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चंचलो माता मंदिर को लेकर प्रशासन उदासीन

संवाद सहयोगी बसोहली करीब 500 वर्ष पुराने चंचलो माता का मंदिर एतिहासिक धरोहर है जिसे बचाने के ि

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 06:50 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 06:50 AM (IST)
चंचलो माता मंदिर को लेकर प्रशासन उदासीन
चंचलो माता मंदिर को लेकर प्रशासन उदासीन

संवाद सहयोगी, बसोहली: करीब 500 वर्ष पुराने चंचलो माता का मंदिर एतिहासिक धरोहर है, जिसे बचाने के लिए 'दैनिक जागरण' के मुहिम में रोजाना नए-नए लोग जुड़ रहे हैं।

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स्थानीय निवासियों का कहना है कि सरकार ने मुगल काल की विरासत को बचाने के लिए कई प्रयास किए, मगर डुग्गर प्रदेश की बसोहली रियासत की अंतिम निशानी को बचाने के लिए सरकार द्वारा कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। विश्वस्थली महल पहले से ही दयनीय हालत में पहुंच गया है, अब धार्मिक आस्था का केंद्र चंचलो माता मंदिर जो कि पर्यटन के लिहाज से भी एक विरासत थी, उसे बचाने के लिए कोई कार्रवाई न होने से लोगों में रोष व्याप्त है। आलम यह है कि अब इस मंदिर को बचाने के लिए सड़कों पर उतरने का मन बनाने लगे हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि धरोहर को बचाने के लिए वे कोई भी हद तक जाने को तैयार हैं। कोट्स---

मंदिर के प्रति लोगों की धाíमक आस्था को बचाने के लिए सरकार द्वारा कोई उपाय नहीं किए जाने से लोगों में निराशा है। इसे बचाने के लिए युद्ध स्तर पर उपाए करने चाहिए थे, अभी तक सरकार और अधिकारियों द्वारा लोगों को निराशा ही हाथ लग रही है। अगर मंदिर को बचाने के लिए प्रयास जल्द नहीं हुए तो सरकार को आदोलन झेलने के लिए तैयार होना होगा।

- दीपक कपूर। कोट्स--

सरकार को मंदिर बचाने के लिए अभी से सर्वे आदि करवाकर फंड की उपलब्धता के लिए कार्रवाई करनी चाहिए, मगर प्रशासन अभी तक मूक दशक बन कर लोगों की ओर ही देख रहा है। अब किसी बड़ी दीवार के गिरने का इंतजार कर रहा है। अगर मंदिर को कुछ हुआ तो सरकार जिम्मेवार होगी।

- अभिनव राजदान। कोट्स--

पूरे उप जिले में एक ही रमणीक स्थल है, यहा पर लोग पूजा अर्चना करते हैं। साथ ही इस मंदिर से बसोहली कस्बे एवं रंजीत सागर झील का मनोरम दृश्य कैमरे में कैद करते हैं। इसे बचाने के प्रयास जल्द प्रशासन करे, ताकि पर्यटन को भी बढ़ावा मिले।

- गरमेल सिंह। कोट्स--

इस मंदिर को हर बसोहली आने वाला एक पर्यटक माथा टेकने के लिए जरूर जाता है। हर रोज कई जोड़िया प्री वेडिंग शूट करने के लिए भी यहा लोग आते हैं। यह मंदिर आटो टैक्सी चालकों को रोजगार देने का काम भी करता है, लोग आटो टैक्सी कर यहा पर आते हैं। इसे बचाने के लिये सरकार कोई ठोस प्रयास करे।

- वेद फंदा, पूर्व मंडल प्रधान।


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