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भारत माता के जयघोष से गूंजे पीर पंजाल के पहाड़

संवाद सहयोगी पुंछ सीमावर्ती पुंछ जिले में सेना की राष्ट्रीय राइफल बटालियन द्वारा गणतंत्र दि

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 01:06 AM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 01:06 AM (IST)
भारत माता के जयघोष से गूंजे पीर पंजाल के पहाड़
भारत माता के जयघोष से गूंजे पीर पंजाल के पहाड़

संवाद सहयोगी, पुंछ : सीमावर्ती पुंछ जिले में सेना की राष्ट्रीय राइफल बटालियन द्वारा गणतंत्र दिवस कई स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए गए। आरआर बटालियन छह सेक्टर के ब्रिगेड कमांडर मनदीप सिंह के दिशा निर्देश पर बर्फ से लदे पीर पंजाल के पहाड़ों सहित कई स्थानों पर तिरंगा फहराया गया।

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मुख्य समारोह पुंछ जिले की सुरनकोट तहसील के 16 आरआर बटालियन मुख्यालय दराबा में आयोजित किया गया। जहां छह सेक्टर के ब्रिगेड कमांडर द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया ध्वजारोहण उपरांत राष्ट्रगान के बाद जहां सलामी दी गई। वहीं, रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किया गया जिस में बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों के अलावा राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इस अवसर पर छह सेक्टर के ब्रिगेड कमांडर द्वारा अपने संबोधन में गणतंत्र दिवस समारोह पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय संविधान अपने आप में अनूठा संविधान है। दुनिया का सबसे बड़ा लिखित और मजबूत संविधान भारत का है हमारे संविधान में हर एक धर्म के प्रति सम्मान किया हैं। हमारे संविधान में देश को विविधता के साथ एकता के सूत्र में जोड़े रखने की कुंजी है। हमें देश के प्रति सम्मान से लैस होकर आगे बढ़ना हैं तभी विकास वाले भारत का उदय होगा। डेढ़ दशक तक आंतकवाद ग्रस्त पीर पंजाल के पहाड़ों में स्थित हिलकाका के पहाड़ भी भारत माता जयघोष से गुंजा जिले के पीर पंजाल के पहाड़ों के बीच रूह कंपा देने वाली ठंडी में राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन के जांबाज जवानों ने संविधान दिवस पर हिलकाका सहित कई बर्फ से लदी पहाड़ियों पर तिरंगा लहराकर राष्ट्रगान का गायन कर भारत माता जयघोष के नारे लगाए।

उल्लेखनीय हैं कि 1993 से लेकर 2008 तक पीरपंजाल के हिलकाका के पहाड़ी इलाके आंतकवाद से ग्रस्त रह चुके है और इन इलाकों में आतंकी ट्रेनिग सेंटर थे। जहां पर स्थानीय युवकों को बहला-फुसला कर आतंकी ट्रेनिग दी जाती थी। आपरेशन सर्प विनाश के बाद जहां इलाकों से सेना ने आंतकियों का सफाया किया। वहीं इस इलाके के विकास के लिए सेना ने हर सम्भव प्रयास किए। यही कारण है कि आज हिलकाका का हर एक नागरिक सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है और देश के संविधान दिवस पर पीरपंजाल के पहाड़ भरत माता जय घोष से गूंज उठे।


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