खेतों में जमा पानी से गेहूं की बुआई प्रभावित
नुकसान और अब खेतों जमा पानी की वजह गेहूं की फसल की बुआई भी नहीं होने से किसानों ने सरकार से आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए उचित मुआवजे की मांग की है। किसानों का कहना है कि
संवाद सहयोगी, हीरानगर: बारिश से हुए बासमती की फसल के नुकसान और अब खेतों जमा पानी की वजह गेहूं की फसल की बुआई भी नहीं होने से किसानों ने सरकार से आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए उचित मुआवजे की मांग की है।
किसानों का कहना है कि लगातार दो फसलों का बारिश से नुकसान हो चुका है, जो थोड़ा बहुत अनाज निकला भी, उसका कोई खरीदार नहीं, जिन खेतों में गेहूं लगानी थी, वे पानी से भरे हैं, अगर दोबारा बारिश हो गई तो ऊंचे स्थानों पर भी फसल नहीं लेगी। कृषि विभाग ने तो बासमती के नुकसान की रिपोर्ट भेज दी है, राजस्व विभाग को भी गिरदावरी के हिसाब से अपनी रिपोर्ट सरकार को भेजनी चाहिए। कोट्स---
बारिश पड़ने से खेत पानी से भरे पड़े हैं, बासमती की फसल बर्बाद हो चुकी है। सड़क ऊंची होने से पानी की निकासी भी नहीं हो रही। लगातार दो फसलों का नुकसान हो चुका है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत प्रीमियम कटवाने के बावजूद भी कंपनी ने नुकसान की भरपाई नहीं की। सरकार को किसानों की आर्थिक मदद करनी चाहिए, तभी आर्थिक संकट दूर हो सकता है।
- बलवीर सिंह, मथुरा चक। कोट्स---
हर साल प्राकृतिक आपदाओं से फसलों का नुकसान हो जाता है। दिन रात कड़ी मेहनत करने के बावजूद भी किसानों की हालत में सुधार नहीं हो रहा। फसल बीमा योजना भी कागजों तक ही सीमित रही, उसका किसानों को कोई लाभ नहीं हुआ, ऐसे में वर्ष 2022 तक आमदनी कैसे दुगनी हो पाएगी। सरकार को किसानों की आर्थिक सहायता करने के साथ-साथ फसल बीमा योजना को सही तरीके से लागू करना चाहिए।
- मोहनलाल शर्मा, मढीन।
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एक तरफ पाकिस्तान की तरफ से सीमा पर जारी गोलीबारी से खेती प्रभावित हो रही है, वहीं बे मोसम की बारीश से लगातार फसलें नष्ट हो रही है। लोगों के पास रोजी-रोटी कमाने का कोई अन्य स्त्रोत भी नहीं। ऐसे में बैंकों से लिया कर्ज किसान कैसे चुका पाएंगे। सरकार को केसीसी पर लिया कर्ज माफ करने के साथ-साथ उचित मुआवजा देना चाहिए, तभी आर्थिक संकट से निजात मिल सकती है।
- करतार चंद, मनयारी। कोट्स--
कृषि को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने अनेक योजनाएं लागू कर रखी है और किसान भी आधुनिक तकनीक से फसलें लगा रहे हैं, मगर प्राकृतिक आपदाओं की मार से खेती का धंधा घाटे में चल रहा है। अगर फसलों का बीमा करवाते हैं, उसमें कई शर्तें लागू कर दी जाती है। जब तक सरकार योजना को सही तरीके से लागू नहीं करती, किसानों की मुश्किलें दूर नहीं हो सकती। प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा मिलना चाहिए।
- प्रदीप कुमार, पहाड़पुर।