धूमधाम से मनाया बाबा बंदा सिंह बहादुर का जन्मदिवस
जागरण संवाददाता राजौरी गुरु गोबिद सिंह जी के छोटे साहिबजादों की शहादत का बदला लेने वा
जागरण संवाददाता, राजौरी : गुरु गोबिद सिंह जी के छोटे साहिबजादों की शहादत का बदला लेने वाले सिख जरनैल बाबा बंदा सिंह बहादुर का बुधवार को सिख इतिहास में पहली बार उनके जन्मस्थान पर यादगार गुरुद्वारा बाबा बंदा सिंह बहादुर राजौरी में जन्मदिवस श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। सीमावर्ती जिला राजौरी व पुंछ से आई संगत सहित देश के अन्य राज्यों से आए लोगों ने गुरुद्वारा साहिब में माथा टेक प्रसाद ग्रहण किया।
बाबा बंदा सिंह बहादुर के जन्म उत्सव पर विशेष लंगर प्रसाद का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में संगत ने लंगर प्रसाद ग्रहण किया। इस मौके पर श्री अकाल तख्त साहिब जत्थेदार व सावका जत्थेदार बाबा बचन सिंह, बाबा बीरा जी मुख्यतौर पर उपस्थित थे। साथ ही पूर्व एमएलसी विबोध गुप्ता, पूर्व अध्यक्ष छठी पातशाही गुरुद्वारा राजौरी निर्माण सिंह, भूपेंद्र सिंह, जसबीर सिंह, सेना अधिकारी व प्रशासनिक अधिकारियों ने गुरुद्वारे में माथा टेका।
गत दिवस बाबा बंदा सिंह बहादुर के जन्म उत्सव पर विशेष महानगर कीर्तन निकाला गया था। वहीं, बुधवार को बाबा बंदा सिंह बहादुर गुरुद्वारा राजौरी में दीवान सजाया गया। श्री गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ का भोग लगाया गया। बाबा जी की याद में उनके जन्म स्थान राजौरी मिनी स्टेडियम के पास यादगार गुरुद्वारा मनाया गया और पहली बार जन्मस्थान पर जन्म उत्सव मनाया गया। बाबा बंदा सिंह बहादुर का बचपन का नाम लक्ष्मण दास और दूसरा नाम माधोदास था। वह एक महान योद्धा थे। उनकी बहादुरी को देख उनका नाम बाबा बंदा सिंह बहादुर रखा गया। प्रचारक ने कहा कि बाबा जी का जीवन सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने गुरु गोबिंद सिंह के बचनों को अपने मन और क्रम में बसा लिया। हर धर्म के गरीब लोगों व किसानों को न्याय मिला। वह खुद को शासन का सिर्फ एक साझीदार मानते थे। हम सभी को उनके बताए मार्ग पर चलना चाहिए।