Move to Jagran APP

चंचलो माता मंदिर का अस्तित्व खतरे में, बचाने की गुहार

रितु शर्मा बसोहली करीब पांच सौ वर्ष पुरानी पाल वंशज की निशानी चंचलो माता मंदिर का अस्तित्व खतरे

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 06:00 AM (IST)
चंचलो माता मंदिर का अस्तित्व खतरे में, बचाने की गुहार
चंचलो माता मंदिर का अस्तित्व खतरे में, बचाने की गुहार

रितु शर्मा, बसोहली : करीब पांच सौ वर्ष पुरानी पाल वंशज की निशानी चंचलो माता मंदिर का अस्तित्व खतरे में है। हालांकि, प्रशासन की ओर से बचाने के लिए सिर्फ आश्वासन ही मिल रहे हैं, लेकिन कोई कारगर कदम नहीं उठा रहा है।

loksabha election banner

दरअसल, करीब 500 वर्ष पुराना चंचलो माता मंदिर में काफी संख्या में पर्यटक प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ उठाने के लिए आते हैं। इस ऐतिहासिक विरासत को बचाने के लिए सिर्फ कागजों में ही कार्रवाई हो रही है, अगर इसे समय रहते नहीं बचाया गया तो कभी भी गिर सकता है। बताया जाता है कि जब बसोहली विश्वस्थली रियासत बनी तो महल बनाए गये और इन महलों की सुरक्षा के लिए चंचलो माता का मंदिर एक पहाड़ी पर बनाया गया। कस्बे के बुजुर्ग बताते हैं कि महलों से मंदिर तक पहुंचने के लिए एक गुप्त रास्ता राजा ने अपनी सुरक्षा के लिए बनाया था, ताकि जब भी कोई दुश्मन हमला करे तो राजा अपनी जान बचाने के लिए उक्त रास्ते से चंचलो माता मंदिर तक पहुंच सके। इस किले को बसोहली का सुरक्षा कवच भी कहा जाता रहा है, जहां पर हर समय सैनिकों की टुकड़ी को तैनात किया जाता था। ऊंची पहाड़ी पर स्थित होने के कारण दुश्मन के हमले को आसानी से देखा जाता था और समय रहते बचाव किया जाता, लेकिन मंदिर गत दिनों बरसात का मौसम ना झेल सका और भूस्खलन के कारण मंदिर में आज परिक्रमा नहीं कर सकते हैं।

बहरहाल, मंदिर को बचाने के लिए स्थानीय निवासियों ने अपनी ओर से एडीसी, जिला उपायुक्त तक बात पहुंचाई, मगर मंदिर में हुए भूस्खलन की जगह पर क्रेट डालने व दीवार बनाने आदि लगाने के लिए कोई कार्रवाई जमीनी स्तर पर नहीं हो पाई है। इसके कारण कस्बे के निवासियों में रोष है। कस्बा निवासियों का कहना है कि एक ही विरासत बची है, जिसे इस समय भी अगर कार्रवाई की जाए तो बचाया जा सकता है, अगर देर हो गई तो मंदिर भी भूस्खलन की चपेट में आ जाएगा। अभी तक केवल परिक्रमा ही आई है, वह भी दोनों और इस कारण मंदिर में जाना इस समय सुरिक्षत नहीं है। स्थानीय निवासियों व मंदिर के पुजारी शिव पाधा ने प्रदेश प्रशासन से इस मंदिर को बचाने के लिए अपनी ओर से कार्रवाई जल्द करने की माग की है।

बाक्स---

आस्था का प्रतीक है चंचलो माता मंदिर

बसोहली: चंचलो माता मंदिर जिसकी पूजा अर्चना पाधा परिवार सदियों से करता आ रहा है। यह लोगों की आस्था का प्रतीक है, यहां पर केवल हिदू ही नहीं, बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोग भी पूजा अर्चना करने के लिए आते रहे हैं। इस मंदिर में हर रोज रैहण, मंडला, बसोहली कस्बे के अलावा देश विदेश से पर्यटक भी आते हैं। यहा से रंजीत सागर झील का नजारा स्पष्ट दिखता है। साथ ही मंदिर से कसबे को कैमरे में कैद किया जा सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.