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गिरदावरियां खारिज करने से सीमांत किसानों में नाराजगी

जमीन पर खेती कर परिवारों की गुजर-बसर करने वाले किसानों की राजस्व विभाग द्वारा उस जमीन से गिरदावरियां खारिज कर देन से वह अब मात्र रखवाले बन कर रह गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Jan 2020 06:45 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2020 06:45 PM (IST)
गिरदावरियां खारिज करने से सीमांत किसानों में नाराजगी
गिरदावरियां खारिज करने से सीमांत किसानों में नाराजगी

संवाद सहयोगी, हीरानगर: राजस्व विभाग द्वारा सरकारी जमीन पर खेती करने वाले किसानों की गिरदावरियां खारिज कर किए जाने के कारण किसान मात्र रखवाले बनकर रह गए हैं। हालांकि, वर्ष 2008 में राज्य सरकार द्वारा रोशनी एक्ट लागू किए जाने के बाद हीरानगर उप मंडल के छह हजार किसानों ने मालिकाना हक पाने के लिए आवेदन फार्म भी भरे थे, लेकिन उन्हें मालिकाना हक नहीं मिला था।

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अब राजस्व विभाग द्वारा गिरदावरी खारिज किये जाने से किसान असमंजस में हैं। किसानों का कहना है कि जम्मू कश्मीर में केंद्र शासित प्रदेश के कानून लागू हो जाने के बाद सरकारी कब्जे वाली जमीन का क्या होगा, अभी तक इसकी जानकारी नहीं दी गई। अगर उस जमीन को छीन लिया गया तो हजारों किसान बेरोजगार हो जाएंगे। कोट्स---

सीमा पर अधिकांश किसान सरकारी जमीन पर खेती करते हैं। मलकियत की हजारों कनाल जमीन तारबंदी के आगे खाली पड़ी है, उस पर खेती नहीं हो रही, पीछे पड़ती सरकारी जमीन की गिरदावरियां खारिज कर सरकार उस पर पौधे लगाने की तैयारी में है। अब जम्मू-कश्मीर में केंद्र शासित प्रदेश के कानून लागू हो गए हैं, सरकार किसानों को उसका मालिकाना हक देना चाहिए।

- भारत भूषण, सरपंच, बोबिया। कोट्स--

परिवार 1971 में पंजाब से आकर सरकारी जमीन आबाद कर खेती शुरू की थी, 40 कनाल जमीन के मालिकाना हक के लिए रोशनी के तहत आवेदन भी किया था। अब राजस्व विभाग ने उसकी गिरदावरी भी खारिज कर दी है। उनके पास मलकियत जमीन नहीं। अगर इससे भी बेदखल कर दिया गया तो उन्हें रोजी कमाने के लिए गांव से पलायन करना पड़ेगा। सरकार को जमीन का मालिकाना हक देना चाहिए।

- पुरुषोत्तम लाल, चक चंगा, निवासी। कोट्स--

एक तो पाकिस्तान की गोलाबारी की वजह से सीमा पर खेती प्रभावित हुआ है। दूसरा सरकारी जमीन की गिरदावरियां भी अब खारिज कर दी गई है। जिन किसानों के पास मलकियत की जमीन नहीं है वह अपने परिवारों की गुजर-बसर कैसे करेंगे। रोजी रोटी कमाने के लिए कोई अन्य स्त्रोत भी नहीं। सरकार को मालिकाना हक देने के लिए नया कानून लागू करना चाहिए।

- मनोहर लाल शर्मा, कडियाला निवासी। कोट्स---

मनयारी गांव के रहने वाले अनूसूचित जाति के पचास परिवारों के पास मलकियत की जमीन नहीं है, वह सरकारी जमीन पर खेती कर गुजारा करते आ रहे हैं। अब राजस्व विभाग ने गिरदावरी खारिज कर दी है। अगर रोशनी एक्ट के तहत कहीं कोई घोटाला हुआ था उसकी जांच होनी चाहिए थी। केंद्र शासित प्रदेश के नए कानून लागू करने के बाद किसानों को मालिकाना हक देना चाहिए।

- परसराम, मनयारी निवासी। कोट्स---बाक्स----

हीरानगर में कुल सरकारी रकबा 51122कनाल है, 21833 कनाल पर अबैध कब्जा था, जिस की गिरदावरी खारिज कर दी गई है।

-सोहनलाल, तहसीलदार, हीरानगर।


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