खनन करने का नियम तैयार नहीं, लग गया प्रतिबंध
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यनूल के फैसले के बाद सेंट्रल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पूरे जम्मू कश्मीर में खनन पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद प्रदेश भर में गत सप्ताह से खनन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देने से आने वाले दिनों में जारी बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य प्रभावित होने की आशंका बन गई है। इसके साथ ही आने वाले समय में आम
राकेश शर्मा, कठुआ: राज्य में खनन पर प्रतिबंध लगा दिए जाने के बाद से स्टोन क्रशर मालिकों में असमंजस की स्थिति है। इतना ही नहीं, आगामी दिनों में जहां विकास कार्य प्रभावित होने की आशंका है, वहीं लोगों को सपनों के घर बनाने में मुश्किल आ सकती है।
दरअसल, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के फैसले के बाद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जम्मू कश्मीर में खनन को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है, जिसके बाद उद्योग एवं खनन विभाग ने गत 27 नवंबर को एक आदेश जारी करके न सिर्फ खनन, बल्कि परिवहन करने पर भी रोक लगा दिया है। इसका असर आने वाले दिनों में दिखाई पड़ना लगभग तय है, क्योंकि उक्त आदेश का सबसे ज्यादा असर जिला कठुआ के 74 स्टोन क्रशर्स पर पड़ा है, जो पूरी तरह से बंद हो गए हैं।
जिले में इस समय सैकड़ों की संख्या में सरकारी एवं निजी निर्माण कार्य चल रहे हैं, जिसके निर्माण में रेत व बजरी पहली और सबसे बड़ी जरूरत होती है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि अभी तक पर्यावरण, प्रदूषण व खनन विभाग ने खनन करने के लिए भी कोई आदेश जारी नहीं किया है, अभी ये भी तय नहीं है कि किस तरह के खनन एवं दरियाओं से मीटिरियल निकाला जाएगा, उसके लिए क्या नियम तय किए गए हैं या प्रदूषण विभाग को कहां और किस तरह के प्रदूषण पर प्रतिबंध लगाया जाना है।
बहरहाल, अब नई गाइडलाइन के मुताबिक ही उक्त तीनों विभाग नये नियम तय करेगा। उसके बाद ही तय किए जाने वाले नये नियम के तहत क्लीयरेंस लेने पर कोई खनन एवं परिवहन कर सकेगा। अब खनन करने वालों को पहले अपनी खनन योजना भी सरकार को देनी होगी, उसके बाद ही वह खनन कर सकेगा। फिलहाल, खनन, प्रदूषण व पर्यावरण विभाग एनजीटी के नए आदेश के बाद चुप्पी साधे हुए हैं और एक दूसरे विभाग को इसके लिए आदेश जारी करने की बात कर रहे हैं। इसके चलते पूरे प्रदेश में खनन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लग चुका है। इससे रेत बजरी के रेट के दाम बढ़ना लगभग तय है, क्योंकि मैन्युअल ढंग से दरियाओं से रेत एवं बजरी की मांग पूरी होना संभव ही नहीं है।
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एनजीटी के आदेश का सीधा असर जिले के 74 स्टोन क्रशर पर पड़ा है। उक्त आदेश के लागू होने से पहले से ही मीटिरियल पड़ा हुआ है, उसे भी वाहन से ढुलाई भी नहीं कर सकते। अभी ये भी तय नहीं है कि प्रदूषण से पर्यावरण को हो रहे नुकसान के लिए क्या पूरी तरह से स्टोन क्रशर ही जिम्मेदार हैं या और भी कोई कारण है, लेकिन जारी आदेश में खनन, मीटिरियल निकालने एवं पर्यावरण क्लीयरेंस को मुख्य बताया गया है। जो भी आदेश सरकार के है, उसे क्लीयर करना चाहिए और नये नियम जल्द लागू करे, ताकि संबंधित विभाग से क्लीयरेंस ले सके।
- सुभाष चंद्र, क्रशर मालिक।
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ये सिर्फ उनके विभाग का मामला नहीं है, बल्कि एनजीटी द्वारा प्रतिबंधित किया गया है। नए गाइडलाइन का इंतजार किया जा रहा है।
-राजेंद्र सिंह, जिला अधिकारी, खनन विभाग। बाक्स---कोट्स---
गत 27 नवंबर को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी आदेश में खनन करने से पहले अब संबंधित क्षेत्र का खनन प्लान, पर्यावरण क्लीयेंरस और प्रदूषण विभाग की क्लीयरेंस होने के बाद ही स्टोन क्रशर चलाने की अनुमति दी जाएगी, इसके चलते कठुआ जिले में ही नहीं, बल्कि पूरे जम्मू कश्मीर में उक्त आदेश के बाद खनन पर प्रतिबंध है। अब उक्त तीनों विभागों की तैयार की जाने वाले अगले नियमों का इंतजार है, लेकिन इससे जिले में जारी सरकारी विकास कार्य बुरी तरह से प्रभावित हो सकते हैं। जब तक उक्त विभाग नये आदेश के बाद खनन के नये आदेश लागू नहीं करेंगे तब तक प्रतिबंध जारी रहेगा।
-ओपी भगत, डीसी, कठुआ।