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पीएचई विभाग की कार्यप्रणाली में नहीं हो रहा सुधार

संवाद सहयोगी, हीरानगर : पीएचई विभाग की लापरवाह कार्यप्रणाली की वजह से नौचक्क, लच्छीपुर, मंडाला गा

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Jun 2018 07:59 PM (IST)Updated: Fri, 08 Jun 2018 07:59 PM (IST)
पीएचई विभाग की कार्यप्रणाली में नहीं हो रहा सुधार
पीएचई विभाग की कार्यप्रणाली में नहीं हो रहा सुधार

संवाद सहयोगी, हीरानगर :

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पीएचई विभाग की लापरवाह कार्यप्रणाली की वजह से नौचक्क, लच्छीपुर, मंडाला गांवों के लोगों को पेयजल के लिए तरसना पड़ रहा है। इन गांवों में पहले तरनाह नाले में लगे डगवेल से पानी की सप्लाई होती थी। जो अब सात सालों से बंद पड़ी है। क्षेत्र निवासी रघुवीर सिंह, राज कुमार, विजय कुमार, मनोहर लाल, तरसेम लाल का कहना है कि नाले में आई बाढ़ की वजह से सात साल पूर्व डगवेल क्षतिग्रस्त हो गया था। उसके साथ ही विभाग ने पाच साल पूर्व एक ट्यूबवेल लगाया था। जिस पर आज तक मशीनरी नहीं लगी। डगवेल से कुदरती तौर पर निकल रहा पानी नाले में ही बह रहा है वो भी किसी काम नहीं आ रहा। ट्यूबवेल गांवों से दूर होने की वजह से लोग वहा से पानी नहीं ला सकते। उन्होंने कहा कि लोगों ने घरों में निजी तौर पर जो शैलो हैड पंप लगा रखे हैं, एक तो वे गर्मियों में सूख जाते है दूसरा जमीन में कम गहराई में लगे हुए हैं जिनका पानी पीने लायक नहीं। ग्रामीणों का कहना है कि पाइप भी लगी हैं। सिर्फ मोटर पंप न लगने से गांवों में पानी की सप्लाई बंद है। विभाग के अधिकारियों से सप्लाई बहाल करने की पाच सालों में कई बार गुहार लगा चुके है। इसके बावजूद समस्या बनी हुई है। उन्होंने कहा कि सीमांत गांवों के लिए हर साल करोड़ों रुपये आते हैं फिर भी लोगों को मूलभूत सुविधाएं नसीब नहीं हो रही। गौरतलब है कि हीरानगर, गुज्जर चक, छन्न टांडा, करोल, माथरियां, करोल विददो, करोल कृष्णा, बोबिया आदि गांव सीमा के साथ लगते हैं और लगभग पाच हजार की आबादी वाले इन गांवों में लोगों को पीएचई का पानी नहीं मिल रहा। इस संबंध में एईई गोपाल शर्मा का कहना है मशीनरी लगाने के लिए विभाग के मैकेनिकल विंग ने प्रपोजल भेजा है।


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