मनुष्य के जीवन में गुरु का स्थान अहम
श्री अद्वैत स्वरूप आश्रम में 30वें भक्ति ज्ञान सम्मेलन संपन्न हो गया। वीरवार को आश्रम प्रांगण में आयोजित सम्मेलन के अंतिम दिन सुबह संतों द्वारा ध्वजारोहण कार्यकम का आयोजन किया गया।
संवाद सहयोगी, कठुआ: शहर के वार्ड 19 स्थित शिवानगर के श्री अद्वैत स्वरूप आश्रम में 30वें भक्ति ज्ञान सम्मेलन वीरवार को संपन्न हो गया। वीरवार को आश्रम प्रांगण में आयोजित सम्मेलन के अंतिम दिन सुबह संतों ने ध्वजारोहण कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसके बाद आश्रम में संत सम्मेलन आयोजित किया गया।
इस दौरान अलग-अलग स्थानों से आए संतों ने प्रवचन से श्रद्धालुओं को निहाल किया। दोपहर बाद आश्रम में आयोजित भंडारे में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होकर प्रसाद ग्रहण किया। संत सम्मेलन में संत सत्यानन्द जी महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को अपने प्रवचनों से निहाल करते हुए कहा कि मनुष्य के जीवन में गुरु का स्थान इस सारे भूमंडल को प्रकाश से भर देने वाले सूर्य के समान है। उन्होंने कहा कि इस संसार में अगर दिन है तो रात भी है। धर्म है तो अधर्म भी, पाप है तो पुण्य भी, हमें इन सभी में किसे अपनाना है और किसका त्याग करना है। इसका ज्ञान गुरु से मिलता है। गुरु से मिले ज्ञानरूपी प्रकाश से हम अपने कर्म को सद्गति की ओर ले जाने वाला बना सकते है, इसलिए हमें अपने गुरु के ज्ञान को धारण करना चाहिए और सदा सत्संग को अपने जीवन का कर्म बनाना चाहिए, इसी में हमारा कल्याण है। सम्मेलन के अंत में विशाल भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। इस भक्ति ज्ञान सम्मेलन में मौजूद स्वामी सेवा आनंद, स्वामी सेवा दयाआंनद जी महाराज, स्वामी सेवा आनंद जी महाराज, स्वामी हरी कृष्णजी महाराज, स्वामी दिनेश आनंद जी महाराज आदि ने भी अपने भाव प्रगट किए।