पंजाब की मंडियों में अब नहीं बिकेगा कठुआ के किसानों का धान
राकेश शर्मा कठुआ किसान अपनी उपज कहीं भी बेच सकते हैं जहां उनको लाभ दिखे। सरकार
राकेश शर्मा, कठुआ : किसान अपनी उपज कहीं भी बेच सकते हैं, जहां उनको लाभ दिखे। सरकार के ऐसे बयान पहले सुनने को मिलते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। नए नियम के अनुसार किसान पड़ोसी राज्य में भी भले ही जिले की सीमा से सटा ही क्यों न हो, फसल नहीं बेच सकते। ऐसा करने पर किसानों पर जुर्माना भी किया जा रहा है। कठुआ जिले के किसान पंजाब सरकार द्वारा बनाए गए इन नए नियम परेशान हैं। इससे पहले कठुआ जिले के पंजाब की सीमा से सटे किसान अपनी फसल वहां ले जाकर बेचते रहे हैं और लाभ उठाते रहे हैं। कई बार जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा धान खरीद केंद्र खोलने में देरी या यहां के एफसीआइ की कई शर्तो के झंझट से बचने के लिए वह पंजाब में ही अपनी उपज बेच देते थे। नये नियम के बाद किसान परेशान हो गए हैं। इससे अब उन्हें जिले के खरीद केंद्र में धान बेचने के लिए कई दिन तक अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है। उधर, पंजाब सरकार ने कठुआ जिले से पठानकोट, बमियाल, नरोट, गुरदासपुर आदि में उपज बेचने पर पकड़े जाने की स्थिति में 20 हजार रुपये तक जुर्माना करने के साथ वाहन भी जब्त करने का प्रविधान रखा है। इस कारण कठुआ के किसान इस बार पंजाब में अपनी उपज को बेचने से वंचित हो गए हैं। उपज बेचने के नए नियम किसानों को दिक्कत : शिवदेव सिंह
राष्ट्रीय किसान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष शिवदेव सिंह ने पंजाब सरकार के इस नए नियम को किसानों की आजादी पर प्रहार बताया और कहा कि एक तरफ यही सरकार किसानों को खुली मंडी में जहां जी हो, वहां अपनी उपज बेचने के लिए दावे करती रही है, लेकिन अब उनकी इस आजादी पर खुद ही प्रतिबंध लगा दिया है। इससे इस बार कठुआ जिले का कोई भी किसान पंजाब की सबसे बड़ी अनाज मंडियों का लाभ नहीं उठा पाया है। ऐसा पहली बार हुआ, जब कोई किसान पंजाब में उपज बेचने नहीं गया है। इधर, जम्मू कश्मीर सरकार ने कठुआ जिले में धान खरीद केंद्र तो खोल दिए हैं, लेकिन वहां पर इस बार किसानों को धान बेचने के लिए कई सारी औपचारिकताओं के साथ पंजीकरण और उपज पूरी तरह से घर से ही सुखा कर लाने की रखी गई शर्तों से भी परेशानी है। उसी का परिणाम है कि पिछले 15 दिन से जिले में सरकार ने आठ मडियां खोल रखी हैं, लेकिन वहां पर अभी तक 50 किसान भी 1 हजार क्विंटल धान बेचने तक नहीं आए हैं। वह औपचारिकताएं पूरी करने में ही लगे हैं। इसके अलावा मौसम का भी डर रहता है कि कब बारिश हो जाए। शिवदेव सिंह ने बताया कि इससे पहले कठुआ के पंजाब की सीमा के साथ लगते क्षेत्र के सैकड़़ों किसान अच्छी क्वालिटी का धान अमृतसर ले जाकर बेच देते थे। जम्मू कश्मीर की सरकारी मंडियों में उस धान की खरीद नहीं होती थी। सरकार की मंडियों में सिर्फ मोटी वैरायटी का ही धान बेचा जाता है। अन्य वैरायटी के धान को किसान निजी व्यापारियों या पंजाब में जाकर अच्छा दाम मिलने पर बेच देते थे।