पंजाबी को राजकीय भाषा का दर्जे को उठी आवाज
जम्मू कश्मीर में पंजाबी को राजकीय भाषा दर्जा नहीं मिलने पर सिख संगठनों के युवाओं ने पुंछ बस स्टेंड पर सोमवार को प्रदर्शन किया।
संवाद सहयोगी, पुंछ : जम्मू कश्मीर में पंजाबी को राजकीय भाषा दर्जा नहीं मिलने पर सिख संगठनों के युवाओं ने पुंछ बस स्टेंड पर सोमवार को प्रदर्शन किया।
डॉ. सुखविदर सिंह के नेतृत्व में प्रदर्शन कर रहे युवाओं ने प्रदेश में पंजाबी को अन्य आधिकारिक भाषा के रूप में शामिल करने की मांग की। केंद्र सरकार पर पंजाबी को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए युवाओं ने नारेबाजी भी की। उन्होंने कहा कि राज्य के अधिकांश लोग पंजाबी बोलते हैं, उसके बावजूद केंद्र सरकार ने सोची-समझी साजिश के तहत पंजाबी की अनदेखी की है। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि सिखों ने जम्मू-कश्मीर को बचाने के लिए कुर्बानी दी है और कई दशक तक पंजाबी बोलने वाले महाराजा रंजीत सिंह के शासन के दौरान जम्मू-कश्मीर की रक्षा की गई। लद्दाख और चाइना के कई हिस्सों पर शासन रहा है। पूरे विश्व में पंजाबी बोलने वालों की संख्या पांचवें नंबर पर है, लेकिन फिर भी पंजाबी भाषा के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। प्रदर्शन के दौरान युवाओं ने केंद्र सरकार की निदा करते हुए कहा की जब देश पर कठिन समय आया है, तब पंजाबी भाषा का प्रयोग करने वाले सिखों की याद आती हैं। नियंत्रण रेखा पर बिगड़ते हालत हो मौजूदा समय में एएलसी पर चाईना के साथ तनाव वहां पर अन्य के साथ पंजाबी बोलने वाले सिखों को भी तैनात किया जा रहा है, फिर पंजाबी भाषा से भेदभाव सिखों के साथ भेदभाव क्यों? पंजाबी भाषा के साथ भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह अन्य भाषाओं की तरह पंजाबी को राजभाषा के रूप में शामिल करे।