कालाकोट के गांव में पानी के लिए हाहाकार
संवाद सहयोगी कालाकोट तहसील कालाकोट के ग्रामीण इलाकों में पेयजल की समस्या बदस्तूर जारी
संवाद सहयोगी, कालाकोट : तहसील कालाकोट के ग्रामीण इलाकों में पेयजल की समस्या बदस्तूर जारी है। यहां के लोगों को गर्मी, सर्दी तो दूर बरसात के मौसम में भी पीने के पानी के लिए दरबदर होना पड़ता है। तहसील में रोजाना कहीं न कहीं पेयजल की किल्लत को लेकर लोग सड़क पर धरना-प्रदर्शन करते नजर आ जाते हैं। विरोध प्रदर्शन के दौरान पीएचई विभाग और प्रशासनिक अधिकारी समस्या के समाधान का आश्वासन तो देते हैं, लेकिन उस पर अमल कभी नहीं होता। यही वजह है कि कालाकोट में पेयजल की समस्या हल होने के बजाय दिन प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि मौजूदा समय में सर्दी का मौसम शुरू हो चुका है। हालांकि, अभी ही बरसात का मौसम खत्म हुआ है। तहसील के प्राकृतिक जलस्रोतों में पानी भी भरा है। इसके बावजूद पीएचई विभाग लोगों को पेयजल मुहैया करवाने में विफल साबित हो रहा है। यही वजह है कि तहसील के कई गांवों में पेयजल को लेकर हाहाकार मचा हुआ है।
गांव सिबल गाला, कल्यार, गुलाबगढ़, तलवाना, खिजून आदि गांवों में पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता मास्टर केवल शर्मा के समक्ष लोगों ने पानी की समस्या को जोर-शोर से उठाया। पूर्व पंच खिजून सीताराम, बलदेव राज, मुहम्मद लतीफ, बंसीलाल, सुखराम आदि ग्रामीणों ने बताया कि गांवों में जल संकट गहराया हुआ है। पानी की बूंद-बूंद के लिए लोग परेशान होने लगे हैं। उन्होंने कहा कि इन गांव में पानी की कोई भी योजना काम नहीं कर रही। जो योजनाएं पानी की बनाई गई हैं उन पर करोड़ों रुपए खर्च हुए, लेकिन पानी लोगों को मुहैया नहीं हुआ। ग्रामीणों ने कहा कि इस समय लोग पानी दो व तीन किलोमीटर दूर से पानी लाकर काम चला रहे हैं और जलस्त्रोतों चश्मों में भी पानी नाममात्र ही बचा है। ऐसे में आने वाले दिनों में स्थिति और भी भयानक हो जाएगी। वहीं ग्रामीणों को आश्वासन देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता मास्टर केवल शर्मा ने कहा कि कुछ दिन पहले आप लोगों की पानी की समस्या को लेकर एईई कालाकोट से मिलकर उनसे जुगरियाल व बलियाना पेयजल योजना चलाने की मांग को उठाया गया था। जिस पर उन्होंने आश्वासन दिया था कि जल्द ही योजनाएं चलाकर पानी की समस्या दूर की जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर पानी की समस्या का समाधान नहीं हुआ तो सभी ग्रामीण आने वाले दिनों में प्रदर्शन करने पर मजबूर हो जाएंगे। इसके लिए पीएचई विभाग जिम्मेदार होगा।