Shahpur Kandi Project: 40 साल बाद जम्मू-कश्मीर को मिलेगा हक का पानी, बसंतपुर तक नहर बनाएगा पंजाब
रणजीत सागर डैम को लेकर पंजाब और जम्मू कश्मीर के साथ हुए समझौते पर अमल शुरू हो गया है। पंजाब सरकार शाहपुर कंडी बैराज से कठुआ के बसंतपुर तक डेढ़ किलोमीटर लंबी नहर बनाकर देगी। इससे जम्मू व सांबा जिले के 80 हजार किसानों को सिंचाई के लिए लाभ मिलेगा।
राकेश शर्मा, कठुआ : केंद्र सरकार के प्रयास से रणजीत सागर डैम को लेकर पंजाब और जम्मू कश्मीर के साथ हुए समझौते पर अमल शुरू हो गया है। 40 साल बाद पंजाब सरकार शाहपुर कंडी बैराज से कठुआ के बसंतपुर तक डेढ़ किलोमीटर लंबी नहर बनाकर देगी। इससे जम्मू व सांबा जिले के 80 हजार किसानों को सिंचाई के लिए रावी तवी नहर से लाभ मिलेगा। साथ ही जम्मू कश्मीर को 20 फीसद बिजली भी शाहपुर बैराज से मिलेगी। शनिवार को प्रधानमंत्री कार्यालय में केंद्रीय राज्यमंत्री डा. जितेंद्र सिंह ने नहर के निर्माण कार्य का नींव पत्थर रखा।
यूं समझें पूरी परियोजना
- दो साल में पूरी होने वाली नहर परियोजना पर 11 करोड़ रुपये खर्च होंगे
- 1150 क्यूसिक सिंचाई के लिए पंजाब सरकार पानी देगी
- 32 हजार से ज्यादा हेक्टेयर भूमि की सिंचाई संभव होगी
- 80 हजार किसानों को जम्मू व सांबा जिले में सिंचाई के लिए रावी तवी नहर से लाभ मिलेगा
- 20 फीसद बिजली भी जम्मू कश्मीर को शाहपुर बैराज से मिलेगी
- कठुआ और सांबा जिलों में बागवानी को बढ़ावा मिलेगा।
- बंजर भूमि तर होने पर कृषि का नया युग शुरू होगा
- किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
पंजाब सरकार नहर में शाहपुर कंडी बैराज से समझौते के तहत जम्मू कश्मीर के हिस्से का 1150 क्यूसिक सिंचाई के लिए पानी देगी। इस नहर से पानी रावी तवी नहर में डाला जाएगा। बनने वाली नहर से जम्मू कश्मीर सरकार का तीन दशक से अधूरे पड़े रावी तवी सिंचाई परियोजना का मकसद पूरा हो जाएगा, क्योंकि बिना पानी के रावी तवी परियोजना आज तक अधूरी थी। रावी तवी नहर का डिजाइन 1150 क्यूसिक पानी उठाने की क्षमता का है, लेकिन शाहपुर कंडी बैराज से पानी नहीं मिलने पर अब तक बसंतपुर लिफ्ट इरीगेशन से लेकर काम चलाया जाता था, जो मात्र 300 से 400 क्यूसिक के बीच ही होता था। जिले के कंडी क्षेत्र से गुजरने वाली 80 किलोमीटर लंबी विजयपुर तक जाने वाली नहर का निचला हिस्सा डिस्ट्रीब्यूटरी से ही सिंचाई हो पाता था।
डा. जितेंद्र सिंह ने अधर में 40 साल से लटके समझौते पर दोबारा प्रयास शुरू किए थे, जिस पर 8 दिसंबर 2018 को समझौता हुआ। इसमें केंद्र सरकार का पूरा हस्तक्षेप रहा। अब जल समझौते पर अमल को पूरी तरह से प्रभावी बनाने के लिए परियोजना की निगरानी केंद्र सरकार कर रही है। पंजाब अब समझौते में किसी तरह की कोई कोताही नहीं कर सकेगा।
ठंडे बस्ते में था समझौता : पंजाब ने रणजीत सागर डैम बनाने के एवज में चार दशक पहले वर्ष 1979 में किए समझौते पर अमल नहीं करके शाहपुर कंडी बैराज परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। जम्मू कश्मीर की पूर्व सरकारों ने भी समझौते को लागू कराने के लिए कोई रुचि नहीं दिखाई। केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद अब अमल शुरू हुआ है।