नौशहरा व सुंदरबनी-कालाकोट विधानसभा सीटों पर बदली सियासी तस्वीर
संवाद सहयोगी पुंछ नए परिसीमन में बदली सियासी तस्वीर में अब नेताओं को नए ठिकाने ढूंढने ह
संवाद सहयोगी, पुंछ :नए परिसीमन में बदली सियासी तस्वीर में अब नेताओं को नए ठिकाने ढूंढने होंगे। परिसीमन आयोग की रिपोर्ट में जम्मू कश्मीर का राजनीतिक नक्शा बदल गया है। अब जम्मू कश्मीर में विधानसभा की कुल सीटें 90 हो गई हैं। नौशहरा विधानसभा क्षेत्र से सुंदरबनी को तोड़कर कालाकोट-सुंदरबनी के नाम पर बने नए विधानसभा क्षेत्र के साथ जोड़ा गया है, जबकि कालाकोट विधानसभा क्षेत्र के कुछ हिस्सों को तोड़कर बुद्धल व राजौरी विधानसभा क्षेत्रों के साथ जोड़ा गया है। ऐसे में अब पूरे सियासी समीकरण बदल गए हैं।
नौशहरा विधानसभा क्षेत्र में सीमावर्ती क्षेत्र की तहसील किला दरहाल, वेरीपत्तन व नौशहरा तहसील के 90 हजार से अधिक मतदाता अपने नए विधायक का विधानसभा चुनाव में फैसला करेंगे। वहीं, कालाकोट विधानसभा क्षेत्र में 85 हजार से अधिक मतदाता आने वाले विधानसभा चुनावों में अपने नए विधायक के भाग्य का फैसला करेंगे। 2014 में नौशहरा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रविद्र रैना व पूर्व एमएलसी सुरेंद्र चौधरी के बीच कांटे की टक्कर हुई थी, जिसमें रविद्र रैना जीते थे। सुरेंद्र चौधरी तब पीडीपी के टिकट से चुनाव लड़े थे। अब सुरेंद्र चौधरी भी भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
नौशहरा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा का टिकट सुरेंद्र चौधरी को मिलना पक्का माना जा रहा है। देखना दिलचस्प होगा कि रविद्र रैना सुंदरबनी-कालाकोट विधानसभा क्षेत्र से अपना भाग्य आजमाते हैं या फिर किसी अन्य सीट से चुनाव मैदान में उतरते हैं।
2014 के चुनावों में कालाकोट विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के दिग्गज नेता पूर्व मंत्री अब्दुल गनी चुनाव जीते थे। ऐसे में जानकारों की मानें तो सुंदरबनी-कालाकोट विधानसभा क्षेत्र से टिकट को लेकर भाजपा शीर्ष नेतृत्व को काफी माथापच्ची करनी पड़ सकती है। इस सीट से अब प्रदेश अध्यक्ष रविद्र रैना, पूर्व मंत्री अब्दुल गनी कोहली, डीडीसी सदस्य राजेंद्र शर्मा, किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष ठाकुर रणधीर सिंह व युवा मंडल प्रधान राकेश शर्मा, युवा मोर्चा जिला प्रधान रजत सिंह के अलावा कई नए चेहरे भी टिकट को लेकर दौड़ रहे हैं।
2014 में कालाकोट और सुंदरबनी अलग-अलग विस क्षेत्र होते थे। नए परिसीमन में दोनों को जोड़कर नई विधानसभा सीट बनाई गई है। वहीं, इस सीट पर नेशनल कांफ्रेंस के युवा नेता यशुवर्धन सिंह टिकट को लेकर प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। जबकि नेशनल कांफ्रेंस के जिला प्रधान ग्रामीण सरपंच भूषण उप्पल भी चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। ऐसे में नेशनल कांफ्रेंस का गढ़ मानी जाने वाली कालाकोट विधानसभा सीट के साथ सुंदरबनी के जुड़ने से नेशनल कांफ्रेंस को भी भाजपा से सीधी टक्कर मिलेगी। नेशनल कांफ्रेंस के नेताओं को सुंदरबनी में अपनी पैठ जमाने के लिए जीतोड़ मेहनत करनी होगी, तभी जाकर चुनावों में नेकां भाजपा को सीधी टक्कर दे पाएगी। सुंदरबनी-कालाकोट विधानसभा सीट पर सुंदरबनी ब्लाक से बीडीसी का निर्दल चुनाव जीते अरुण शर्मा भी इस सीट पर अच्छी खासी पकड़ रखते हैं। देखना दिलचस्प होगा कि चुनावों से पहले वह किस पार्टी का दामन थामते हैं। कांग्रेस के दो दिग्गजों का सियासी करियर दांव पर
नए परिसीमन में नई बनी विधानसभा सीट कालाकोट-सुंदरबनी पर कांग्रेस के दो दिग्गजों का सियासी करियर दांव पर होगा। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता एवं पूर्व एमएलसी रविद्र शर्मा व पूर्व विधायक अशोक शर्मा में से कांग्रेस किसे चुनावी मैदान में उतारती है, यह देखना दिलचस्प होगा। दोनों नेताओं के लिए नई विधानसभा सीट पर लोगों को कांग्रेस के साथ जोड़ना किसी करिश्मे से कम नहीं होगा। कालाकोट में अशोक शर्मा का अच्छा वजूद है तो सुंदरबनी में उन्हें नई शुरुआत करनी होगी।
यही हाल रविद्र शर्मा का है। सुंदरबनी में वह अच्छी खासी पकड़ रखते हैं तो कालाकोट में उन्हें भी नई शुरुआत करनी होगी। ऐसे में सुंदरबनी-कालाकोट विधानसभा क्षेत्र में बदला स्वरूप पूर्व विधायक अशोक शर्मा व पूर्व एमएलसी रविद्र शर्मा के लिए काफी चुनौती भरा हो गया है। दोनों ही नेताओं की गिनती जम्मू कश्मीर कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में होती है। नौशहरा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को टक्कर देने के लिए अन्य दलों को करना पड़ेगा संघर्ष
नौशहरा विधानसभा क्षेत्र से पीडीपी के टिकट पर 28 हजार वोट पाने वाले पूर्व एमएलसी सुरेंद्र चौधरी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में इस सीट पर कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी को सुरेंद्र चौधरी को टक्कर देने के लिए कद्दावर नेता खोजना होगा और खूब पसीना बहाना पड़ेगा। चुनाव संबंधी जानकारों का मानना है कि जम्मू संभाग में 2014 में पीडीपी के टिकट पर 28 हजार वोट पाने वाले सुरेंद्र चौधरी के भाजपा में शामिल होने से भाजपा की स्थिति मजबूत है। 2014 में विधान परिषद सदस्य रहते सुरेंद्र चौधरी ने क्षेत्र के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए थे। उनकी नौशहरा विधानसभा क्षेत्र की तहसील वेरीपत्तन, किला दरहाल और नौशहरा में अच्छी खासी पकड़ है। नौशहरा विधानसभा क्षेत्र में एक लाख के आसपास मतदाता हैं। नौशहरा विधानसभा क्षेत्र को अनंतनाग लोकसभा सीट से जोड़ने पर लोगों में मायूसी
परिसीमन आयोग की अंतिम रिपोर्ट में सीमावर्ती राजौरी जिले की नौशहरा विधानसभा को अनंतनाग लोकसभा क्षेत्र से जोड़ने से क्षेत्र के लोगों में मायूसी छाई है। आम लोगों का कहना है कि वर्षो से हम सुंदरबनी को अलग विधानसभा क्षेत्र और जिला बनाने की मांग कर रहे थे, लेकिन हमारी किसी ने नहीं सुनी। पूर्व सरपंच कृष्ण लाल, सतपाल, राकेश कुमार, सुनील कुमार, गुरनाम सिंह ने बताया कि पहले हम जम्मू-पुंछ संसदीय क्षेत्र के साथ जुड़े थे और राजौरी को अलग लोकसभा क्षेत्र बनाने की मांग कर रहे थे। अलग लोकसभा क्षेत्र बनाने की बात तो दूर हमें तो अब कश्मीर के साथ जोड़ दिया गया। लोगों ने बताया कि हम अनंतनाग लोकसभा सीट के साथ जुड़ने को तैयार नहीं थे, लेकिन हम लोगों को जबरन इस सीट के साथ जोड़ दिया गया, जो किसी को मंजूर नहीं है। लोगों ने आरोप लगाते हुए कहा है कि सुंदरबनी को तोड़-मरोड़ कर परिसीमन आयोग ने लोगों के साथ सौतेला व्यवहार किया है।