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पानी की सप्लाई व मांग में कमी, एक लाख लोग दो बूंद को तरसे

जागरण संवाददाता कठुआ गर्मी का प्रकोप बढ़ते ही जिले के कई क्षेत्रों में पेयजल को लेकर त्र

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Jun 2019 08:39 PM (IST)Updated: Sun, 02 Jun 2019 06:56 AM (IST)
पानी की सप्लाई व मांग में कमी, एक लाख लोग दो बूंद को तरसे
पानी की सप्लाई व मांग में कमी, एक लाख लोग दो बूंद को तरसे

जागरण संवाददाता, कठुआ: गर्मी का प्रकोप बढ़ते ही जिले के कई क्षेत्रों में पेयजल को लेकर त्राही-त्राही मचनी शुरू हो गई है। आलम यह है कि जिले के कंडी क्षेत्र के करीब 50 गांवों में प्रतिदिन किसी न किसी गांव से लोग पेयजल आपूर्ति के लिए पीएचई विभाग के जिला कार्यकारी अभियंता के कार्यालय पहुंचकर गुहार लगा रहे हैं।

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पेयजल की सबसे ज्यादा किल्लत कंडी क्षेत्र के सहार लगेट, शेरकोटला, खरोट, बरवाल, बुद्धि, बकराक आदि गांवों के लोग पेयजल के लिए तरस रहे हैं। शहर के मुखर्जी चौक, न्यू बस स्टैंड, तारा नगर क्षेत्र के लोग भी पेयजल की भारी किल्लत से जूझ रहे हैं। जिला में पेयजल आपूर्ति का हाल ये है कि सवा छह लाख आबादी को 152.88 लाख गैलन प्रति दिन पानी की जरूरत है, लेकिन विभाग के पास 101.92 लाख गैलन पानी ही उपलब्ध है। इस तरह, जिले में 59.97 लाख गैलन पानी की शॉर्टेज है।

विभाग के जिला कार्यकारी अभियंता सुरजीत सिंह का कहना है कि कुल सवा छह लाख आबादी में से अभी भी करीब एक लाख आबादी स्वच्छ पेयजल से वंचित हैं, जबकि जिला में 102613 लाख घर हैं। जिन्हें स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना है। छोटे मोहड़े मिलाकर कुल 1020 गांवों में से उनका विभाग 736 में ही पेयजल उपलब्ध करा पा रहा है।

जिला में 283 गांव आज भी पेयजल की आपूर्ति नहीं है। सभी गांवों में आपूर्ति करने के लिए नई परियोजनाओं की जरूरत हैं। जिन पर 279. 92 करोड़ खर्च आने का अनुमान है, मंजूरी के लिए विभिन्न वित्तीय संस्थानों में भेजी गई हैं। जैसे ही मंजूरी मिलेगी परियोजनाओं के कार्य शुरू होंगे और सभी सौ प्रतिशत गांवों में तब पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। हालांकि ये विभागीय आंकड़े हैं, लेकिन गैर अधिकारिक आंकडों में जिले में अभी भी दो लाख से ज्यादा आबादी पीएचई के शुद्ध पानी से वंचित है। इसके अलावा आए दिन मशीनरी खराबी और जगह-जगह लीकेज से भी आपूर्ति प्रभावित होने के कारण प्रतिदिन 30 हजार से ज्यादा आबादी प्रभावित होती है।

वहीं, गर्मी के दौरान पीएचई विभाग के आपूर्ति स्टेशन टयूबवेलों की पानी निकालने की क्षमता 30 फीसद कम हो जाती है। इससे भी 20 फीसद आबादी पेयजल की किल्लत से जूझती है। वहीं तीन से चार दशक पुराने टयूबवेलों से पानी निकलने की क्षमता 30 फीसद रह गई है। तब की आबादी के हिसाब से टयूबवेल लगाया गया था,वहां की आबादी कई गुणा ज्यादा हो गई है।


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