जम्मू के लोगों के लिए सरकार कुछ नहीं कर सकी
संवाद सहयोगी, हीरानगर : जम्मू-कश्मीर में पीडीपी से समर्थन वापस लेकर गठबंधन तोड़ने के भाजपा के फैसले
संवाद सहयोगी, हीरानगर : जम्मू-कश्मीर में पीडीपी से समर्थन वापस लेकर गठबंधन तोड़ने के भाजपा के फैसले पर क्षेत्र के लोगों ने अपनी मिलीजुली प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कुछ लोगों का कहना है कि राज्यपाल शासन लगाने का भाजपा ने सही समय पर फैसला लिया है। जबकि कुछ का कहना है कि भाजपा जम्मू संभाग की जनता में विश्वास खो चुकी है। अब 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने यह निर्णय लिया है। इससे अब लाभ मिलने वाला नहीं।
भाजपा ने पिछले चुनाव में झुठे वादे कर अपने 25 विधायक तो बना लिए थे लेकिन वे साढ़े तीन साल में कुछ नहीं कर पाए। अब 2019 के चुनाव को देखते हुए समर्थन वापस लिया है। लोगों की नजर में फैसला सही है, पर देरी से लिया है। जम्मू के लोगों के लिए सरकार कुछ नहीं कर सकी। -गिरधारी लाल चलोत्रा, पूर्व विधायक हीरानगर। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती जम्मू में इस्लामिक एजेंडा चलाना चाहती थी। वह मनमानी करती रही। रसाना मामले की सीबीआइ से जाच करवाने के लिए भाजपा अपना दबाब नहीं बना सकी। जिन दो मंत्रियों ने हिंदू एकता मंच की माग का समर्थन किया था उन्हे भी अपने पद गंवाने पडे़। समर्थन वापस लेने के फैसले का हम स्वागत करते है। केन्द्र सरकार को अब सीबीआइ जाच करवानी चाहिए।
-कांत कुमार, पूर्व सरपंच। राज्य की भाजपा पीडीपी सरकार के साढ़े तीन साल के कार्यकाल में जम्मू-कश्मीर के हालात बद से बदत्तर हो गए है। भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भी गोलाबारी की घटनाएं बढ़ी हैं। जम्मू की जनता के बढ़ते आक्रोश और 2019 के लोकसभा चुनाव को मद्देनजर रखते हुए भाजपा को मजबूरी में यह फैसला करना पड़ा। जनता अब इनके झांसे में आने वाली नहीं।
भारती शर्मा, नेकां नेता।