15 साल से पुराने दो सौ वाहन, पहाड़ी पर खतरे की सवारी
लगाने के लिए सुरक्षित यातायात के लिए हाल ही में सरकार द्वारा 15 साल पुराने खटारा यात्री वाहनों को हटाने का फैसला किया है।
जागरण संवाददाता, कठुआ: बढ़ते सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए सुरक्षित यातायात के लिए हाल ही में सरकार द्वारा 15 साल पुराने खटारा यात्री वाहनों को हटाने का फैसला किया है। हालांकि, अभी सरकार के फैसले की पूरी रुपरेखा जारी होने का वाहन चालक एवं संबंधित परिवहन विभाग इंतजार कर रहा है। अगर खटारा वाहनों में यात्रियों के सफर करने की बात की जाए तो कठुआ जिले में भी सैकड़ों यात्री वाहन दूरदराज क्षेत्रों में यात्रियों की जिदगी को दांव पर लगाकर दौड़ते देखे जाते हैं।
खासकर पहाड़ी क्षेत्र बनी, बिलावर में ऐसे खटारा यात्री वाहन हैं,जो आज भी परिवहन विभाग की नजरों से दूर बदहाल सड़कों पर वाहन चलाते हैं जो अक्सर दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। पहाड़ी क्षेत्र के अलावा कठुआ के कई क्षेत्रों में भी खटारा यात्री वाहन दौड़ रहे हैं। जिन पर अभी तक कार्रवाई नहीं की जाती है। बनी और बिलावर के कई रूटों पर 15 से 20 साल पुराने खटारा यात्री वाहन प्रतिदिन यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करते दौड़ते देखे जाते हैं।
गौर हो कि जिले में 700 के करीब मिनी बसें हैं, जिसमें से 20 फीसद 15 से 20 साल तक पुरानी हों चुकी हैं , इसके अलावा 350 के करीब यात्री बसें हैं, जिनमें से 40 बसें पूरी तरह से खटारा हो चुकी हैं, जो अभी भी दौड़ रही हैं। सबसे ज्यादा बुरा हाल पहाड़ी क्षेत्र के रूटों पर हैं। जिसमें बिलावर-मशेड़ी रूट पर जर्जर बसें, ओवरलोडिड होकर बदहाल सड़कों पर दौड़ती हैं। इसके अलावा कठुआ के साथ लगते नरोट एवं बमियाल आदि रूट पर भी 20 यात्री बसें दौड़ रही हैं। हालांकि, मैदानी इलाके में इतना खतरा नहीं, लेकिन बिलावर और बनी जैसे पहाड़ी क्षेत्र की बदहाल सड़कों पर 24 घंटे दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है।
बनी में 20 से 25 साल पुरानी बिल्कुल खटारा हो चुकी सूमों यात्रियों को भरकर दौड़ती हैं। बनी-ढग्गर, बनी- रौलका, बनी- सित्ती और बनी- संदरून आदि क्षेत्रों में प्रतिदिन खटारा सूमों को कोई भी नर तो चेक करता है और न ही जुर्माना। बाक्स--कोट्स
सरकार ने 15 साल पुरानी खटारा बसों को हटाने की अभी नीति बनाई है, लेकिन अभी मिनी बसों के लिए नहीं। ऐसे में सरकार द्वारा 15 साल पुराने वाहनों को हटाने के बदले में 5 लाख सब्सिडी कम है, क्योंकि अब सरकार ने इतने टैक्स और फीस बढ़ा दी है। इसके चलते अब 5 लाख सब्सिडी कम है। सरकार को सिब्सिडी बढ़ानी चाहिए, ताकि पुराने वाहन बेचकर ट्रांसपोर्टर नये वाहन खरीद सके।
-हरमोहिद्र सिंह, प्रधान, मिनी बस यूनियन कठुआ। कोट्स---
15 साल पुराने वाहनों को हटाने की सरकार की नीति है, इसलिए वो इस पर कुछ नहीं कह सकते, रही बात जिले में पुराने वाहन दौड़ने की, उनका विभाग पुराने वाहनों को पास ही नहीं करता है। अगर उसके बावजूद कहीं दौड़ रहें हैं, तो उन पर कार्रवाई की जाएगी।
-डॉ.आर के थापा, आरटीओ, कठुआ।