Jammu Kashmir : रोष मार्च निकालने वाले 19 पीडीपी नेताओं ने जमानती बांड भरने से किया इन्कार
निषेधाज्ञा का उल्लंघन कर नए भूमि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के 19 नेताओं ने जमानती बांड पर हस्ताक्षर करने से मनाकर दिया। उन्होंने कहा कि वह कोई अलोकतांत्रिक और गैरकानूनी कार्य नहीं कर रहे थे।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। निषेधाज्ञा का उल्लंघन कर नए भूमि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के 19 नेताओं ने जमानती बांड पर हस्ताक्षर करने से मनाकर दिया। उन्होंने कहा कि वह कोई अलोकतांत्रिक और गैरकानूनी कार्य नहीं कर रहे थे। शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करना उनका संवैधानिक अधिकारी है।
संबंधित अधिकारियों ने बताया कि 29 अक्टूबर को पीडीपी के कई नेताओं ने श्रीनगर में नए भूमि कानूनों के खिलाफ एक रोष मार्च का प्रयास किया था। मार्च को नाकाम बनाते हुए पुलिस 19 नेताओं को हिरासत में लिया था। इन सभी को उसी शाम रिहा किया गया था। इनके खिलाफ तहसील कार्यालय दक्षिण श्रीनगर की अदालत में मामला दायर है। इन नेताओं में पूर्व एमएलसी खुर्शीद आलम,वहीद उर रहमान पारा, डा हरबख्श सिंह और प्रमुख प्रवक्ता सुहैल अहमद बुखारी भी शामिल हैं।
सभी को एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट दक्षिण श्रीनगर की अदालत में पेश किया। इन नेताओं ने जमानती बांड पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। बांड पर लिखा था कि मैं केंद्र शासित जम्मू कश्मीर के स्थाायी नागरिक हैं। हमारे खिलाफ धारा 107/151 के मामले दर्ज हहैं। आगे से मैं किसी गैर कानूनी और राष्ट्रविरोधी गतिविधि में शामिल नहीं रहूंगा।अगर ऐसी किसी गतिविधि में लिप्त पाया जाता हूं तो मैं संबधित कानून के तहत कार्रवाई व सजा का अधिकारी हूं।
पीडीपी की युवा इकाई के प्रदेशाध्यक्ष वहीद उर रहमान पारा ने कहा कि हमसे जो हल्फनामा मांगा जा रहा है,वह लोकतंत्र मेंअस्वीकार्य है। हमने संविधान और कानून के दायरे में रहते हुए ही विरोध जताने का प्रयास किया था। यह हमारा संवैधानिक अधिकार है। हमने काई हिंसा नहीं की और न कोई भड़काऊ नारेबाजी की। फिर भी हमसे बांड पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा जा रहा है।
24 नवंबर को सुनवाई: डीएसपी रैंक के एक अधिकारी ने कहा कि अब अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी। अगर पीडीपी नेता बांड नहीं भरेंगे तो उन्हेंं गिरफ्तार भी किया जा सकता है। यह तो कानून व्यवस्था बनाए रखने की प्रक्रिया का वैधानिक नियम है। उन्हेंं इसकी अवज्ञा नहीं करनी चाहिए।
महबूबा ने निकाली भड़ास: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने ट्विटर पर अपनी भड़ास निकाली है। उन्होंने लिखा कि आखिर वह कौन सा लोकतंत्र हैं जहां शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन एक राष्ट्रविरोधी कृत्य माना जाता है? बीते सप्ताह पीडीपी सदस्यों ने जम्मू कश्मीर में नए भूमि कानूनों के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से जुलूस निकालने का प्रयास किया था। उन्होंने हल्फनामे पर हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया क्योंकि इसमें उन्हेंं राष्ट्रविरोधी कहा है। भाजपा की सांप्रदायिक और असंवैधानिक विचारधारा के साथ असहमति कब से राष्ट्रविरोधी और राष्ट्रद्रोह हो गई है? ऐसा लगता है कि दुनिया के सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत अब सिर्फ कागजों में ही लोकतंत्र रह गया है।