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बैसाखी मेले को लगा कोरोना का ग्रहण, बिल्केश्वर मंदिर में पसरा रहा सन्नाटा

करुण शर्मा बिलावर कोरोना का कहर बिलावर के ऐतिहासिक बैसाखी मेले पर भी पड़ गया जो की 1

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Apr 2020 01:10 AM (IST)Updated: Tue, 14 Apr 2020 06:16 AM (IST)
बैसाखी मेले को लगा कोरोना का ग्रहण, बिल्केश्वर मंदिर में पसरा रहा सन्नाटा
बैसाखी मेले को लगा कोरोना का ग्रहण, बिल्केश्वर मंदिर में पसरा रहा सन्नाटा

करुण शर्मा, बिलावर: कोरोना का कहर बिलावर के ऐतिहासिक बैसाखी मेले पर भी पड़ गया जो की 15 दिनों तक लोगों की भीड़ से पूरे यौवन पर रहता था, लेकिन सोमवार को सन्नाटा पसरा रहा। आलम यह था कि कोरोना के कहर की वजह से एक भी व्यक्ति मेला स्थल पर दुकान लगाने तक नहीं पहुंचा और न ही शिव मंदिर बिल्केश्वर भगवान के मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए कोई पहुंचा। हजारों साल पहले पाडवों द्वारा भगवान बिल्केश्वर मंदिर के निर्माण के दौरान से ही मेले लगने की प्रथा शुरू हुई थी, लेकिन युगों से निरंतर चले आ रहे मेला कोरोना के ग्रहण से नहीं बच पाया।

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बुजुगरें का कहना है कि उनकी जिंदगी में यह पहला मौका है, जब बिलावर में एतिहासिक बैसाखी मेला शिव मंदिर प्रागण में नहीं हुआ। यह दुर्भाग्य ही है कि एतिहासिक मेले को राजा महाराजाओं के बाद बिलावर की जनता हमेशा साल दर साल बैसाखी के दिन बड़े ही शान ओ शौकत और हर्षोल्लास से आयोजित करती थी, लेकिन आज लॉकडाउन के कारण नहीं लग पाया।

सोमवार को जहा बैसाखी मेले के चलते बिलावर के शिव मंदिर प्रागण में लोगों का जनसैलाब उमड़ना था, लेकिन शिव मंदिर प्रागण में दिनभर सन्नाटा पसरा रहा। लोगों का कहना है कि लॉकडाउन ने अब एतिहासिक मेले को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है। सदियों से चले आ रहे मेलों को भी नहीं बख्शा। मानो मेले पर भी कोरोना के चलते लॉक लग गया है।

बैसाख मास के जेष्ठ सोमवार को बिलावर के बिल्केश्वर मंदिर में जलधारा करने के लिए एक भी व्यक्ति नहीं पहुंचा। कोरोना वायरस के प्रभाव से इंसान तो इंसान भगवान भी अछूते नहीं रह पाए। जिन के दरबार में कोई भी श्रद्धालु नहीं पहुंच पा रहा है, ताकि उनकी पूजा-अर्चना कर सकें। कोट्स---

यह पहला मौका है कि जब बिलावर का एतिहासिक बैसाखी मेला नहीं लगा। जिंदगी के 91 बसंत देख चुके हैं, लेकिन दुर्भाग्य है कि इस बिलावर का एतिहासिक बैसाखी मेला कोरोना के कहर का शिकार बन गया।

- दुर्गादास उपाध्याय, 91 वर्षीय।

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बैसाखी मेले के साथ ही बिलावर में पूरे 15 दिन तक शिव मंदिर प्रागण में चहल-पहल रहती थी, लेकिन आज माहौल यह है कि मरघट जैसा सन्नाटा पसरा हुआ है, जहा एक इंसान को देखना मुश्किल हो गया है।

- ताराचंद जंडियाला, 73 वर्षीय।

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यह पहला मौका है जबबैसाखी मेला नहीं लग पाया है। इसके पीछे कारण जो भी हो, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस आपातकाल के कारण शुरू नहीं हो पाया। उम्मीद है कि अगली बार मेला पूरे यौवन के साथ आयोजित होगा।

- चरण दास गुप्ता, 70 वर्षीय।

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बिलावर के जिस ऐतिहासिक बैसाखी मेले को अंग्रेजी शासन काल भी बंद नहीं करवा सका, आज उसे कोरोना का ग्रहण लग गया है। लॉकडाउन के कारण ना तो कोई दुकानदार मेले में अपनी दुकान लगाने पहुंच पाया है और न ही मेले का आनंद लेने के लिए कोई व्यक्ति पहाड़ों से बिलावर आया है।

- नरेश वर्मा, दुकानदार, बिलावर।


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