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अधिक मुनाफा देख स्ट्राबेरी की खेती की ओर बढ़ा रुझान

संवाद सहयोगी पुंछ पारंपरिक फसलों की खेती में लगातार कम हो रहे मुनाफे और खराब मौसम

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Jan 2022 06:38 AM (IST)Updated: Tue, 11 Jan 2022 06:38 AM (IST)
अधिक मुनाफा देख स्ट्राबेरी की खेती की ओर बढ़ा रुझान
अधिक मुनाफा देख स्ट्राबेरी की खेती की ओर बढ़ा रुझान

संवाद सहयोगी, पुंछ : पारंपरिक फसलों की खेती में लगातार कम हो रहे मुनाफे और खराब मौसम की वजह से किसानों को हर वर्ष नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में सुंदरबनी के किसान अब स्ट्राबेरी की खेती की ओर रुख कर रहे हैं।

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बागवानी विभाग के अधिकारी अरुण शर्मा ने बताया कि सुंदरबनी क्षेत्र की विभिन्न पंचायतों में 50 कनाल से अधिक जमीन पर किसान स्ट्राबेरी की खेती कर रहे हैं। पिछले एक हफ्ते से हो रही बारिश की वजह से स्ट्राबेरी की खेती करने वाले में किसानों को भारी मुश्किलों से जूझना पड़ रहा है । उम्मीद है कि आने वाले दिनों में 50 और करनाल पर किसान स्ट्राबेरी की खेती कर अपनी आमदनी को बढ़ाने का प्रयास करेंगे। किसान अनिल कुमार, राजकुमार, मुल्ख राज, सरपंच लोकनाथ ने बताया कि किसानों का स्ट्राबेरी की खेती करने की तरफ झुकाव बागवानी विभाग द्वारा पिछले दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में लगाए गए जागरूकता अभियान की वजह से हुआ है। सरपंच लोकनाथ ने बताया कि यहां का किसान परंपरागत खेती से अलग हट नई बागवानी को अपना रहा है। यही वजह है कि इस क्षेत्र में स्ट्राबेरी की तरफ लोगों और किसानों का झुकाव लगातार बढ़ता जा रहा है। स्ट्राबेरी लायक यहां की मिट्टंी और पानी भी अनुकूल

तहसील अधिकारी अरुण शर्मा ने बताया कि पैदावार के मामले में यहां की मिट्टी, पानी की तासीर को देखते हुए स्ट्राबेरी की खेती की तरह किसानों का झुकाव हुआ है। परंपरागत खेती के बजाय बागवानी को अपनाना शुरू किया है। अरुण शर्मा ने बताया कि परंपरागत खेती से हटकर सुंदरबनी में ग्रामीण क्षेत्रों के किसान अपनी आमदनी को बढ़ाने में जुटे हुए हैं। बार-बार फसल खराब होने के डर से अब सुंदरबनी के मैदानी इलाकों में किसानों ने स्ट्राबेरी की खेती शुरू कर दी है। इसका किसानों को आने वाले दिनों में बहुत अधिक लाभ पहुंचेगा। किसान अनिल कुमार ने बताया कि पहले वह परंपरागत खेती करते थे। उसमें ज्यादा लाभ नहीं मिलता था। ऊपर से कुदरती आपदा के कारण हर बार फसल नष्ट हो जाती थी। इसी बीच उन्होंने परंपरागत खेती से हटकर दूसरी खेती करने के लिए सोचा और बागवानी विभाग के सहयोग से अब स्ट्राबेरी की खेती कर रहे हैं।


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