगठनों में युवाओं की भर्ती के मामलों में 40 फीसद आई कमी
30 सितंबर 2021 तक सुरक्षाबलाें ने विभिन्न मुठभेड़ों में 120 आतंकियों को मार गिराया

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : घाटी में अनुच्छेद 370 की समाप्ति का असर अब आतंकी हमलों और नए आतंकियों की भर्ती में कमी के रूप में साफ नजर आने लगा है। मौजूदा वर्ष के पहले नौ माह की तुलना अगर वर्ष 2020 के पहले नौ माह से करें तो आतंकियों की भर्ती और हमलों में 40 फीसद की कमी आयी है। इस वर्ष अब तक करीब 120 आतंकी मारे गए हैं। इसके अलावा सरेंडर करने वाले आतंकियों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है।

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सुरक्षा एजेंसियों से मिली जानकारी के अनुसार, पहली जनवरी 2021 से 30 सितंबर 2021 तक सुरक्षाबलाें ने विभिन्न मुठभेड़ों में 120 आतंकियों को मार गिराया, जबकि बीते साल इसी अवधि में 146 आतंकी मारे गए थे। अलबत्ता, इस वर्ष मारे गए 120 आतंकियाें में विदेशी आतंकी सिर्फ 15 ही है। इसके अलावा आतंकी हमलों में भी गिरावट आयी है। पहली जनवरी 2020 से 30 सितंबर, 2020 तक आतंकियों ने करीब 90 वारदातों को अंजाम दिया था। इनमे नागरिक हत्याएं, ग्रेनेड हमले, सुरक्षाबलों पर फायरिंग शामिल है जबकि इस वर्ष अब तक सिर्फ 54 आतंकी घटनाएं हुई हैं। आंकड़ों के आधार पर आतंकी हमलों में 40 फीसद की कमी है।

आतंकी हिंसा में मरने वालों की संख्या में भी कमी साफ नजर आती है। पिछले साल पहले नौ माह के दौरान 42 सुरक्षाकर्मी और नागरिक मारे गए थे, जबकि इस वर्ष पहली जनवरी से 30 सितंबर, 2021 आतंकी हमलों मेंं 19 सुरक्षाकर्मी और नागरिक मारे गए हैं। नागरिकों व सुरक्षाकर्मियों की आतंकी हमलों में मौत के मामले 55 फीसद घटे हैं। उन्होंने बताया कि इस दौरान आतंकी संगठनों में स्थानीय युवाओं की भर्ती में भी उल्लेखनीय कमी आयी है। यह सबसे ज्यादा संतोषजनक बात है। वर्ष 2020 के पहले नौ माह में पूरे कश्मीर में करीब 146 लड़के आतंकी बने थे। इस वर्ष पहली जनवरी से 30 सितंबर तक सिर्फ 91 कश्मीरी लड़कों के आतंकी बनने की पुष्टि हुई है। आतंकी भर्ती में करीब 40 फीसद कमी आयी है।

एसएसपी इम्तियाज ने कहा कि मारे गए आतंकियों की संख्या से कहीं ज्यादा अहम आतंकी संगठनों में भर्ती का आंकड़ा होता है। जब तक आतंकी संगठनों में भर्ती नहीं रुकेगी, आतंकवाद जिंदा रहेगा। बीते कुछ वर्षाें के दौरान राष्ट्रविरोधी तत्वों के दुष्प्रचार से गुमराह होकर कई कश्मीर लड़के आतंकी बने हैं। वर्ष 2014 के बाद से अब तक करीब सात-अाठ सौ लड़के आतंकी बने हैं। इनमेें से अधिकांश मारे जा चुके हैं। पिछले साल आतंकी बनने वाले लड़कोंं की संख्या 200 के पार पहुंच गई थी। उन्होंने कहा कि इस वर्ष अब तक 91 लड़के आतंकी बने हैं।

पांच अगस्त 2019 के फैसले का सकारात्मक परिणाम : कश्मीर मामलों के जानकार आसिफ कुरैशी ने कहा कि आतंकी संगठनों में स्थानीय युवाओं की भर्ती में कमी पांच अगस्त, 2019 के केंद्र सरकार के फैसले का सकारात्क परिणाम है। इसके बाद कश्मीर में जो हालात बदले हैं, उसमें अलगाववादी और राष्ट्रविरोधी तत्वों का ऑनग्राउंड दुष्प्रचार लगभग समाप्त हो गया है। इंटरनेट मीडिया पर भी विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों ने राष्ट्रिविरोधी और जिहादी तत्वेां के दुष्प्रचार के खिलाफ अभियान चला रखा है। इसके अलावा युवाओं को खेल गतिविधियों मेंं, समाज कल्याण और राष्ट्रनिर्माण की गतिविधियों में उनकी ऊर्जा को लगाया जा रहा है।

अब युवाओं में एक नयी उम्मीद पैदा हो रही है और वह मुख्यधारा के साथ जुड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आतंकी संगठनों में स्थानीय युवाओं की भर्ती को शून्य तक लाना बहुत जरूरी है,तभी कश्मीर में आतंकी हिंसा पूरी तरह समाप्त होगी। हम यह कह सकते हैँं कि इस साल अब तक जो आंकड़े उपलब्ध हैं, वह कश्मीर में स्थानीय युवाओं की इआतंकी संगठनों में भर्ती पर रोक, बढृे मां-बाप के कंधोे पर जवान बेटों की अर्थी का बोझ समाप्त करने की उम्मीद जगा रहे हैं।


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