डीडीसी सदस्यों के प्रोटोकाल व वेतमान पर पुनर्विचार करे सरकार
जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चेयरमैन व उप चेयरमैन और सदस्यों को राज्य सरकार की ओर से दिए गए प्रोटोकाल और वेतन को लेकर डीडीसी सदस्यों में रोष है। वह सरकार के इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं सामाजिक संगठन भी सरकार के फैसले के खिलाफ आवाज बुलंद कर सरकार को अपने फैसले पर पुनíवचार करने की सलाह दे रहे हैं।
संवाद सहयोगी, बिलावर : जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चेयरमैन व उप चेयरमैन और सदस्यों को राज्य सरकार की ओर से दिए गए प्रोटोकाल और वेतन को लेकर डीडीसी सदस्यों में रोष है। वह सरकार के इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं सामाजिक संगठन भी सरकार के फैसले के खिलाफ आवाज बुलंद कर सरकार को अपने फैसले पर पुनíवचार करने की सलाह दे रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता एवं विलेज सोशल वेलफेयर एंड डेवलपमेंट कमेटी किशानपुर डुगाड़ा के अध्यक्ष एसपी शर्मा ने कहा कि डीडीसी चेयरमैन व उपचेयरमैन और सदस्यों को जो वेतनमान सरकार की ओर निर्धारित किया गया है, वह पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि डीडीसी सदस्य को दिए जाने वाला वेतन एक बीडीसी एसपीओ से भी कम है। सरकार का प्रोटोकॉल और वेतन डीडीसी के सदस्यों के साथ एक भद्दा मजाक है। यह लोकतंत्र को मजबूत नहीं बल्कि उसके साथ मजाक करने वाला फैसला है। डीडीसी सदस्य जनता द्वारा चुना गया नुमाइंदा है और उसका सीधा संवाद जनता के साथ रहेगा। लेकिन सरकार द्वारा दिए जा रहे वेतन पर्याप्त नहीं है। क्योंकि वह जनता का प्रतिनिधि है और जनता का उसके घर पर आना जाना रहता ही है। इसलिए उसके खर्च भी अधिक होंगे। इसलिए उनकी माग है कि सरकार को डीडीसी के चेयरमैन और उप चेयरमैन के वेतनमान पर पुनíवचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर जम्मू कश्मीर में पंचायत राज को मजबूत बनाने के लिए जिला विकास परिषद के चुनाव कराए गए हैं तो जिला विकास परिषद के सदस्यों को उनका अधिकारी मिलना चाहिए, तभी प्रदेश में विकास हो पाएगा।