न तो बने बंकर, न ही सुरक्षित जगहों पर मिले पांच-पांच मरले के प्लाट
संवाद सहयोगी, हीरानगर : भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 30 वर्ष से तनाव की स्थिति है। सीमां
संवाद सहयोगी, हीरानगर : भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 30 वर्ष से तनाव की स्थिति है। सीमांत क्षेत्र में पाकिस्तान 1996 से लगातार गोलाबारी कर रहा है। पाकिस्तानी गोलाबारी से दहशत में आए लोगों को 1998 से 2002 के बीच कई बार पलायन करना पड़ा था। 2003 के बाद 2014 तक सीमांत क्षेत्र में माहौल थोड़ा शांत रहा। मगर पिछले चार वर्षो से सीमांत क्षेत्र में पाकिस्तानी द्वारा लगातार की जा रही गोलाबारी के कारण माहौल खराब हो चुका है। लोगों को इस इस वर्ष की शुरूआत में भी पाकिस्तानी गोलाबारी के कारण पलायन करना पड़ा था। पाकिस्तान की गोलाबारी के कारण सीमांत क्षेत्रों में लगातार लोगों का खेतीबाड़ी का धंधा चौपट हो रहा है। वहीं, जानी और माल के नुकसान के साथ आर्थिक कमजोरी का भी सामना करना पड़ा। बार-बार पलायन से तंग आ चुके लोग 15 वर्षो से सुरक्षित स्थानों पर पांच-पांच मरले के प्लाट देने की माग कर रहे है। सरकार ने पांच-पांच मरले की जमीन अलॉट करने की बजाए गावों में पक्के बंकर बनाने की घोषणा की थी। घोषणा के बाबजूद भी हीरानगर सेक्टर में अभी तक बंकर बनने का काम शुरू नहीं हुआ है। कुछ लोगों ने लगातार बढ़ रहे तनाव को देखते हुए निजी तौर पर बंकरों का निर्माण करना शुरू कर दिया है, लेकिन सरकार स्तर पर इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है। वर्ष 2016 में घर के आसपास 15 के करीब मोर्टार के शेल पड़े थे। इसमें से एक घर के एक किनारे पर गिरा था, जिससे घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। गनीमत यह रही कि बच्चे घर में नहीं थे, नहीं तो जानी नुकसान भी हो सकता था। घर में बंकर का होना जरूरी है, ताकि गोलाबारी के दौरान लोग उसमें बैठ कर जान बचा सकें।
-दर्शना देवी सीमा पर तनाव अभी भी बना हुआ है। जैसा कि बीएसएफ के डीजी ने भी गेहूं की कटाई के बाद गोलाबारी होने की आशका जताई है। अगर केंद्र सरकार ने सीमांत क्षेत्रों में बंकर बनाने की मंजूरी दी है तो बंकरों का निर्माण कार्य जल्द शुरू होना चाहिए, ताकि गोलाबारी के दौरा लोगों को किसी प्रकार का नुक्सान न झेलना पड़े।
-राम कृष्ण, सेवानिवृत सैनिक जब भी पाकिस्तान की तरफ से गोलाबारी शुरू होती है, प्रशासन लोगों को सुरक्षित स्थानों पर चले जाने को कहता है। उस दौरान घरों से बाहर निकलना भी खतरे से खाली नहीं होता। ऐसे में अब घरों में बंकर हों तो लोग भागने बजाए वहीं परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं। बंकरो का निर्माण जल्द शुरू होना चाहिए।
-करतार चंद केंद्रीय गृहमंत्री से पाच-पांच मरले के प्लाट देने की माग की थी। सरकार ने किसी वजह से प्लाट देने के बजाए बंकर बनाने की मंजूरी दी है। बताया जा रहा है कि अखनूर सेक्टर में बंकर बनना शुरू हो गए हैं, लेकिन हीरानगर में अभी तक काम शुरू नहीं हुआ। अगर जल्द शुरू नहीं किया तो सीमांत क्षेत्र के लोग आंदोलन शुरू कर देंगे।
-घनशाम शर्मा, प्रधान बार्डर यूनियन फ्रंट लोगों ने खुद बनाए बंकर
हीरानगर सेक्टर के गुज्जर चक के तरसेम वर्मा और चक चंगा के दीना नाथ ने अपने खर्चे पर पक्के बंकर बनाए है। दीनानाथ और तरसेम का कहना है कि चार सालों में दस बार पलायन कर चुके है। इससे वह तंग आ चुके है। पाकिस्तान का पता नहीं कब गोलाबारी कर दे। सरकार सीमांत क्षेत्र के लोगों को पांच-पाच मरले जमीन भी नहीं दी। परिवार को गोलाबारी से बचाने के लिए उन्हे मजबूर होकर डेढ़ लाख रुपये खर्च कर बंकर बनाने पड़े। जनवरी 2018 में डीसी कठुआ ने हीरानगर उपमंडल के सीमांत गावों में पक्के बंकर बनाने का प्रपोजल मागा था जो सात फरवरी को बना कर भेज दिया था। हीरानगर तहसील का 94 सामुदायिक और 1820 व्यक्तिगत बंकर व मढ़ीन तहसील में 76 सामुदायिक और 152 व्यक्तिगत बंकर बनाने का प्रपोजल बना था। अभी तक कोई नया आदेश नहीं आया।
-सुरेश चंद शर्मा, एसडीएम हीरानगर पक्के बंकर बनाने की मंजूरी मिल चुकी है। सरकार से हीरानगर में जल्द काम शुरू कावाने की माग करूंगा।
-कुलदीप राज, विधायक हीरानगर।