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मतगणना में 393 कर्मियों की लगी ड्यूटी

जागरण संवाददाता कठुआ जिला पंचायत चुनाव अधिकारी ओपी भगत ने सोमवार को आयोजित बैठक में

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Dec 2020 12:53 AM (IST)Updated: Tue, 22 Dec 2020 12:53 AM (IST)
मतगणना में 393 कर्मियों की लगी ड्यूटी
मतगणना में 393 कर्मियों की लगी ड्यूटी

जागरण संवाददाता, कठुआ: जिला पंचायत चुनाव अधिकारी ओपी भगत ने सोमवार को आयोजित बैठक में जिला विकास परिषद की 14 सीटों के चुनाव और इसके साथ नगर परिषद के उप चुनावों के लिए मतदाताओं द्वारा डाले गए वोटों की होने वाली गिनती की तैयारियों को अंतिम रूप दिया।

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बैठक में स्टाफ, सुरक्षा और अन्य सुविधाओं की उपलब्धता की प्रक्रिया पर गहन चर्चा हुई, जिसमें मुख्य रूप से यातायात व्यवस्था, महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों पर बैरिकेडिग और गिनती के रुझानों की समय पर घोषणाओं पर भी चर्चा की गई। बैठक में बताया गया कि मतगणना के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए मजिस्ट्रेटों को अलग-अलग कार्य सौंपे गए हैं। मतगणना केंद्र के आयोजन स्थल पर और उसके आसपास तीन स्तरीय सुरक्षा तंत्र लगाया गया है। मतगणना में कुल 393 कर्मी लगाए गए हैं,जो कुल 109 टेबलों पर 14 अलग-अलग हालों में 7 से 10 राउंड में गिनती को अंजाम देंगे। इसके अलावा नगर परिषद के उप चुनाव में दो वार्डों में पड़े मतों की गिनती के लिए अलग-अलग हाल बनाए गए हैं।

बैठक में एसएसपी शैलेंद्र मिश्रा, एडीसी अतुल गुप्ता, चुनाव अधिकारी एसीडी नारायण दत्त शर्मा पर्यवेक्षक, नोडल अधिकारी और अन्य संबंधित अधिकारी मौजूद रहे।

उधर, जिले में आज ग्रामीणों को पहली बार विकास कराने के लिए 14 नए जनप्रतिनिधि मिलेंगे। ये पहला मौका होगा, जब पंचायती राज में ऐसे प्रतिनिधि गांवों के विकास में अहम भूमिका निभाएंगे और ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए जनता को जवाबदेह होंगे। इनकी जिम्मेदारी ग्रामीण क्षेत्र के विकास को तेज करने की रहेंगी।

करीब 20 से 35 हजार मतदाताओं के प्रतिनिधियों की विधान सभा चुनाव होने तक काफी अहमियत रहेगी, क्योंकि जनता के पास इस समय सरकार से विकास के लिए फंडों का प्रावधान कराने वाले प्रतिनिधि नहीं है। हालांकि इससे पहले पंचायतें गठित हैं, लेकिन उनके पास भी तय योजनाओं के ही फंड उपलब्ध हो पाते हैं। इससे आज भी जिले के कई गांव, सड़क, बिजली और पानी जैसी मूल सुविधा से वंचित है, लेकिन अब ये प्रतिनिधि वे कमी पूरी करेंगे और जनता के नुमाइदें बनकर सरकार से विकास के लिए फंड लाने का काम करेगें। कितने फंड कहां उनके क्षेत्र में खर्च होंगे, ये ही तय करेंगे। सरकार दिल्ली से सीधे विकास परिषद को फंड उपलब्ध कराएगी। ग्रामीण जनता को अपने जनप्रतिनिधि अपने ही क्षेत्र में मिलेंगे, ग्रामीणों को भी इनसे काफी उम्मीदें हैं। इससे पहले लोगों के पास विधायक ही मुख्य प्रतिनिधि थे, जो विधान सभा सदस्य होने के चलते जम्मू आदि में व्यस्त रहने से उन्हें कई बार मौके पर नहीं मिलते थे, लेकिन ये स्थानीय होंगे और लोगो को आसानी से मिलेंगे।


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