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सरकारी अनदेखी की वजह से पाल राजाओं के महल का अस्तित्व मिटने की कगार पर

पर्यटन और भारतीय पुरातत्व विभाग रामनगर के किले का जीर्णोद्धार का कार्य कर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए संरक्षित करने में जुटा है लेकिन 11वीं शताब्दी में बिलावर को बसाने वाले अनंतपाल द्वारा बनाए गए महल आज सरकारी उपेक्षा का शिकार हैं।

By Edited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 05:26 AM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 05:09 PM (IST)
सरकारी अनदेखी की वजह से पाल राजाओं के महल का अस्तित्व मिटने की कगार पर
सरकार द्वारा आज तक महल को संरक्षित किए जाने को लेकर कोई प्रयास तक नहीं किया गया है

बिलावर, करुण शर्मा : धार्मिक और प्राचीन धरोहर किसी भी स्थान की पहचान होती है, लेकिन सरकारी उपेक्षा के कारण कारण बिलावर के सैकड़ों साल पुरानी पाल राजाओं के प्राचीन महल आज मिटने के कगार पर है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार पुरातन धरोहर को संजोए रखने को लेकर कितना गंभीर है। गौर हो कि पर्यटन और भारतीय पुरातत्व विभाग रामनगर के किले का जीर्णोद्धार का कार्य कर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए संरक्षित करने में जुटा है, लेकिन 11वीं शताब्दी में बिलावर को बसाने वाले अनंतपाल द्वारा बनाए गए महल आज सरकारी उपेक्षा का शिकार हैं।

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सरकार द्वारा आज तक महल को संरक्षित किए जाने को लेकर कोई प्रयास तक नहीं किया गया है, इसके कारण सैकड़ों साल पुराने महल का अस्तित्व ही आज खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है। अगर अब भी सरकार नहीं जागी तो प्राचीन महलों का अस्तित्व बिल्कुल ही खत्म हो जाएगा। बिलावर में स्थित महल को 11वीं शताब्दी में अनंतपाल द्वारा बनाए गए थे। फिर 500 साल बाद पाल राजाओं के वंशज भूपद पाल ने बसोहली को अपनी राजधानी बनाकर वहां चलें गए, जिसका जिक्र राज तिलांजलि में भी है। बिलावर के राजा द्वारा बनाए गए महल, प्राचीन बावली और गुरनाल स्थित चार पांव वाली बावली (जोकि राजा रानी के क्रीड़ा स्थल थी), आज सरकारी उपेक्षा के चलते जर्जर हालत में है। आलम यह है कि बिलावर के प्राचीन महल आज कई जगहों से टूट चुका है। बावली की हालत वर्ष 2006 में आए भूकंप में जर्जर हो चुकी है।

सरकार नहीं दिखा रही गंभीरता : सेवानिवृत्त डीएफओ बीआर उपाध्याय ने कहा कि विरासत को बचाने को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। बिलावर के प्राचीन धरोहर, पाल राजाओं के महल व बावलिया हैं, लेकिन सरकार मिटने के कगार पर पहुंच चुके बिलावर की प्राचीन धरोहर को बचाने को लेकर गंभीर नहीं है। अगर सरकार द्वारा एक सार्थक पहल नहीं की गई तो बिलावर के प्राचीन धरोहर अपना अस्तित्व खो देगी।

रामनगर के किले की तरह यहां भी हो प्रयास : म्यूनिसिपल कमेटी के पूर्व अध्यक्ष नरेंद्र कुमार ने कहा कि प्राचीन स्थलों को बचाने के लिए करनी चाहिए। सार्थक पहल प्राचीन धरोहरों को श्रृंखलाबद्ध तरीके से जोड़कर सरकार उन्हें संरक्षित कर ऐतिहासिक स्थलों को पर्यटक स्थलों के रूप में विकसित कर सकती है। इसके लिए सरकारी स्तर पर एक ईमानदार पहल की जरूरत है। वहीं मदन मोहन पाल ने कहा कि रामनगर के महलों की तरह सुरक्षित हो बिलावर का महल भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा जैसे रामनगर के किले और महलों को सुरक्षित करने के लिए जीर्णोद्धार कर संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है, ठीक उसी प्रकार बिलावर के महलों को भी भारतीय पुरातत्व विभाग को चाहिए कि पाल राजाओं के महल को भी संरक्षित करे।

अधिकारी ने कहा नहीं है कोई योजना : लखनपुर सरथल डेवलपमेंट अथारिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डीसी भट्टी ने कहा कि संरक्षित करने को कोई योजना नहीं है। बिलावर के महलों के लिए फिलहाल विभाग द्वारा कोई भी प्रोजेक्ट नहीं बनाया गया है। हालांकि, विभाग द्वारा पर्यटकों को ध्यान में रखते हुए प्राचीन धरोहरों के संरक्षित करने के लिए योजना बनाई जा रही है, जिसमें रामकोट के महल, मस्तगढ़ का किला, बिलावर के महल, माता सुकराला देवी और बाला सुंदरी शामिल है।


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