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रैना के बाद खन्ना ने दिया प्रत्याशियों को जीत का मंत्र

ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल चुनाव में पार्टी के उम्मीदवारों की जीत तय करने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के नेता अविनाश राय खन्ना ने शनिवार कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की। बैठक में पूर्व वन मंत्री राजीव जसरोटिया और पूर्व विधायक चरणजीत सिंह विशेष रूप से शामिल हुए। इसके अलावा बैठक में कठुआ बरनोटी एवं लखनपुर के चुनाव में भाग लेने वा

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Oct 2019 07:08 PM (IST)Updated: Sat, 19 Oct 2019 10:09 PM (IST)
रैना के बाद खन्ना ने दिया प्रत्याशियों को जीत का मंत्र
रैना के बाद खन्ना ने दिया प्रत्याशियों को जीत का मंत्र

जागरण संवाददाता, कठुआ: ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल (बीडीसी) चुनाव में पार्टी उम्मीदवारों की जीत तय करने के लिए राज्य के भाजपा प्रभारी अविनाश राय खन्ना शनिवार को कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने प्रत्याशियों को जीत का मंत्र दिया। बैठक में पूर्व वन मंत्री राजीव जसरोटिया और पूर्व विधायक चरणजीत सिंह विशेष रूप से शामिल हुए। इसके अलावा बैठक में कठुआ, बरनोटी एवं लखनपुर के चुनाव में भाग लेने वाले मतदाता सरपंच व पंच भी शामिल हुए।

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पार्टी कार्यालय में आयोजित बैठक में खन्ना ने कार्यकर्ताओं को बताया कि चुनाव में कैसे जीत की रणनीति तय करनी है और किस तरह से मतदाताओं के पास जाकर पार्टी की उपलब्धियों को बताना है। उन्होंने कहा कि पार्टी की सबसे बड़ी उपलब्धि पंचायतों को विकास करना है, क्योंकि प्रत्येक पंचायत में 20 से 30 लाख रुपये सीधे फंड उनके खाते में भेजा जा रहा है। इससे सरपंच बिना किसी हस्तक्षेप के गांव का विकास कराने में सशक्त बन सकते हैं। अब बीडीसी चुनाव के बाद यही पंच सरपंच ब्लॉक समितियों के अध्यक्ष बनेंगे। आम लोगों को उनसे अपनी समस्या रखने और बातचीत करने में सुविधा मिलेगी।

अक्सर विधायक व मंत्री ज्यादा व्यस्त होने के कारण आम लोगों को समय नहीं दे पाते थे, अब जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत बनाने में उनकी सरकार ने अहम फैसले लिए, जो कि पहली बार बीडीसी के चुनाव हो रहे हैं। जहां तक कठुआ की बात है तो नगर परिषद कठुआ को 3 करोड़ की राशि विकास के लिए जारी की गई है जो इस लोकतंत्र में सबसे बड़ी ड्यूटी बनती थी कि जमीनी स्तर पर विकास के द्वार खोलने के लिए निचली संस्थाओं को मजबूत किया जाए, वो उनकी पार्टी ने किया। बीडीसी चुनाव अनुच्छेद 370 और 35 ए हटने के बाद किए जा रहे हैं। इसके कारण और भी अहम है। लोगों में भारी उत्साह है। कश्मीर में भी 137 ब्लॉक समितियों में से 130 पर चुनाव हो रहे हैं, जिसमें 530 प्रत्याशी भाग ले रहे हैं। कश्मीर में नजरबंद नेता अपने कर्मो का फल भोग रहे हैं, सबसे हैरानी इस बात कि है कि किसी ने उनके प्रति सहानुभूति नहीं जताई है।


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