तेंदुआ अभी भी दर्ज करवा रहा है अपनी उपस्थिति
थमी नहीं हैं।़करीब दो माह पहले 11 नवंबर के दिन तेंदूए द्वारा 17 वर्षीय नाबालिग परषोत्तम कुमार को शिकार बनाए जाने के बाद दूसरे ही दिन से करीब डेढ़ माह तक वन्य जीव विभागकी टीम ने यहां पर अपना डेरा जमाये रखा।
संवाद सहयोगी, रामकोट : क्षेत्र में अभी भी तेंदुए की सरगर्मियां थमी नहीं हैं। करीब दो माह पहले 11 नवंबर के दिन तेंदूए द्वारा 17 वर्षीय नाबालिग पुरषोत्तम कुमार को शिकार बनाए जाने के बाद दूसरे ही दिन से करीब डेढ़ माह तक वन्य जीव विभाग की टीम ने यहां पर अपना डेरा जमाये रखा। इस बीच विभाग ने तेंदुए को पकड़ने के लिए करीब आधा दर्जन पिजरे भी लगाए थे, परन्तु एक महीने की काफी मशक्कत के बाद भी विभाग को कोई सफलता हासिल नहीं हुई।
इस बीच जगह-जगह तेंदुआ अपनी उपस्थिति भी दर्शाता रहा। वहीं 10 दिसंबर के दिन जब विभाग का कर्मचारी लीला कृष्ण पिजरे में रखे कुत्ते को खोलने के लिए गया, तो पिजरे में फंसा हुआ तेंदुआ उस पर गुर्राया, जिससे डर के मारे कर्मचारी गिरता गिराता सड़क पर आ गया। वहां पर मौजूद दूसरे कर्मचारियों ने उसे किसी तरह से संभाला और इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को दी। देखते ही देखते वहां पर विभागीय कर्मचारियों व पुलिस के अलावा सैकड़ों की संख्या में लोगों का हजूम लग गया। विभाग ने पुलिस औपचारिकताओं के बाद तेंदुए को मंद स्थिति सेंट्यूरी पहुंचाया। इस बीच विभाग ने इसे अपनी एक बहुत बड़ी उपलब्धि मानते हुए चंद दिनों के अंदर ही अपना सारा सामान उठाया और और बिना सूचना के ही यहां से कूच कर लिया।
स्थानीय लोगों के अनुसार क्षेत्र में अभी भी दर्जनों की संख्या में तेंदुए घूम रहे हैं और आए दिन लोगों को देर-सवेर दिखाई भी देते हैं। हालांकि इस बीच सर्दियों का मौसम होने के कारण लोग अपने पशुओं को घरों के अंदर ही बांध कर रखते हैं, फिर भी कहीं से भी किसी पालतू पशु के मारे जाने की सूचना नहीं है। फिर भी कहीं न कहींब्रातों में तेंदुए के गुर्राने औऱ पालतू कुत्ते उको ठा ले जाने की सूचना मिल ही जाती है। इसके बावजूद लोग रात होने से पहले अपने घरों में दुबक जाते हैं और असमय घरों से नहीं निकलते।
ब्लॉक चेयरमैन अभय खजुरिया, सरपँच प्रदीप सिंह, नायब सरपंच अश्विनी कुमार, जगदीश चन्द्र, खजूर सिंह,भोला दास, संसार सिंह, शंकर, सिंह, वीरेंद्र दयोनिया, जिया लाल आदि के अनुसार अभी असली तेंदुआ गिरफ्त से बाहर है और एक ही तेंदुआ पकड़ा गया है। क्षेत्र में तेंदुओं की उपस्थिति दर्शाती है कि इस किस्म हादसा कभी दोबारा भी हो सकता है। इससे इससे विभाग का दायित्व खत्म नहीं हो जाता। विभाग को क्षेत्र में अपना एक स्थाई कार्यालय खोलना चाहिए।