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मौसम की मार से टूट चुके किसानों को अब सरकारी सहायता से ही आस

बनाने में अहम रोल अदा करने वाले अन्नदाताओं की प्राकतिक आपदा की मार से अपनी दशा लगातार खराब हेाती जा रही है। अब लगातार तीसरी फसल की मार झेलने वाले अन्नदाताओं की हालत ये हो गई है कि अगर सरकार उन्हें मुआवजा नहीं देती है तो आने वाले समय में जहां भी किसान भूखमरी के शिकार हो सकते हैं। इसलिए अब उनकी आस पूरी तरह से सरकार सहायता पर टिक कर रह गई है। बीते तीन दिन से जारी बारिश ने कठुआ जिला के 50 फीसद किसानों को खून के

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 Jan 2020 09:10 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jan 2020 06:14 AM (IST)
मौसम की मार से टूट चुके किसानों को अब सरकारी सहायता से ही आस
मौसम की मार से टूट चुके किसानों को अब सरकारी सहायता से ही आस

राकेश शर्मा, कठुआ: देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में अहम रोल अदा करने वाले अन्नदाताओं की पाकृतिक आपदा की मार से अपनी दशा लगातार खराब हेाती जा रही है। अब लगातार तीसरी फसल की मार झेलने वाले अन्नदाताओं की हालत ये हो गई है कि अगर सरकार उन्हें मुआवजा नहीं देती है तो आने वाले समय में किसान भूखमरी के शिकार हो सकते हैं। इसलिए अब उनकी आस पूरी तरह से सरकार सहायता पर टिक कर रह गई है।

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बीते तीन दिनों से जारी बारिश ने कठुआ जिले के 50 फीसद किसानों को खून के आंसू रुलाने को मजबूर कर दिया है। कुछ दिन पहले किसानों ने जिन खेतों में लाखों रुपये खर्च कर गेहूं की अगली फसल की आस में बिजाई की थी, उस पर बेमौसम बारिश ने पूरी तरह से पानी फेर दिया है। अब किसान जाए तो जाएं कहा? पिछली बासमती की फसल भी मौसम की मार से 80 फीसद बर्बाद हो चुकी है और अब गेहूं भी बर्बाद हो गई है।

दूसरी और प्रशासन भी मुआवजे के नाम पर किसानों के साथ छल कर रहा है। जबकि हाल ही मौसम की मार से प्रभावित 8 राज्यों की सरकारों ने 6 हजार करोड़ किसानों के लिए मुआवजा जारी किया है, लेकिन जम्मू कश्मीर की सरकार सर्वे पर सर्वे करके उन्हें रुलाने को मजबूर कर रही है। इससे देश की अर्थ व्यवस्था में अहम भूमिका निभाने वाला अन्नदाता परेशान हैं। कोट्स----

किसानों की लगातार ये तीसरी फसल बर्बाद हो चुकी है। अगर सिर्फ मढ़ीन क्षेत्र की बात करें तो 2 हजार एकड़ में लगी गेहूं की फसल बारिश से बर्बाद हुई है। बारिश से गत दिसंबर में बीजी गई गेहूं की फसल भी बर्बाद हुई है। - शिव देव सिंह, मढ़ीन कोट्स---

अंधड़ क्षेत्र की इस समय हुई बारिश से पूरी तरह फसल बर्बाद हो चुकी है। पहली धान की फसल की 50 फीसद क्षेत्र में बेमौसमी बारिश से खराब हुई थी। लगातर मौसम की मार से किसान वर्ग को आने वाले समय में रोजी रोटी के लाले पड़ सकते हैं।

- कर्ण सिंह, खोख्याल। कोट्स---

पहले बेमौसमी बारिश ने धान की फसल को भी बर्बाद किया, अब रही सही कसर गेहूं को बर्बाद कर पूरी कर दी है। पिछले कुछ सालों से किसानों के लिए कृषि से लाभ की बजाय नुकसान हो रहा है। धान की फसल खेतों में ही खराब हुई और गेहूं के बीज को तो बारिश ने उगने ही नहीं दिया। किसानों को चारों ओर से मार पड़ रही है।

- दया राम, शेरपुर। कोट्स----

सरकारी अनदेखी से किसानों को आए दिन मुआवजे के लिए सड़कों पर उतरना पड़ता है। सरकार ने जम्मू कश्मीर में पिछले कई सालों से किसानों को कोई भी नुकसान की भरपाई नहीं की है, जिससे किसान परेशान है। खेतीबाड़ी घाटे का सौदा साबित हुआ है।

- बनारसी दास, ढल्ली। कोट्स---

दो दिनों से हुई बारिश की वजह से खेतों में पानी भरा हुआ है, उसमें भरे पानी की निकासी करके गेहूं बचाया जा सकता है। अब लेट वैरायटी अगले दो सप्ताह तक नहीं उगाई जा सकती है, तब तक गेहूं की बिजाई का समय भी निकल जाएगा।

-डॉ. विशाल महाजन, प्रमुख कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र,कठुआ


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