कश्मीर के पुलवामा में 30 सिख सरपंच और पंच ने दिया त्यागपत्र
दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के 35 पंच-सरपंचों ने किया त्यागपत्र देने का ऐलान। पिछले महीने ही यह पंच-सरपंच चुने गए थे।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। सरपंच के भाई की आतंकियों द्वारा हत्या और उस पर अलगाववादी खेमे की चुप्पी से कश्मीर में रहने वाले सिख समुदाय में रोष पैदा होने लगा है। दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में सिख समुदाय से 35 पंचायत प्रतिनिधियों ने रोष स्वरुप जिला प्रशासन को अपने तथाकथित इस्तीफे सौंप दिए हैं।
सिख समुदाय ने अलगाववादी खेमे के प्रति नाराजगी जताते हुए कहा कि इससे न सिर्फ उनकी साख को बट्टा लगा है बल्कि कश्मीर में जो सिख- मुस्लिम भाईचारे की बात होती है, उसे भी ठेस पहुंची है।
अलबत्ता, जिला उपायुक्त पुलवामा जीएम डार ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि मैने भी सुना है, कि इस्तीफा दिया गया है। लेकिन मेरे पास कोई इस्तीफा नहीं पहुंचा है। मैने संबधित तहसीलदारों से भी बातचीत की है। पंचायत राज मामलों के विभाग के पास भी कोई सूचना नहीं है।
गौरतलब है कि आतंकियों की धमकियों और अलगाववादियों के चुनाव बहिष्कार के फरमान के बीच गत दिसंबर 2018 को ही जम्मू कश्मीर में पंचायत चुनाव संपन्न हुए हैं। चुनाव प्रक्रिया के संपन्न होने के बाद गत सप्ताह आतंकियों ने त्राल में खसीपोरा के सरपंच के भाई सिमरनजीत सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस घटना की न किसी आतंकी संगठन ने जिम्मेदारी ली और न किसी अलगाववादी संगठन ने इस हत्या पर अपना मुंह खोला। दिवंगत का बड़ा भाई राजेंद्र सिंह सरपंच है। वह कभी कांग्रेस के प्रतिष्ठित कार्यकत्ता थे,लेकिन पंचायत चुनाव वह कांग्रेस से अलग होकर लड़े थे।
गत रोज आल पार्टी सिख कोआर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैर स जगमोहन सिंह रैना के नेतृत्व में सिख समुदाय के कुछ नेता दिवंगत सिमरनजीत सिंह के घर पहुंचे। उन्होंने दिवंगत के परिजनों के साथ संवेदना जताई और वहीं पर जिला पुलवामा के अंतर्गत विभिन्न पंचायतों में पंच-सरपंच बने सिखों के सामूहिक इस्तीफे का फैसला हुआ।यहां यह भी याद रहे सिख कोआडिनेशन कमेटी ने कश्मीर में 35 ए और धारा 370 के मुददे पर अलगाववादियों की तर्ज पर पंचायत व निकाय चुनावों के बहिष्कार का फैसला किया था। जगमोहन सिंह रैना उस सीविल सोसाईटी समूह के सक्रिय सदस्य रहे जो इन चुनावों के खिलाफ अक्सर पत्रकार वार्ताओं को आयोजन कर चुनाव बहिष्कार के लिए जुटी हुई थी।
जगमोहन सिंह रैना ने कहा कि हम सिर्फ सिमरनजीत सिंह के कातिलों का पता चाहते हैं, हम उसके साथ न्याय की मांग करते हैं। हम चाहते हैं कि हुर्रियत कांफ्रेंस भी इस हतया की निंदा करे,लेकिन वह चुप है। पुलिस भी इस मामले की जांच में कोई आगे नहीं बड़ सकी है। त्राल मे हमारे समुदाय के एक युवक की हत्या के बाद करीब 30 पंच-सरपंचों ने सामूहिक इस्तीफा दिया है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार यहां सिखों की सुरक्षा में नाकाम रही है। कश्मीर में अब कुछ ताकतें बरसों से चले आ रहे सिख-मुस्लिम भाईचारे को नुकसान पहुंचाने पर तुली हैं। हुर्रियत कांफ्रेस ने भी इस घटना पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है। पूरे समुदाय में डर का माहौल है।
सरपंच राजेंद्र सिंह ने कहा कि पहले हमारे घर पर ग्रेनेड से हमला हुआ, उसके बाद मेरे भाई की हतया कर दी गई। इससे हमारा पूरा परिवार डरा हुआ है,हमारे समुदाय के लोग भी भय में हैं। इसलिए हमने सरपंच के पद से इस्तीफे का फैसला किया है। चित्रीगाम के सरपंच तारा सिंह ने कहा कि चुनावों से कुछ दिन पूर्व हमारे गांव में आतंकियों ने पोस्टर लगाए थे। मैने उसी समय अपना इस्तीफा दे दिया था,हालांकि चुनाव नहीं हुआ था। मैं निव्रिरोध चुना गया था। मेरे अलावा 34 और लोगों ने इस्तीफे दिए हैं।
यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि आतंकियों और अलगाववादियों के चुनाव बहिष्कार के आहवान के चलते पुलवामा जिले में बहुत ही कम जगहों पर पंच-सरपंच के लिए लोग चुनाव लड़ने सामने आए थे। अधिकांश इलाकों में सिख समुदाय या विस्थापित कश्मीरियो ने चुनाव लड़ा जो निर्विरोध जीते हैं।