सत्य का संग ही है सत्संग : सुभाष शास्त्री
संवाद सहयोगी बसोहली संत शिरोमणि श्री सुभाष शास्त्री जी महाराज ने संगत से कहा सत्संग का अर्थ है सत्य
संवाद सहयोगी, बसोहली: संत शिरोमणि श्री सुभाष शास्त्री जी महाराज ने संगत से कहा सत्संग का अर्थ है सत्य का संग और सत्य परमात्मा है। सत्य आत्मा है, सत्य हमारा अस्तित्व है, सत्य हमारा स्वरूप है, सत्य हमारा अपना आपा ही है। मैं सत्य हूं और अब मैं किसका संग करूं?। सत्य का संग तो सदा से ही है। सत्य कभी मेरे से असंग होता ही नहीं।
शास्त्री जी ने समझाया कि सत्य हमारा जीवन है। जन्म की मृत्यु हुआ करती है, परंतु जीवन की मृत्यु होती ही नहीं है। सत्य के बिना कुछ नहीं होता है। जिस प्रकार जल की कोई लहर नहीं होती, बिना मिट्टी के कोई घड़ा नहीं होता, स्वर्ण आभूषण यानी सोने के बिना गहना नहीं होता। उसी प्रकार सत्य के बिना कुछ नहीं होता। सत्य के बिना कुछ नहीं रहता और सत्य पर विश्वास करने वालों का कुछ नहीं बिगड़ता। शास्त्री जी ने कहा सत्य कभी हमारा साथ नहीं छोड़ता। कहने का भाव यह है कि कि जिस सत्य का संग सदा से है, वास्तव में देखा जाए तो संत महापुरुषों की संगत का नाम ही सत्संग है।
इस बात को तथ्य को भलीभाति आप समझ लें कि संत महापुरुषों के उपदेश से सब का हित ही होता है। इसलिए आपको चाहिए कि सत्य का संग सत्संग अवश्य करें।
सत्संग सुनने के लिए आसपास के भी काफी संख्या में लोग आ रहे हैं। महिलाओं और पुरुषों का यहां हुजूम उमड़ रहा है। आयोजकों की ओर से भी यहां अच्छा बंदोबस्त किया गया है। कोविड-19 को देखते हुए शारीरिक दूरी का भी पालन किया जा रहा है।