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Rajouri Day 2021 : पाकिस्तान साजिशें रचता रहा, राजौरी करारा जवाब देता रहा

1948 में मुंह की खाने के बावजूद पाकिस्तान बार-बार साजिशें रचता रहा। 1965 या 1971 की जंग और उसके बाद आतंक के नाम पर राजौरी को सुलगाने की साजिशें जारी रहीं। पर सुरक्षाबलों के हौसले और राजौरी के राष्ट्रभक्त लोगों के जज्बे के सामने उसके सभी मंसूबे ध्वस्त हो गए।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 06:40 AM (IST)Updated: Tue, 13 Apr 2021 10:59 AM (IST)
Rajouri Day 2021 : पाकिस्तान साजिशें रचता रहा, राजौरी करारा जवाब देता रहा
सुरक्षाबलों के हौसले और राजौरी के राष्ट्रभक्त लोगों के जज्बे के समक्ष सभी पाकिस्‍तानी साजिशें विफल हो गईं।

गगन कोहली, राजौरी :1948 में मुंह की खाने के बावजूद पाकिस्तान बार-बार राजौरी में साजिशें रचता रहा। 1965 हो या 1971 की जंग और उसके बाद आतंक के नाम पर राजौरी को सुलगाने की साजिशों को हवा देता रहा। पर सुरक्षाबलों हौसले और यहां के राष्ट्रभक्त लोगों के जज्बे के सामने उसके सभी मंसूबे ध्वस्त हो गए। अब भी उसकी साजिशों का करारा जवाब राजौरी लगातार दे रहा है।

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1965 War : मौलवी गुलाम-उल-दीन ने सही समय पर दी सेना को सूचना: 1965 की जंग से पूर्व ही पाक सेना राजौरी पर कब्जे की साजिश बुन रही थी। नियंत्रण रेखा के करीब घरों में सेना के जवानों को तैनात कर दिया गया था। खेतों में गड्ढे खोद कर तोपों को छुपा दिया था और बड़े हमले की साजिश रची जा रही थी। मवेशी लेकर नियंत्रण रेखा के पार गए मौलवी गुलाम-उल-दीन ने पाकिस्तान की पूरी तैयारी देखी और पाकिस्तान की साजिशों की सूचना सेना को दी। सेना ने समय पर मोर्चाबंदी कर पाकिस्तान की साजिश को नाकाम बन दिया। उनके इस योगदान के लिए मौलवी गुलाम-उल-दीन को अशोक चक्र से नवाजा गया। प्रत्येक वर्ष राजौरी दिवस के दिन मौलवी गुलाम उल दीन को भी याद किया जाता है।

1971 War: माली बी के शौर्य को भी किया जाता है याद: वीर नारी माली बी ने समय पर सूचना न दी होती तो पाकिस्तानी सेना 1971 की लड़ाई में खासा नुकसान कर सकती थी। माली बी पानी लेने के लिए नियंत्रण रेखा के करीब जाती थी। इस दौरान उसने पाक सेना की गतिविधियों को देखा और भारतीय सेना के अधिकारियों को बताया कि पाकिस्तान बड़ी साजिश रच रहा है। इसके बाद सेना ने सतर्कता बढ़ाई और तैयारी के साथ दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया। इसके बाद माली बी को पद्मश्री से सम्मानित किया गया। प्रत्येक वर्ष 13 अप्रैल के दिन माली बी को श्रद्धांजलि दी जाती है।

अभी थमा नहीं साजिशों का सिलसिला: विशेषज्ञों के अनुसार अभी साजिशों का दौर थमा नहीं है। राजौरी के लोगों का राष्ट्रप्रेम ही पाकिस्तान के आंखों की किरकिरी बना है। यही वजह है यहां सामाजिक सद्भाव बिगाडऩे और आतंक की जड़ें जमाने की साजिशें बुनी जाती रही हैं पर यहां के लोग इस साजिश को विफल बना देते हैं।

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