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गांधी के सपनों को साकार कर रहा खादी ग्रामोद्योग

जागरण संवाददाता कठुआ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों को साकार करने के लिए कठुआ जि

By JagranEdited By: Published: Sat, 30 Jan 2021 06:34 AM (IST)Updated: Sat, 30 Jan 2021 06:34 AM (IST)
गांधी के सपनों को साकार कर रहा खादी ग्रामोद्योग
गांधी के सपनों को साकार कर रहा खादी ग्रामोद्योग

जागरण संवाददाता, कठुआ : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों को साकार करने के लिए कठुआ जिले में आज भी कई सरकारी एवं गैर सरकारी संगठन काम कर रहे हैं। इसमें सरकारी स्तर पर खादी ग्रामोद्योग बोर्ड एवं जिला कुष्ठ रोग निवारण समिति के कार्यालय हैं, जहां महात्मा गांधी के सपनों से जुडे़ कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए काम किया जा रहा है। महात्मा गांधी ने मजबूत भारत का सपना गांवों के विकास से जोड़ा था। इसके लिए उन्होंने गांवों में छोटे-छोटे उद्योग लगाने के लिए सरकार को योजनाएं चलाने का आह्वान किया था, ताकि गांवों में भी रोजगार के अवसर पैदा हों और ज्यादा से ज्यादा लोग आत्मनिर्भर बन सकें। इसी उद्देश्य से देश के अन्य भागों की तरह कठुआ जिले में भी खादी ग्रामोद्योग का कार्यालय ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे-छोटे उद्योग लगाने के लिए स्थानीय लोगों को प्रोत्साहित करने में लगा है ताकि ज्यादा से ज्यादा हाथों को रोजगार मिले।

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------------------------ ग्रामोद्योग से 300 लोगों को हर साल रोजगार

जिला खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के मुख्य अधिकारी हरविद्र सिंह बताते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार देने के लिए बोर्ड के पास दर्जनों योजनाएं हैं। इनके द्वारा ग्रामोद्योग स्थापित किए जा सकते हैं। हर वर्ष उनके कार्यालय से 75 और 100 के बीच मामले ग्रामोद्योग के लिए बैंकों से ऋण मंजूरी के लिए भेजे जाते हैं। इससे प्रतिवर्ष 300 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है।

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हथकरघा से तैयार करते हैं ऊनी खादी

महात्मा गांधी के सपनों को साकार करने के लिए एक और जिले में गैर सरकारी संगठन श्री गांधी सेवा सदन खादी को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। हालांकि आधुनिकता के युग में खादी को जिंदा रखना काफी मुश्किल हो गया है, लेकिन इस संगठन ने आज भी जिले में खादी को जिंदा रखा है। शहर के वार्ड 10 में सेवा सदन की वूलन खादी से जुड़ी चीजें तैयार करने की खड्डियां (हथकरघा) देखी जा सकती हैं। यहां वूलन खादी के धागे को बुनकर तैयार करते हैं। इससे जुड़े कठुआ जिले में करीब 80 लोग हैं, जो चरखे से धागा कातते हैं और फिर बुनकरों के पास भेजते हैं। जिले में आज भी 5 बुनकर खादी के धागे को बुनने का काम कर रहे हैं। सेवा सदन केंद्र कठुआ के प्रभारी ठाकुर दास बताते हैं कि अब बुनकरों की संख्या कम हो गई है, लेकिन आज भी करीब 5 बुनकर हैं जो खादी के धागे को खड्डी पर बुनकर महात्मा गांधी के सपनों को साकार करने में लगे हैं। जिले में इस संगठन का शहर में एक और सेल काउंटर है, जहां खादी से जुड़ी तमाम चीजें, जिसमें खादी का कपड़ा और अन्य घरेलू उपयोग की चीजें बेची जाती है। हीरानगर में भी सेवा सदन केंद्र की शाखा है। कुष्ठ रोगियों के इलाज के साथ उन्हें सम्मान दिलाने का प्रयास

महात्मा गांधी कुष्ठ रोगियों को भी समाज में सम्मान देने के हिमायती थे। ऐसे रोगियों से सहानुभूति जताकर इलाज के लिए सरकार को प्रयास करने के लिए कहते थे। उनकी इसी सोच को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने जिला स्तर पर कुष्ठ रोग निवारण समिति बना रखी है। समिति जिले में कुष्ठ रोगियों की तलाश कर उन्हें इलाज के लिए आगे आने के लिए जागरूक कर रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधीन काम करने वाली जिला समिति के प्रयास से आज कठुआ जिले में कुष्ठ रोग लगभग समाप्त हो चुका है। जिले में अब सिर्फ 15 रोगी ही हैं, जो नियमित इलाज करवा रहे हैं। उनका इलाज समिति द्वारा पूरी तरह से निशुल्क किया जाता है।


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