कोरोना के कारण नहीं निकली श्रीराम जन्म की झांकी
संवाद सहयोगी बसोहली कस्बे में रामलीला मंचन शुरू होने के दूसरे दिन राम जन्म की झाकी निकाली जा
संवाद सहयोगी, बसोहली: कस्बे में रामलीला मंचन शुरू होने के दूसरे दिन राम जन्म की झाकी निकाली जाती रही है, जिसमें नवजात शिशुओं को राम-लक्षमण, भरत, शत्रुघ्न बनाए जाते थे, लेकिन इस बार कोरोना महामारी की वजह से किसी से बच्चे लेने का आग्रह नहीं किया गया। इस कारण रामलीला में राम जन्म का दृश्य ही गायब रहा।
इस दौरान राजा दशरथ द्वारा पुत्र प्राप्ति के लिए हवन यज्ञ किया। राजा दशरथ ने अपने दरबार में गुरु वशिष्ठ को बताया कि उनके पास सब कुछ है, मगर एक बात उन्हें परेशान करती है कि उन्हें औलाद नहीं है। आगे वंश कैसे चलेगा। यह राजपाठ व सिंहासन सब कुछ बेकार दिखता है। गुरु वशिष्ठ ने राय दी कि आप ऋषी षरिंगी के पास जाए और उन्हें यहा लाए। इस पर दशरथ ने ऋषी षरिंगी को अपने मन की बत कह सुनाई तो उन्होंने कहा कि हवन की तैयारी करें, जल्द ही महल में बच्चों की किलकारी गूंजेगी। ऋषी ने हवन यज्ञ किया और दशरथ को चार फल दिए और उन्हें रानियों को खिलाने को कहा। वहीं रावण को अब इस बात का अभिमान होने लगा कि दुनिया में सब से बड़ा महल उसके पास है वह भी सोने का। सब उससे डरते हैं।
रावण ने अपने मंत्रियों को निर्देश दिए कि वह जितने भी साधु उनके वनों में तपस्या कर रहे हैं, उन्हें रावण नाम का जाप करने के लिए विवश किया जाए। इस पर रावण के मंत्री वन में गए, जिस पर ऋषियों ने कहा कि उनके पास देने को कुछ नहीं है, इस पर उन्होंने ऋषियों का लहू कर के रूप में लिया और इस पर ऋषियों ने श्राप दिया कि यही लहू रावण की मौत का कारण बनेगा। रावण ने उस लहू को लंका से बाहर जमीन में दबाने के निर्देश दिए।